इन मंत्रों को बनाए रक्षा कवच, आपके पास नहीं आएगी कोरोना महामारी
कोरोनावायरस के रूप में ये महामारी देश भर के लोगों के लिए चिंता का विषय बन गई है। वेद-पुराणों में बताए गए उपाय।;
सांकेतिक तस्वीर, साभार-सोशल मीडिया
लखनऊ: इस समय पूरी दुनिया में कोरोना वायरस ( Corona Virus ) की महामारी बीमारी से परेशान है। अगर कोरोना वायरस से अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा चाहते हैं तो कोरोना महामारी (Corona Mahamari) से रक्षा करें। इसी बीच कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचने का एक चमत्कारी मंत्र। अगर इस मंत्र(Mantra) का जाप करते हैं तो आज से ही इस मंत्र का उच्चारण करना शुरू कर दीजिए।
कोरोनावायरस के रूप में ये महामारी देश भर के लोगों के लिए चिंता का विषय बन गई है। पर शक्ति उपासना के साथ और बाद में भी आप वेद-पुराणों में बताए गए उपायों को अपना सकते हैं।
महामारी विनाशक मंत्र
आज से सुबह शाम इस तांत्रिक महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra) का जप अपने घर में शुरू कर दें। तंत्र शास्त्र के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र का नियमित सुबह शाम 108 बार या फिर 27 बार जप किया जाए तो यह मंत्र गंभीर से गंभीर बीमारी से रक्षा करता है।
अगर वर्तमान में कोई व्यक्ति कोरोना वायरस ( Corona Virus ) जैसी प्राण घातक बीमारी से पीड़ित है तो उसे या उसके निमित्त महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से उसे कोरोना रोग से मुक्ति मिलने लगेगी। तांत्रिक बीजोक्त महामृत्युंजय मंत्र का जप संभव हो तो रुद्राक्ष की माला से ही करें। जप के बाद 108 बार गाय के घी से हवन करने से रोगी के स्वास्थ्य में शीघ्र सुधार होने लगेगा।भगवान शिव के बेहद कल्याणकारी और मृत्यु को टालने तक में सक्षम इस महामृत्युंजय मंत्र को जपें
।। ॐ ह्रौं जूं सः। ॐ भूर्भवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनांन्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्वः भुवः भूः ॐ । सः जूं ह्रौं ॐ ।
अति प्रभावशाली संजीवनी महामृत्युंजय मंत्र महामृत्युंजय मंत्र का जप करना परम फलदायी है। कोरोना वायरस से मुक्त के लिए जप करते समय इतना ध्यान जरूर रखें। कोरोना वायरस से बचने का छोटा सा उपाय सुबह शाम केवल इतनी बार जप लें
तांत्रिक बीजोक्त महामृत्युंजय मंत्र जप करते समय उच्चारण की शुद्धता का पूरा ध्यान रखें। मंत्र जप के जितनी संख्या में जप का संकल्प लिया है उतना ही निर्धारित समय में पूरा करें। मंत्र का उच्चारण ऐसे कंरे की पास में बैठे व्यक्ति को भी सुनाई न दें। यदि अभ्यास न हो तो बहुत ही धीमे स्वर में जप करें ।
जप तक जप चलता रहे तब तक घी का दीपक एवं चंदन की धूप जलते रहना चाहिए। रुद्राक्ष की माला से ही बीजोक्त महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। के आसन पर बैठकर ही जप करें। जपकाल में आलस्य व उबासी को बिलकुल भी न आने दें। जप करते समय अपना मुख पूर्व दिशा की तरफ ही होना चाहिए। जप पूरा होने के बाद दुग्ध मिले जल से शिवजी का अभिषेक करें। नियमों का पालन करते हुए संजीवनी महामृत्युंजय मंत्र के जप के प्रभाव से रोगी को दो-तीन दिन में ही लाभ होने लगेगा।रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
सांकेतिक तस्वीर, साभार-सोशल मीडिया
रोग नाश के लिए
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥
महामारी नाश के लिए
ऊँ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
घर में सुबह और संध्या के समय में नीम की लकड़ी या पत्तों की धुनी जलाएं। घर का वातावरण साफ और पवित्र रखें। कपूर को खुली कटोरी में रखें। अपना वस्त्र, बिस्तर और अपनी तमाम चीजें किसी को छूने ना दें जैसे व्रत के समय में होता है।