Vaishakh Shukla Saptami:वैशाख शुक्ल सप्तमी

Vaishakh Shukla Saptami: अत: वैशाख शुक्ल सप्तमी को पृथ्वी पर उनका आविर्भाव दिवस माना जाता है

Report :  Kanchan Singh
Update:2024-05-31 13:12 IST

Vaishakh Shukla Saptami ( Social Media Photo)

Vaishakh Shukla Saptami: यद्यपि भगवती गङ्गा का अवतरण गङ्गादशहरा का हुआ था,तथापि कोपवश महर्षि जह्नु ने मार्ग में उनका पान किया,जिससे वह विलुप्त हो गयी।राजा भगीरथ के अनुरोध पर महर्षि जह्नु ने वैशाख शुक्ल सप्तमी को उन्हें पुनः स्वकर्णरन्ध्र से निर्गत किया।_महर्षि जह्नु के दक्षिण कर्णरन्ध्र से समुद्भूत होने से भगवती गङ्गा जह्नुसुता तथा जाह्नवी आदि के नामों से विश्वविख्यात हुई।

अत: वैशाख शुक्ल सप्तमी को पृथ्वी पर उनका आविर्भाव दिवस माना जाता है।वैशाखे शुक्लसप्तम्यां जह्नुना जाह्नवी पुरा।कोपात् पीता पुनस्त्यक्ता कर्णरन्ध्रात् तु दक्षिणात्।‌।( निर्णयसिन्धु, द्वितीय परिच्छेद, पृ०७४, चौखम्भा विद्याभवन )माँ गँगा केवल नदी ही नहीं,अपितु भारतीय संस्कृति का प्राणतत्त्व एवं अमृतत्व का अमूर्त प्रवाह है।ब्रह्म-द्रव से संयुक्त अपनी निर्मल-दिव्य जलधाराओं द्वारा युग-युगांतर से त्रिविध तापों का शमन कर जैव उद्धार के लिए नित्य तत्पर भगवती भागीरथी भारत की धार्मिक-सांस्कृतिक-आध्यात्मिक संचेतना का मूल आधार है।गँगा को प्रदूषित करने का अर्थ अपने सांस्कृतिक प्रतिमानों व अस्तित्व पर कुठाराघात करना है।अतः माँ गँगा की अविरलता-निर्मलता-सातत्य की रक्षा करें।

 जय गुरुदेव जी भगवान

मेरे प्रथम देव मेरे आराध्य परम पूज्य महामण्डलेश्वर डॉ स्वामी नारदा नंद जी महाराज शक्तिपाताचार्य सिद्धाश्रम क्षिप्रा तट रामघाट नृसिंह घाट के मध्य झालरिया मठ के बगल हरसिद्धि माता मंदिर के पीछे विश्व का सबसे बड़ा 2500 केजी का पारद शिवलिंग टेंपल अवंतिकापुरी महाकाल उज्जैन म. प्र. भारत के पावन श्री चरणों में कोटि कोटि नमन वंदन प्रणाम कर्ता हूँ

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