Temple Tradition : मंदिर की पहली सीढ़ी को छुने के पीछे क्या है वजह, जानिए इसके पीछे का रहस्य...
Temple Tradition हम सब शांति और अध्यात्म की तलाश में मंदिर जाते हैं वहां पूजा अर्चना और परिक्रमा करते हैं। साथ ही प्रवेश करते ही मंदिर में पहली सीढ़ी को छुते है,जानते है इसके पीछे का रहस्य...
Temple Tradition : भारत में मंदिर को एक पवित्र स्थान माना जाता है क्योंकि मंदिर में देवी देवताओं का वास माना जाता है यहां आकर लोगों को शांति मिलती है आप जब भी मंदिर जाते हैं तो आपने बहुत से लोगों को देखा होगा कि वो मंदिर की पहली सीढ़ी पर माथा टेकते हैं । मंदिर जैसे स्थान में प्रवेश करते समय हम लोगों को कुछ ऐसी चीजें करने की आदत होती है, जिसे करना हम अनजाने में भी नहीं भूलते. जैसे मंदिर में प्रवेश करते समय ही उसके द्वार या सीढ़ियों को स्पर्श करना और प्रवेश करते से ही मंदिर के द्वार ऊपर लगी घंटियों को बजाना. लेकिन क्या आपको पता है मंदिर में प्रवेश से पहले सीढियों पर लोग माथा क्यों टेकते हैं?
जब भी आप मंदिर पर पूजा करने जाते है तो आप अपनी पूजा मंदिर की सीढ़ियों से ही स्टार्ट करते है और कुछ लोग ऐसा कहते है की आप मंदिर के भगवान से मंदिर मैं आने के लिए अनुमति मांगते है इसलिए ऐसा करते है | इन सब बातो से ये नजर आता है की लोग भगवान को अपने विनम्र स्वभाव का परिचय दे रहे है | मंदिर की पहली सीढ़ी आपको मुख्य मंदिर और मंदिर की मूर्ति से जोड़ती है |
मंदिर द्वार की पहली सीढ़ी आपको मुख्य मंदिर और मूर्ति से जोड़ती है। वास्तुकला, स्थापत्य वेद पर आधारित है, जिसका मतलब है कि मंदिर का पूरा ढांचा इसी वेद को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। इस वेद के अनुसार, गोपुरम यानि, मुख्य प्रवेश द्वार पर ही मंदिर के देवता के पैर विराजमान रहते हैं। यही कारण है कि मंदिर की पहली सीढ़ी छूना भगवान के पैर छूने के बराबर माना जाता है।
क्यों मंदिर की पहली सीढी पर टेकते हैं माथा
अग्नि पुराण में हमें इसका जवाब मिलता है अग्निपुराण में लिखा है जिस मंदिर में हम जाते हैं उस मंदिर में भगवान का वास होता है। अग्निपुराण के अनुसार कलश भगवान का सिर है, और जो शिखर है वो भगवान के शरीर का उपरी हिस्सा है और मंदिर की दीवारे भगवान के हाथ और बाकी अंग है, इसके साथ ही जो स्तंभ है वो भगवान के पैर हैं, और सीढ़ियां भगवान के चरण होते हैं। इसलिए अगर आप सीढ़ियों पर माथा टेकते हैं
इसके साथ ही एक और मान्यता है कि अगर आप मंदिर की सीढ़ियों को छू रहे हैं तो आप प्रवेश द्वार से ही भगवान की पूजा शुरू कर रहे हैं।वहीं कुछ लोगों का मानना है कि, हम इसलिए ऐसा करते हैं कि मंदिर में प्रवेश करने से पहले देवता की अनुमति ले रहे हैं। इन दोनों ही बातों से ये साफ होता है कि, हम ऐसा इसलिए करते हैं ताकि हम देवता को अपने विनम्र स्वभाव का परिचय दे सकें। इसके साथ ही मंदिर द्वार की पहली सीढ़ी आपको मुख्य मंदिर और मूर्ति से जोड़ती है इसके साथ ही बता दें कि हिंदू मंदिर वास्तुकला, स्थापत्य वेद पर आधारित है जिसका मतलब है कि मंदिर का पूरा ढांचा इसी वेद को ध्यान में रखकर बनाया जाता है।इस वेद के अनुसार, गोपुरम यानि, मुख्य प्रवेश द्वार पर ही मंदिर के देवता के पैर विराजमान रहते हैं।