सहारनपुर: नवग्रह में भले ही गुरु बृहस्पति का सर्वोच्च स्थान दिया गया हो, लेकिन सूर्य देव भी किसी से कम नहीं है। शनि के पिता सूर्य देव अपने जातक की हर समस्या का समाधान करते हैं। जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य शुभ होता है, उस व्यक्ति को सूर्य देव उच्च पद पर विराजमान करते हैं यानि कि ऐसा व्यक्ति कोई बड़ा प्रशासनिक अधिकारी या मंत्री भी हो सकता है। यही नहीं सूर्य यदि कुंडली में उच्च का है, तो ऐसा व्यक्ति अत्यधिक ख्याति प्राप्त करता है।
ज्योतिष शास्त्र में रविवार का दिन सूर्य देव का होता है। इस दिन सूर्य की अराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा रविवार को गेहूं और गुड़ गाय को खिलाने से या किसी ब्राह्मण को दान करने से पुण्य प्राप्ति होती है। रविवार के दिन अगर भगवान सूर्य को एक आक का फूल अर्पित किया जाए, तो मनुष्य को दस अशर्फियां मिलने जितना फल प्राप्त होता है।
भगवान सूय को रात के समय कदम्ब और मुकुर के फूल और अन्य पुष्प दिन के समय अर्पित करने चाहिए। बेला के फूल एकमात्र ऐसे फूल हैं जिन्हें आप दिन या रात, दोनों समय अर्पित कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ पुष्प ऐसे भी हैं, जिन्हें सूर्य देव को कदापि नहीं चढ़ाया जाना चाहिए।
जो पुष्प भगवान सूर्य को कदापि नहीं चढ़ाने चाहिए। उनमें गुंजा, धतूरा, अपराजिता, भटकटैया, तगर आदि नाम शामिल हैं।
सूर्य को सिंह राशि का स्वामी माना गया है, जिसकी दशा 6 वर्ष के लिए होती है। सूर्य का रत्न माणिक्य है, गाय, गुड़, तांबा, सोना एवं लाल वस्त्र आदि सूर्य की प्रिय वस्तुएं हैं। सोना और तांबे को सूर्य देव की धातु माना गया है।