विष योग क्या है,कब बनता है, जानिए इससे बचने के उपाय

Vish Yog in Kundli: कुंडली के अच्छे-बुरे योगों का प्रभाव जातक की कुंडली पर पड़ता है। कुंडली में कई योग होता है, इनमें एक है विष योग, यह कब बनता है, इसके फायदे और नुकसान क्या है और इससे बचने के उपाय क्या है जानते है...

Update:2024-07-13 11:15 IST

Vish Yog Kya Hota Hai: हर जातक की जन्म कुंडली में शुभ और अशुभ योग होते हैं। शुभ योग जहां सुख देते है। वहीं अशुभ योग समस्याओं को बढ़ावा देता है। ऐसा ही एक अशुभ विष योग है। जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में विष योग बनता है, तो उस पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है। जीवन में एक के बाद एक संकट आते रहते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि कुंडली में विष योग कैसे बनता है। इससे बचने के उपाय क्या हैं।

किसी भी जातक की कुंडली में विष-योग का निर्माण शनि और चन्द्रमा के कारण बनता है। शनि और चन्द्र की जब युति होती है तब विष-योग बनता है। कुंडली में विष-योग उत्पन्न होने के कारण लग्न में अगर चन्द्रमा है और चन्द्रमा पर शनि की 3, 7 अथवा 10वें घर से दृष्टि होने पर भी इस योग का निर्माण होता है।

कुंडली में विष योग कब बनता है

कर्क राशि में शनि पुष्य नक्षत्र में हो और चन्द्रमा मकर राशि में श्रवण नक्षत्र का रहे अथवा चन्द्र और शनि विपरीत स्थिति में हों और दोनों अपने-अपने स्थान से एक-दूसरे को देख रहे हो तो तब भी विष-योग की स्थिति बन जाती है। यदि कुंडली में 8वें स्थान पर राहु मौजूद हो और शनि (मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक) लग्न में हो तब भी विष-योग की स्थिति बन जाती है।

ज्योतिष में चंद्रमा और शनि की युति से विष योग बनता है। जब शनि और चंद्र एक दूसरे के साथ गोचर करते हैं, तो इस अशुभ योग का प्रभाव बढ़ जाता है। इससे जातक के जीवन में समस्याएं आती हैं। जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है उसे हमेशा अशुभ फल मिलते हैं।

विष योग का प्रभाव

परिवार में सुख शांति खत्म-सी हो जाती है। हर रोज लड़ाई रहने लगती है, जातक सभी को परेशान करने लगता है। जातक में कई प्रकार का बदलाव होने लगता है।बच्चे शिक्षा से दूर होने लगते हैं। पढ़ाई में मन नहीं लगता और वे गलत कामों की ओर अग्रसर होने लगते हैं।मनुष्य अपनी शुद्ध भूल जाता है और पाप कर्म की ओर बढ़ने लगता है। जिससे उसके जीवन में जहर घोलने वाले भी पीछे नहीं हटते संबंधी सहित दोस्त भी साथ छोड़ देते हैं।जातक के दुश्मन बनने लगते हैं। मनुष्य जीवन से दुखी होकर कई बार घर से जाने की भी ठान लेता है।

विष योग के फायदे 

विष योग के कुछ फायदे भी होते हैं।

इस योग के कुंडली में बनने के बाद आप ध्यान लगाकर अपना सारा कार्य करते हैं।विष योग वाले जातक बाकी लोगों के प्रति दयालु भाव रखता है।विष योग के कुंडली में बनने के बाद जातक अकेले रहना ज्यादा पसंद करते हैं।विष योग वाले अकेले काफी खुश भी रहते हैं।साथ ही जातक के पास जो भी द होता है, वह उसमें खुश रहना जानते हैं।

विष योग के नुकसान

जन्म कुंडली में विष योग से आर्थिक, करियर और स्वास्थ्य के मोर्चे पर नुकसान होता है। तनाव और चिंता जीवन को पूरी तरह बर्बाद कर देती है। आपसी संबंधों में कड़वाहट आने लगती है। वैवाहिक जीवन टूट जाता है। परिवार से सुख शांति खत्म हो जाती है। हर रोज लड़ाई-झगड़े होते है। व्यक्ति से सभी लोग परेशान रहने लगते हैं। जातक में कई प्रकार का बदलाव होने लगता है। बच्चे पढ़ाई से दूर होने लगते हैं। गलत कामों की ओर अग्रसर हो जाते है। मनुष्य पाप कर्म की ओर बढ़ने लगता है। दुश्मन बनने लगते हैं।ह योग मृत्यु, भय, दुख, अपमान, रोग, दरिद्रता, दासता, बदनामी, विपत्ति, आलस और कर्ज जैसे अशुभ योग उत्पन्न करता है तथा इस योग से जातक (व्यक्ति) नकारात्मक सोच से घिरने लगता है और उसके बने बनाए कार्य भी काम बिगड़ने लगते हैं।

विष योग से बचने के उपाय

शनि और चन्द्रमा होने से इस योग से ग्रसित जातक को शिवजी और हनुमानजी की पूजा से विशेष लाभ मिलता है। विष-योग की पीड़ा को कम करने के 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का नित्य रोज (सुबह-शाम) कम से कम 108 बार करना चाहिए। शिव भगवान के महामृत्युंजय मंत्र का जाप, प्रतिदिन (5 माला जाप) करने से भी पीड़ा कम हो जाती है।

हनुमानजी की पूजा करने, हनुमान चालीसा और संकटमोचन हनुमान की आराधना से भी इस योग से होने वाली पीड़ा शांत होती है। इसी प्रकार शनिवार को शनिदेव का संध्या समय तेलाभिषेक करने से भी पीड़ा कम हो जाती है।

 शिवलिंग का जलाभिषेक करना चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ करें। सोमवार और शनिवार को महादेव और शनि की पूजा करनी चाहिए। साथ ही शिव चालीसा का जाप करने से लाभ होगा।

 पीपल वृक्ष के नीचे नारियल को सात बार अपने सिर से उतारकर फोड़ना चाहिए। वहीं प्रसाद के रूप में सभी को वितरित करें। हर शनिवार को शनि मंदिर जाए और दीपक जलाएं।

 शनिवार को पीपल पर तेल और काली उड़द चढ़ाएं। साथ ही ऊँ शनिश्चराय नमः का जाप करें। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। विष योग के प्रभाव से बचने के लिए महादेव को प्रसन्न करें।

 सोमवार और शनिवार को व्रत रखें। गरीबों को भोजन खिलाने से जल्द विष योग से छुटकारा पा सकते है।

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