शिव व पार्वती का प्रतीक है शिवलिंग, तो भी कुवांरी कन्या का इनके पूजन पर है रोक,जानिए रहस्य

देवों के देव महादेव देवताओं में सबसे श्रेष्ठ हैं। जब भगवान शिव की पूजा की जाती है तो विधि-विधान का बहुत ख्याल रखना पड़ता है। समस्त जगत के प्राणी शिव की पूजा सावधानी के साथ करते हैं, लेकिन क्या अविवाहित लड़कियों को शिव की पूजा करनी चाहिए।

Update: 2019-08-06 10:05 GMT

जयपुर: देवों के देव महादेव देवताओं में सबसे श्रेष्ठ हैं। जब भगवान शिव की पूजा की जाती है तो विधि-विधान का बहुत ख्याल रखना पड़ता है। समस्त जगत के प्राणी शिव की पूजा सावधानी के साथ करते हैं, लेकिन क्या अविवाहित लड़कियों को शिव की पूजा करनी चाहिए। हां अविवाहित भी भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा एक साथ कर सकती हैं।

शिवलिंग छूने पर मनाही

शिवलिंग को योनि जो देवी शक्ति का प्रतीक के रुप में ही पूजा जाता है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग की पूजा सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं और कुंवारी लड़कियां नहीं। इसके पीछे कारण है...

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मां पार्वती के साथ कर सकती है शिव की पूजा

कहा गया है कि अविवाहित महिलाओं को शिवलिंग के पास इसलिए नहीं आना चाहिए, क्योंकि शिव सबसे पवित्र और हर वक्‍त तपस्या में लीन रहते थे।

शिव मंदिरों में ध्यान और पूजा की जाती है इसलिए ये जगह बहुत पवित्र और आध्यात्मिक मानी जाती है। इसलिए इस जगह पर अकेली लड़कियों का आना मना होता है।

ये माना जाता है कि अनजाने में भी कई गलती बहुत बड़े विनाश का कारण बनती है। इसलिए पुरानी मान्यताओं के अनुसार महिलाओं का शिवलिंग के पास जाना वर्जित है।

अगर अविवाहित लड़कियों को पूजा करना हैं तो शिव और माता पार्वती के साथ करना चाहिए।

शिव की तरह पति चाहती है लड़कियां

कई महिलाएं लगातार 16 सोमवार व्रत रखती हैं। इस व्रत को रखने से कुंवारी लड़कियों को अच्छा वर मिलता है। वहीं विवाहित महिलाओं के पति अच्छे विचारों वाले होते हैं।

सोमवार को भगवान शिव का दिन मानते है। जैसा कि तीनों लोकों में भगवान शिव को एक आदर्श पति माना जाता है। इसलिए अविवाहित नारी सोमवार का व्रत रखती हैं और भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं उन्हें शिव के समान ही पति परमेश्वर मिले।वैसे भगवान शिव का ये व्रत किसी भी सोमवार को रखा जा सकता है, लेकिन सावन मास में जो कोई भी इस व्रत को रखता है उसे भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है।

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अलग-अलग पूजा का विधान

पूरे देश में शिव पूजा का अलग-अलग विधान हैं। दक्षिण भारत में मंदिर के भीतर पूजा सिर्फ मंदिर का पुजारी ही कर सकता है। दूसरे लोगों को ये पूजा करने की इजाजत नहीं है। वहीं उत्तर में पूजा खुद श्रद्धालू करते हैं।

घरेलू पूजा में दक्षिण भारत में पुरुष भगवान शिव या शालिग्राम का अभिषेक करते हैं, वहीं महिला अभिषेक के लिए चढ़ाए जाने वाली वस्तुओं को पुरुष को देने का काम करती है। वहां सीधे महिलाएं भगवान का स्पर्श नहीं कर सकती है।

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