Tulsi Vivah: तुलसी विवाह पर रखिये इन बातों का विशेष ध्यान, अखंड सौभाग्य का मिलेगा आशीर्वाद

Tulsi Vivah: तुलसी विवाह के दौरान अगर आप ये उपाय करते हैं तो माता तुलसी प्रसन्न होतीं हैं और आपको अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद भी मिलता है।

Update: 2023-11-17 02:00 GMT

Tulsi Vivah (Image Credit-Social Media)

Tulsi Vivah: हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे का बेहद विशेष महत्त्व है। वहीँ 24 नवंबर को तुलसी विवाह भी है। ये पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मनाया जाता है। वहीं कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। तुलसी विवाह के दिन तुलसी और शालिग्राम विवाह भी किया जाता है। वहीँ तुलसी विवाह के दौरान आपको कुछ चीज़ों का विशेषकर ध्यान रखने की ज़रूरत है। आइये जानते हैं क्या हैं ये उपाय।

तुलसी विवाह पर रखिये इन बातों का विशेष ध्यान

कहते हैं कि तुलसी विवाह के दिन ही भगवान विष्णु चार माह के बाद योग निद्रा से जागते हैं। इसके साथ ही वो अपना कार्यभार भी सँभालते हैं। इसके साथ ही साथ इस दिन से मांगलिक और शुभ कार्यक्रमों की शुरुआत हो जाती है। लेकिन इस दौरान आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

कहते हैं कि इस दिन हर सुहागिन स्त्री को तुलसी विवाह जरूर कराना चाहिए। अगर आप ऐसा करतीं हैं तो आपको अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी को सुहाग का सभी सामान और लाल चुनरी ज़रूर चढ़ाना चाहिए इससे माँ बेहद प्रसन्न होतीं हैं।

इस दिन आपको तुलसी के गमले में शालिग्राम रखना चाहिए और तिल चढ़ाना चाहिए।

इतना ही नहीं आपको तुलसी और शालिग्राम को तिलक भी लगाना चाहिए।

इसके बाद आपको 11 बार तुलसी जी परिक्रमा भी करनी चाहिए।

तुलसी पूजन के बाद आपको माँ को मिठाई का भोग लगाना चाहिए साथ ही इस प्रसाद को सभी में बाँट देना चाहिए।

तुलसी पूजन होने के बाद शाम को आपको भगवान् विष्णु को निद्रा से उठाने का आह्वान करना होगा।

तुलसी विवाह के मंत्र

तुलसी विवाह के दिन आपको कुछ ज़रूरी मन्त्रों का जाप करना चाहिए। आइये जानते हैं कौन से हैं ये मंत्र।

तुलसी स्तुति मंत्र - देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः। नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

तुलसी में जल डालते समय के दौरान आप इस मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं - ॐ सुभद्राय नम:' मंत्र का 11 या 21 बार जाप करें।

महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।

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