SuryaYoga in Kundli : सूर्य कब और कैसे छीन लेता है जातक से प्यार और सम्मान, जानें शुभ-अशुभ प्रभाव
Sun Yoga in Kundli: अगर सूर्य के साथ कुंडली में शुभ ग्रह है तो उस व्यक्ति को सफल होने से कोई रोक नहीं सकता है।
Sun Yoga in Kundli: कुंडली में सूर्य की मजबूत स्थिति पर व्यक्ति की सफलता निर्भर करती हैं।अगर सूर्य के साथ कुंडली में शुभ ग्रह है तो उस व्यक्ति को सफल होने से कोई रोक नहीं सकता है। लेकिन अशुभ ग्रहों का साथ जिस जातक की कुंडली मे विराजमान हो उसको बर्बाद होने से भी कोई बचा नहीं सकता है।
जानते हैं कि किसी जातक की कुंडली में किस स्थिति में सूर्य का शुभ-अशुभ प्रभाव बनता है।
बुधादित्य योग
बुध और सूर्य की युति व्यक्ति को सफल बनाता है। किसी भी जातक की कुंडली में जब बुध के साथ सूर्य का योग बनता है तो उसे बुधादित्य योग कहते हैं। जातक जीवनभर साहसी और समृद्ध बनता है। ऐसे जातक के ज्ञान की चर्च सर्वत्र होती है। ये लेखक, पंडित डॉक्टर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में महारत हासिल करते हैं। इनपर ईश्वर की विशेष कृपा होती है। लेकिन अगर इस युति के साथ कोई पाप ग्रह हो तो जातक को जीवनभर संघर्ष करना पड़ता है।
वासी योग
किसी जातक की कुंडली में सूर्य के 12 वें भाव में किसी भी ग्रह के होने से वासी योग बनाता है, लेकिन उस भाव में चंद्रमा के साथ यह योग नहीं बनता है। अगर सूर्य इस स्थिति में शुभ है तो व्यक्ति वाकपटु, बुद्धिमान , ज्ञानी और उच्च राजकीय पदों पर आसीन होता है, लेकिन अशुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता कमजोर होती है। परिवार से दूर और जीवन में प्यार की कमी रहती है।
वेशि योग
कुंडली में अगर सूर्य से चंद्रमा दूसरे भाव है तो वेशि योग बनता है। साथ अन्य ग्रह भी है तो वह स्थिति जातक के लिए अच्छी और बुरी दोनों होती है।अगर इस स्थिति में सूर्य के साथ पाप ग्रह नहीं है तो व्यक्ति प्रसिद्ध और आकर्षक व्यक्तिव का मालिक होता है।राजनीति क्षेत्र में कीर्तिमान बनाता है। लेकिन अगर इस स्थिति में पाप ग्रह है तो व्यक्ति को अपमानित जीवन जीना पड़ता है।
उभयचरी योग
जब कुंडली में सूर्य के आगे और पीछे दोनों भाव में पाप ग्रह है तो उभयचरी योग बनता है। इस स्थिति में व्यक्ति को सफलता नहीं मिलती है,लेकिन अगर पाप ग्रह ना हो और सूर्य के आगे पीछे कोई भी और ग्रह है तो ऐसे व्यक्ति को सफलता मिलती है। राजनेता, अभिनेता, या किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्ध होता है।
राजयोग
जब किसी जातक की कुंडली में चंद्नमा अपनी राशि कर्क और सूर्य मीन राशि में हो तो राजराजेश्वर योग बनता है।यह योग जातक को बलवान, धनवान और स्वाभिमानी बनाता है। हर क्षेत्र में सफलता दिलाने वाली होता है। लेकिन अगर सूर्य के साथ या आगे पाप ग्रह या राहू और केतु है तो व्यक्ति को असफल होने से कोई रोक नहीं सकता है।समाज में अपमानित जीवन, तंगहाली और दूसरे पर आश्रित बनाता है। तो यह तो निश्चित है कि जीवन में सफल होने के लिए दो चीजें जरूरी है। एक कर्म और दूसरा कुंडली में ग्रहों का मजबूत होना।