Somwar Ke Upay: कौन से पात्र से और किस दिशा की ओर चढ़ाएं भगवान भोलेनाथ को जल, जानें जल चढ़ाने का सही तरीका
Somwar Ke Upay: सोमवार का दिन भगवान श्रीराम और भगवान भोलेनाथ की पूजा में कुछ विशेष चीज़ों का जरूर ध्यान रखना चाहिए। भगवान शिव जी को जल चढ़ाते समय सही तरीका पता होना जरूरी है।
Somwar Ke Upay: सोमवार का दिन भगवान श्रीराम और भगवान भोलेनाथ का माना जाता है। सोमवार के दिन कुछ विशेष चीज़ों का जरूर ध्यान रखना चाहिए। इस दिन भगवान शिव जी को जल चढ़ाने का विशेष महत्व होता है। लेकिन क्या आप जानते है कि भगवान शिव जी को जल चढ़ाने का सही तरीका क्या है। नहीं जानते तो आइए जानते हैं सोमवार या किसी भी दिन भगवान भोलेनाथ को जल कैसे चढ़ाना चाहिए या भगवान शिव जी को जल चढ़ाने का सही तरीका क्या है:
जानें भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाने का सही तरीका
जल चढ़ाने का सही तरीका
भगवान शिव जी को जल चढाने का सही तरीका यह हैं की जल दो पात्र मे लेना चाहिए और दोनो पात्रो का जल एक साथ शिवजी पर समर्पित करना चाहिये। दरअसल कहा जाता हैं की सावन महिने में पुरी प्रथ्वी का भार शिवजी पर होता हैं इसलिए शिवजी ने माँ गंगा से अपने साथ विराजित होने के लिये आग्रह किया लेकिन मां गंगाजी ने कहा कि आपके शिवलिंग पर गणेश, कार्तिकेय, अशोक सुन्दरी और पांच पुत्रियो का स्थान हैं मैं कहा विराजमान हो सकती हूँ। तब भगवान शिवजी ने कहा कि दो पात्रो से जब शिवलिंग पर जल चढ़ाया जायेगा तब एक पात्र का जल गंगा जल मे परिवर्तीत हो जायेगा और इसलिये किसी को भी अलग से गंगा जल लाने कि आवश्यकता बिल्कुल नहीं होगी।
किस दिशा की ओर चढ़ाएं शिव जी को जल (Shivling Par Jal Chadhane Ki Disha)
ज्यादातर लोग भगवान शिव को जल चढ़ाते समय दिशा और नियम का ध्यान नहीं रखते है और ऐसे ही जल चढ़ा देते है। इसलिए हमेशा ध्यान रखें कि महादेव को जल कभी भी पूर्व दिशा को मुँह करके नहीं चढाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि क्योंकि पूर्व दिशा ही भगवान शिव का मुख्य प्रवेश द्वार माना जाता है। ऐसा में इस दिशा की ओर मुँह करने से भगवान शिव जी के प्रवेश द्वार पर अवरोध होता हैं और वे रुष्ट हो जाते है।
इसलिए इस बात का विशेष और हमेशा ध्यान रखें कि महादेव को जल हमेशा उत्तर दिशा की ओर चढ़ाना चाहिए क्योंकी उत्तर दिशा को शिवजी का बायाँ अंग माना जाता है जो माता पार्वती को समर्पित है। उत्तर दिशा की ओर मुँह करके जल चढाने पर भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की कृपा प्राप्त होती है और भक्त की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है।
कौन से पात्र से अर्पित करें जल (koun se patra se shivling par jal chadaye)
शिवजी पर जल चढाने के लिए सबसे अच्छे पात्र तांबे, चाँदी और कांसे के माने जाते है। ध्यान रखें कभी भी स्टील के पात्र से शिवजी को जल अर्पित ना करे। दरअसल ऐसा करने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं। हालाँकि सबसे अच्छा और सर्वोत्तम पात्र ताम्बे को माना जाता है। इसलिए भगवान भोलेनाथ को ताम्बे के पात्र से ही जल चढ़ाना चाहिए। लेकिन ध्यान रखें कि तांबे के बर्तन से दूध नहीं चढ़ाना चाहिए क्यों की तांबे के बर्तन में दूध विष के समान हो जाता हैं।
जल्दी जल्दी तेजी से शिवलिंग पर जल ना चढ़ाएं
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखे की जल तेजी से या जल्दबाज़ी में नहीं चढ़ाना चाहिए। हमारे शास्त्रों के मुताबिक शिवजी को जल धारा बहुत प्रिय है। इसलिए हमें हमेशा ही जल के पात्र से धीरे धीरे और आराम से जल धारा बनाकर जल अर्पित करना चाहिए। बता दें शास्त्रों के अनुसार धीमी और पतली जल धारा बहुत ही प्रिय होती है और इससे विशेष कृपा प्राप्त होती है।
बैठकर ही जल चढ़ाये (Shiv ji Par Jal Kaise Chadhaye)
भगवान शिवजी पर जल हमेशा बैठकर ही चढ़ाये, इस बात का जरूर ध्यान रखें। साथ ही यह बात भी ध्यान रखे की रुद्राभिषेक के समय भी खड़े नहीं रहना चाहिए। दरअसल पुराणों और शास्त्रों के अनुसार खड़े हो कर जल चढाने से शिवजी को जल समर्पित नहीं होता और जल चढाने का पुण्य प्राप्त नहीं होता। तो शिवजी को जल चढ़ाते समय इन बातें का ध्यान रखने से भगवान शिवजी के साथ सभी देवी देवता भी प्रसन्न होकर भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं और भक्त पर विशेष कृपा बनाए रखते हैं।