यहां दिखेगा 2 जुलाई का सूर्य ग्रहण, जानिए भारत में कहां-कहां दिखेगा?

जिन कुछ क्षेत्रों से ग्रहण को आसानी से देखे जाने की उम्मीद है, वहां एस्ट्रोनॉट्स का जमावड़ा लगेगा। दिन खत्म होते होते ऐसे क्षेत्र, जहां से ग्रहण देखा जा सकेगा, वह पहाड़ों की छाया से ढक जाएंगे। उनकी अत्यधिक ऊंचाई के चलते ग्रहण का नजारा ज्यादा समय तक देखना चुनौतिपूर्ण होगा। 

Update:2019-07-01 08:16 IST
फोटो सोशल मीडिया से

जयपुर:सूर्य ग्रहण को विज्ञान भले ही सिर्फ खगोलिया घटना समझता है, मगर हिंदू धर्म में इसको काफी महत्व दिया गया है। शास्त्रो में ग्रहण पर काफी गंभीरता से चर्चा की गई है। हालांकि विज्ञान इसे अंधविश्वास मात्र मानता है। अगर इस साल सूर्य ग्रहण 2 जुलाई को लगेगा।

अमेरिका में 2 जुलाई को एक बार फिर पूर्ण सूर्य ग्रहण का नजारा दिखेगा। इससे पहले 2017 में यहां पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखा था। पिछली बार अमेरिका के 14 राज्यों में अलग-अलग समय पर बिल्कुल स्पष्ट रूप से सूर्य ग्रहण देखा जा रहा था लेकिन इस बार इसे देखना आसान नहीं है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि इसे 16000 मील तक की चौड़ाई तक देखा जा सकेगा। इसका अधिकांश भाग सुदूर दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में है। अगर मौसम ठीक रहा तो सिर्फ चिली और अर्जेंटीना के कुछ क्षेत्र में इसका नजारा सूर्यास्त होने से पहले देखा जा सकेगा।

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सूर्यग्रहण एक खगोलीय घटना है जो चंद्रमा के सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरने पर होती है। पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा ढका हुआ प्रतीत होता है। इसी घटना को सूर्यग्रहण कहा जाता है। जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा आ जाता है और फिर पृथ्वी के कुछ हिस्सों में सूर्य नहीं दिखाई देता है तो जिन हिस्सों में सूर्य नहीं दिखता है वहां सूर्य ग्रहण माना जाता है। जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है तो उसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं जब आंशिक रूप से चंद्रमा ढकता है तो उसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं।

दक्षिणी गोलार्द्ध में सर्दियों का मौसम है। सेंटियागो से 250 मील दूर करीब 2 लाख की आबादी वाला ला तटीय शहर ला सेरेना 2 जुलाई को अंधेरे में डूबने वाला सबसे पहला शहर होगा। लेकिन ये क्षेत्र में अकसर बादलों से घिरा रहता है। जिन कुछ क्षेत्रों से ग्रहण को आसानी से देखे जाने की उम्मीद है, वहां एस्ट्रोनॉट्स का जमावड़ा लगेगा। दिन खत्म होते होते ऐसे क्षेत्र, जहां से ग्रहण देखा जा सकेगा, वह पहाड़ों की छाया से ढक जाएंगे। उनकी अत्यधिक ऊंचाई के चलते ग्रहण का नजारा ज्यादा समय तक देखना चुनौतिपूर्ण होगा।

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