Vijaya Ekadashi 2025 Date: श्रीराम ने इस व्रत को किया था, इससे सुख-समृद्धि के साथ मिलती है सफलता, जानिए कब है विजया एकादशी

Vijaya Ekadashi 2025 Kab Hai Date: विजया एकादशी के दिन व्रत करने से विष्णु पुराण व गीता के अनुसार, भय और पापों से मुक्ति मिलती है व हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। जानते है कब है..;

Update:2025-02-18 10:55 IST

Vijaya Ekadashi 2025 Date विजया एकादशी 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। वर्षभर में 24 एकादशी तिथियां आती हैं, जिनमें से फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से सफलता और विजय प्राप्ति के लिए किया जाता है।

विजया एकादशी 2025 कब है?

 विजया एकादशी तिथि 23 फरवरी 2025, रविवार को दोपहर 01:55 बजे प्रारंभ होगी और 24 फरवरी, सोमवार को दोपहर 01:44 बजे समाप्त होगी।  एकादशी तिथि का सूर्योदय 24 फरवरी को हो रहा है, इसलिए इसी दिन व्रत रखा जाएगा।

विजया एकादशी 2025 के शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त - 12:17 PM – 01:02 PM

अमृत काल - 02:06 PM – 03:43 PM

ब्रह्म मुहूर्त - 05:19 AM – 06:07 AM

त्रिपुष्कर योग - Feb 25 06:55 AM - Feb 25 12:47 PM

सुबह: 09:43 बजे से 11:09 बजे तक

दोपहर: 02:00 बजे से 05:26 बजे तक

शाम: 04:52 बजे से 06:18 बजे तक

रात्रि: 06:18 बजे से 07:42 बजे तक

विजया एकादशी 2025 पारण समय- 25 फरवरी, सुबह 06:50 बजे से 09:10 बजे तक

विजया एकादशी की पूजा विधि

व्रत के दिन 23 फरवरी की रात सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर हाथ में जल, चावल और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प करें।किसी पवित्र स्थान पर गंगाजल छिड़ककर सफाई करें और लकड़ी का आसन रखें।फेद वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।दीप प्रज्वलित कर पुष्प, चंदन, रोली, अबीर, गुलाल आदि से भगवान का पूजन करें।

"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः" मंत्र का जाप करें।तुलसी पत्तों सहित भगवान को भोग अर्पित करें और आरती करें। पूर्ण उपवास करें, यदि आवश्यक हो तो फलाहार या दूध ग्रहण करें। दिनभर भजन-कीर्तन करें और रात्रि में जागरण करें।

विजया एकादशी व्रत का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। भगवान श्रीराम ने भी लंका पर विजय पाने के लिए इस व्रत का पालन किया था। अतः जो भी श्रद्धालु इस एकादशी का व्रत रखते हैं, उन्हें अपने कार्यों में निश्चित ही विजय प्राप्त होती है।

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