Vaisakha Month 2022 Date Start : वैशाख महीना 2022 हो चुका है शुरू , जानिए धार्मिक महत्व और इसमें पड़ने वाले त्योहार

Vaisakha Month 2022 Date Start:स्कंद पुराण में वैशाख मास को सभी महीनों में उत्तम बताया गया है। पुराणों में कहा गया है कि जो व्यक्ति इस महीने में सूर्योदय से पहले स्नान करता है और व्रत रखता है। वो कभी दरिद्र नहीं होता। उस पर भगवान की कृपा बनी रहती है

Published By :  Suman Mishra | Astrologer
Update:2022-04-18 08:16 IST

सांकेतिक तस्वीर,सौ.से सोशल मीडिया

Vaisakha Month 2022 Date Start

वैशाख महीना कब से शुरू है 2022

17 अप्रैल 2022 से हिंदू पंचांग का दूसरा मास वैशाख शुरू हो रहा है। यह मास श्री विष्णु(Lord Vishnu) को अतिप्रिय है। इसलिए इस माह को सबसे शुभ माना गया है। विशाखा नक्षत्र से संबंध होने की वजह से इसे वैशाख महीना कहा जाता है। इस माह में खास तौर पर गंगा स्नान करने की खास अहमियत होती है। हालांकि कोरोना महामारी (Coronavirus) के कारण आप घर पर रहें और नहाने के पाने में थोड़ा सा गंगाजल(GangaWater) मिलाकर स्नान कर सकते हैं।हिंदू धर्म में हर मास को भगवान से जोड़कर देखा गया है और उसी के अनुसार काम किए जाते हैं। इसकी के अनुसार अभी चल रहे वैशाख में भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है। इन दिनों में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान और पूजा की जाती है।

वैशाख के बारे में क्या कहते हैं धर्मग्रंथ 

इस महीने के बारे में धर्म ग्रंथों में लिखा है कि-

न माधवसमो मासों न कृतेन युगं समम्।

न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्।।

(स्कंदपुराण, वै. वै. मा. 2/1)

अर्थात वैशाख के समान कोई महीना नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। स्वयं ब्रह्माजी ने वैशाख को सब मासों से सर्वोत्तम है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला इसके समान दूसरा कोई मास नहीं है। जो भी इस मास में सूर्योदय से पहले स्नान करता है, उसपर भगवान विष्णु की विशेष कृपा रहती है। सभी दानों से जो पुण्य होता है और सब तीर्थों में जो फल मिलता है, उसी को मनुष्य वैशाख मास में केवल जलदान करके प्राप्त कर लेता है। अगर कोई इस मास में जलदान नहीं कर सकता। यदि वह दूसरों को जलदान का महत्व समझाए, तो भी उसे श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है। जो मनुष्य इस मास में प्याऊ लगाता है, वह स्वर्ग को जाता है।

स्कंद पुराण में वैशाख मास को सभी महीनों में उत्तम बताया गया है। पुराणों में कहा गया है कि जो व्यक्ति इस महीने में सूर्योदय से पहले स्नान करता है और व्रत रखता है। वो कभी दरिद्र नहीं होता। उस पर भगवान की कृपा बनी रहती है और उसे सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। क्योंकि इस महीने के देवता भगवान विष्णु ही है। वैशाख महीने में जल दान का विशेष महत्व है।

वैशाख माह के खास नियम

प्रातः उठकर स्नान करना चाहिए। इसके पश्चात् जल में थोड़ा तिल मिलाकर प्रभु श्री विष्णु की उपासना करें। जल का दान करें। माह की दोनों एकादशियों का पालन करें। कहा जाता है कि इस महीने में राहगीरों को पानी पिलाने से सभी धर्म तथा तीर्थ यात्रा करने का पुण्य प्राप्त होता है। इन सभी उपायों को अपनाकर हम पुण्य के साथ-साथ मानसिक संतुष्टि भी पा सकते है।

स्कंदपुराण के अनुसार, महीरथ नाम के राजा ने केवल वैशाख स्नान से ही वैकुण्ठधाम प्राप्त किया था। इस महीने में सूर्योदय से पहले किसी तीर्थ स्थान, सरोवर, नदी या कुएं पर जाकर या घर पर ही नहाना चाहिए। घर में नहाते समय पवित्र नदियों का नाम जपना चाहिए। नहाने के बाद सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। क्या करें- वैशाख मास में जल दान का विशेष महत्व है। यदि संभव हो तो इन दिनों में प्याऊ लगवाएं या किसी प्याऊ में मटके का दान करें। किसी जरुरतमंद व्यक्ति को पंखा, खरबूजा, अन्य फल, अन्न आदि का दान करना चाहिए। मंदिरों में अन्न और भोजन दान करना चाहिए। इस महीने में ब्रह्मचर्य का पालन और सात्विक भोजन करना चाहिए। वैशाख महीने में पूजा और यज्ञ करने के साथ ही एक समय भोजन करना चाहिए।

वैशाखे मेषगे भानौ प्रात: स्नानपरायण:।

अर्ध्य तेहं प्रदास्यामि गृहाण मधुसूदन।।...

