Somvati Amavasya Niyam:बनना है अमीर तो सोमवती अमावस्या के दिन इन बातों दें ध्यान, वरना होगा आपका ही नुकसान

Somvati Amavasya Niyam :सोमवती अमावस्या के दिन स्नान का विशेष महत्व होगा। मान्यता है कि इस दिन नदी में स्नान दान से पुण्यफल मिलता है। जानिए नियम...

Update:2024-04-08 09:30 IST

सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Somvati Amavasya Niyam हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी महीने में अमावस्या अगर सोमवार को होती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। ये अमावस्या कालसर्प दोष और पितृदोष की शांति, निवारण और तर्पण कार्यो के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। वैसे तो अमावस्या हर महीने में पड़ती है, लेकिन बहुत दुर्लभ संयोग होने पर ही अमावस्या सोमवार को पड़ती है। इसबार   सोमवार को अमावस्या 8 अप्रैल पड़ा  रहा है इस लिए सोमवती अमावस्या है।

सोमवती अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का विशेष संयोग बन रहा है। इस बार  बहुत समय बाद सोमवती अमावस्या सोमवार को पड़ रही है। इस दिन स्नान का विशेष महत्व होगा। मान्यता है कि इस दिन नदी में स्नान दान कर मंदिरों में पूजन करने से पुण्यफल मिलता है। कई श्रद्धालु पितृमोक्ष तीर्थों में पिंडदान, तर्पण और पूजन करते है।

सोमवती अमावस्या का महत्व

 इस दिन व्रत करने, पीपल पेड़ के नीचे शनिदेव के बीज मंत्र का जाप करने, पीपल की 108 परिक्रमा करने और पूजा करने का नियम है,और स्नान, दान करने का विशेष महत्व दिया गया है। इसे सोमवती मौनी अमावस्या भी कहते है। इसलिए मौन रहने से श्रेष्ठ फल मिलता है। आज के दिन लोग गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।

ये व्रत खासतौर पर स्त्रियां द्वारा किया जाता है। इस दिन कुरुक्षेत्र के ब्रह्म सरोवर में डूबकी लगाने से बहुत अधिक पुण्य मिलता है। इस स्थान पर आज के दिन स्नान और दान करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। मंत्रोच्चार के साथ सूर्योदय से सूर्यास्त तक पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि सोमवार की अमावस्या करने से बहुत पुण्य से मिलता है, पाण्डवों ने पूरे जीवन सोमवती अमावस्या का इंतजार किया था, लेकिन उन्हें नहीं मिला था। इस दिन सूर्य और चंद्र एक सीध में रहते हैं, इसलिए यह पर्व विशेष पुण्य देने वाला होता है।

सोमवती अमावस्या के दिन क्या करें

सोमवार को शिव जी का दिन भी माना जाता है। इसलिए अमावस्या शिव जी को समर्पित होती है। इस दिन भगवान शंकर, पावर्ती और तुलसी की पूजा करनी चाहिए। फिर पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमाएं करें, और प्रत्येक परिक्रमा में कोई वस्तु चढ़ाना चाहिए। प्रदक्षिणा के समय 108 फल अलग रखकर समापन के समय सभी वस्तुएं ब्राह्मणों और गरीबों को दान करें। ऐसा करने से पितृदोष नहीं होता है।

इस दिन आप पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें और 'ॐ पितृभ्य: नम:' मंत्र का जाप करें।

इस दिन आप सूर्य देव को ताम्र बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर 'ॐ पितृभ्य: नम:' का बीज मंत्र पढ़ते हुए तीन बार अर्घ्य दें।

इस दिन दक्षिणाभिमुख होकर दिवंगत पितरों के लिए पितृ तर्पण करना चाहिए। पितृस्तोत्र या पितृसूक्त का पाठ करना चाहिए।

मान्यता है कि सोमवती अमावस्या को यदि स्नान और पूजा के बाद तुलसी की 108 बार परिक्रमा की जाए तो दरिद्रता दूर होती है। इसके साथ सूर्य भगवान को अर्घ्य देना और ओंकार नाम का जाप करना भी बहुत ही शुभ फलदाई माना गया है।

सोमवती अमावस्या के दिन क्या नहीं करें

सोमवती अमावस्या के दिन सुबह देर तक सोते ना रह जाएं। जल्दी उठे और पूजा-पाठ करें।

मांसाहारी भोजन या शराब का सेवन न करें।

कुछ खाने की चीजें जैसे- चना, मसूर दाल, सरसों का साग और मूली न खाएं।

जानवरों को परेशान न करें।

किसी का अपमान करने से बचें।

कोई भी शुभ समारोह जैसे शादी या सगाई न करें।

इस तिथि पर क्रोध करने से बचें।

इस तिथि पर कोई भी ऐसा कार्य न करें, जिससे पितृ दोष लगे।

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