Vat Savitri Puja: वट पूजन व्रत कथा

Vat Savitri Puja: किसी के मन में वट पूजन रूढि है, तो रूढि ही सही और सावित्री-सत्यवान की कहानी काल्पनिक है तो काल्पनिक ही सही, किन्तु बात तो परिवार के उस आधारभूत संबंध की है

Update: 2024-06-23 11:10 GMT

Vat Savitri Puja

Vat Savitri Puja: बड़मावस पर ग्राम-नगर में अनेक स्थानों पर वट-वृक्ष की पूजा हो रही है, वट पूजन करके बड़ी-बूढ़ी सावित्री-सत्यवान की कहानी सुनाती हैं, जिसमें सावित्री के तेज के सामने बेचारे यमराज का विधान शिथिल हो जाता है और सत्यवान पुनर्जीवित हो जाता है। दाम्पत्यसंबंध जनम-जनम का साथ माना जाता है।क्या समस्त सामाजिकता का आधार दाम्पत्यसंबंध ही नहीं है ? कितना तेजस्वी संबंध है ?

यदि किसी के मन में वट पूजन रूढि है, तो रूढि ही सही और सावित्री-सत्यवान की कहानी काल्पनिक है तो काल्पनिक ही सही, किन्तु बात तो परिवार के उस आधारभूत संबंध की है, बात तो उस भरोसे की है, जो पर्वत जैसा अडिग है। यह भरोसा जीवनीशक्ति है। वह अपराजित शक्ति, जो कदम-कदम पर सहारा देती है।

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