वैशाख महीने में क्या नहीं करें

इस महीने में मांसाहार, शराब और अन्य हर तरह के नशे से दूर रहें। वैशाख माह में शरीर पर तेल मालिश नहीं करवानी चाहिए। दिन में नहीं साेना चाहिए। कांसे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए। रात में भोजन नहीं करना चाहिए और पलंग पर नहीं सोना चाहिए।

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वैशाख महीने में खान पान

इस माह में बहुत ज्यादा गर्मी होती है। इसलिए मौसमी बीमारियों का संकट अधिक बढ़ जाता है। इस महीने में पीने वाली चीजों का सेवन करना चाहिए। जहां तक संभव हो सत्तू तथा रसदार फलों का सेवन करना चाहिए। अधिक समय तक सोना भी नहीं चाहिए।

वैशाख मास में शिवलिंग के ऊपर गलंतिका (एक मटकी जिसमें से बूंद-बूंद पानी टपकता रहता है) बांधी जाती है। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान शिव के गले में जो विष है, उसके कारण उनके शरीर की गर्मी बहुत बढ़ जाती है। इसी को शांत करने के लिए शिवलिंग पर गलंतिका बांधी जाती है।

वैशाख में करें मंत्रों का ध्यान

एक साल में 12 महीने होते हैं। प्रत्येक महीने के स्वामी एक विशेष देवता माने गए हैं। उनके पूजन की विधि भी अलग बताई गई है। उसके अनुसार वैशाख मास के स्वामी भगवान मधुसूदन हैं। धर्मानुसार सूर्यदेव के मेष राशि में आने पर भगवान मधुसूदन को प्रसन्न करने के लिए वैशाख मास में स्नान का व्रत लेना चाहिए। स्नान के बाद भगवान मधुसूदन की पूजा करना चाहिए। इसके बाद भगवान मधुसूदन से इस प्रकार प्रार्थना करनी चाहिए-

मधुसूदन देवेश वैशाखे मेषगे रवौ।

प्रात:स्नानं करिष्यामि निर्विघ्नं कुरु माधव।।

वैशाखे मेषगे भानौ प्रात:स्नानपरायण:।

अर्ध्य तेहं प्रदास्यामि गृहाण मधुसूदन।।

वैशाख माह के प्रमुख त्योहार

19 अप्रैल- संकट चतुर्थी, अंगारक चतुर्थी, चंद्रोदय रात्रि 9.45 बजे

21 अप्रैल- रवियोग रात्रि 9.52 से

22 अप्रैल- भद्रा प्रात: 8.43 से सायं 7.36 तक, रवियोग रात्रि 8.13 तक

23 अप्रैल- कालाष्टमी, सर्वार्थसिद्धि सायं 6.54 से तड़के 6.02 तक

24 अप्रैल- पंचक प्रारंभ रात्रि 4.29 से, बुध वृषभ में रात्रि 12.17 से

25 अप्रैल- भद्रा दोप. 2.17 से रात्रि 1.40 तक, पंचक्रोशी यात्रा प्रारंभ

26 अप्रैल- वरूथिनी एकादशी, वल्लभाचार्य जयंती

27 अप्रैल- शुक्र मीन में सायं 6.16 से

28 अप्रैल- प्रदोष व्रत

29 अप्रैल- मास शिवरात्रि, शनि कुंभ में प्रात: 7.52 से

30 अप्रैल- शनैश्चरी अमावस्या, पंचक्रोशी यात्रा पूर्ण

2 मई- चंद्रदर्शन, शिवाजी जयंती

3 मई- परशुराम जयंती, अक्षय तृतीया

4 मई- विनायक चतुर्थी 6 मई- आद्य शंकराचार्य जयंती

7 मई- रामानुजाचार्य जयंती

8 मई- श्री गंगा जन्म, रवि पुष्य प्रात: 5.53 से दोप. 2.58 तक

10 मई- सीता नवमी, बुध वक्री 

12 मई- मोहिनी एकादशी व्रत

13 मई- प्रदोष व्रत, बुध अस्त पश्चिम में

14 मई- नृसिंह जयंती, सूर्य वृषभ में

15 मई- सत्यनारायण व्रत, कूर्म जयंती

16 मई- सोमवती पूर्णिमा, बुद्ध जयंती, जलकुंभदान, वैशाख स्नान पूर्ण

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