Tulsi Vivah 2022 Date Time: जानें कब है तुलसी विवाह, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Tulsi Vivah 2022 Date Time: कार्तिक माह में बहुत सारे त्योहार भी मनाए जाते हैं, जैसे दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ महापर्व, कार्तिक पूर्णिमा आदि जिनमें से एक है तुलसी विवाह।

Update: 2022-10-29 03:55 GMT

Tulsi Vivah 2022 Date: हिन्दू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व होता है। कार्तिक मास को सर्वश्रेष्ठ माह कहा जाता है। कार्तिक माह में बहुत सारे त्योहार भी मनाए जाते हैं, जैसे दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ महापर्व, कार्तिक पूर्णिमा आदि जिनमें से एक है तुलसी विवाह। इस साल भी तुलसी विवाह पूरे धूमधाम से मनाया जाएगा। तो आइए जानते हैं कब है तुलसी विवाह और शुभ मुहूर्त के साथ पूजा विधि:

कब है तुलसी विवाह (Kab Hai Tulsi Vivah)

इस साल तुलसी विवाह 5 नवंबर को होगा। दरअसल तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को आयोजित किया जाता है। ठीक इसके पहले देवउठनी एकादशी होती है और इस दिन के बाद से ही विवाह के शुभ योग बनते हैं। बता दे हिंदुओं में तुलसी को पवित्र पौधा माना जाता है जिसकी पूजा की जाती है। तुलसी विवाह के इस दिन तुलसी और शालीग्राम (विष्णु का स्वरुप) का विवाह किया जाता है। बता दे तुलसी विवाह के दिन मां तुलसी और भगवान शालिग्राम की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और भक्तों के वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। साथ ही पति-पत्नी में भी किसी तरह की कोई समास्या नहीं रहती हैं।

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त (Tulsi Vivah Shubh Muhurat)

तुलसी विवाह तिथि है: 5 नवंबर 2022

कार्तिक द्वादशी तिथि शुरू: 5 नवंबर शाम 6.08 बजे

कार्तिक द्वादशी तिथि समाप्त: 6 नवंबर शाम 5.06 बजे

तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त: 6 नवंबर दिन 1:09 से 3:18 बजे तक

तुलसी विवाह की पूजा विधि (Tulsi Vivah Puja Vidhi)

तुलसी विवाह करने के लिए सबसे पहले चौकी बिछा लें, अब उस पर तुलसी का पौधा और शालिग्राम को स्थापिक करें। 

फिर इसके बाद इनके पास में कलश में पानी भरकर रखें।

अब तुलसी और शालिग्राम पर गंगाजल छिड़कर घी का दीया जलाएं।

फिर इसके बाद दोनों को रोली और चंदन का टीका लगा लें।

फिर तुलसी के गमले में गन्ने का मंडप जरूर बनाएं। 

अब तुलसी मां को सुहागिन बनाने के लिए लाल चुनरी, चूड़ी और बाकी श्रृंगार का सामान अर्पित कर दें। 

अब इसके बाद शालिग्राम को हाथ में लेकर तुलसी की परिक्रमा करें और इसके बाद आरती करें। 



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