Vishwakarma Puja 2021 Date & time : इस शुभ योग में करें विश्वकर्मा पूजा, होगा लाभ, जानिए पूजा विधि और धार्मिक कथा

Vishwakarma Puja 2021 Date & time : ऋग्वेद के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ही देव शिल्पी के नाम से जानते हैं। कहा जाता है कि सभी पौराणिक संरचनाएं भगवान विश्वकर्मा के द्वारा ही की गई थी।

Published By :  Suman Mishra | Astrologer
Update:2021-09-15 14:54 IST

सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Vishwakarma Puja 2021 Date & time 

दुनिया के पहले इंजीनियर सम्पूर्ण विश्व के रचयिता भगवान विश्‍वकर्मा  (Bhagwan Vishwakarma ) का जन्म दिवस 17 सितंबर को मनाया जाता है। उन्हें सृजन का देवता माना जाता है। आज 17 सितंबर को पूरे देश में विश्‍वकर्मा जयंती मनाया जाता है। इस दिन भगवान विश्‍वकर्मा की पूजा करने से व्यापार में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की होती है।

ऋग्वेद के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ही देव शिल्पी के नाम से जानते हैं। कहा जाता है कि सभी पौराणिक संरचनाएं भगवान विश्वकर्मा के द्वारा ही की गई थी। पौराणिक युग के सभी अस्त्र-शस्त्र भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाए थे। वज्र का निर्माण भी उन्होंने ही किया था।


विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त

भगवान विश्वकर्मा का पूजन 17 सितंबर शुक्रवार को सुबह 6:07 से 18 सितंबर शनिवार को 3:36 तक कर सकते हैं। इस दिन केवल राहुकाल के समय पूजा नहीं की जाती है। 17 सितंबर को राहुकाल सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक रहेगा। इस दिन सवार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। श्रवण औ धनिष्ठा नक्षत्र के साथ अतिगंड योग बन रहा है।


विश्वकर्मा पूजा की पूजा विधि

इस दिन कन्या संक्रांति की शुरुआत के साथ श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र पड़ रहा है तो सुबह स्नानादि करने के बाद अच्छे कपड़े पहनकर भगवान विश्कर्मा की मूर्ति या तस्वीर सामने बैठ जाएं। भगवान विश्वकर्मा की पूजा आरती करने के बाद पूजा सामग्री जैसे- अक्षत, हल्दी, फूल, पान, लौंग, सुपारी, मिठाई, फल, धूप दीप और रक्षासूत्र आदि से विधिवत पूजा करें। भगवान विश्वकर्मा की पूजा के बाद सभी हथियारों को हल्दी चावल लगाएं। इसके बाद कलश को हल्दी चावल व रक्षासूत्र चढ़ाएं। इसके बाद पूजा मंत्रों का उच्चारण करें। पूजा संपन्न होने के बाद कार्यालय के सभी कर्मचारियों या पड़ोस के लोगों को प्रसाद वितरण करें। मान्यता है कि हर साल मशीनों और औजारों की पूजा करने से वे जल्दी खराब नहीं होते। मशीने अच्छा चलती हैं क्योंकि भगवान विश्वकर्मा की कृपा उन पर बनी रहती है।


भगवान विश्वकर्मा दुनिया के सबसे पहले इंजीनियर

धार्मिक ग्रंथों में विष्णु पुराण में तो भगवान विश्‍वकर्मा को देव बढ़ई कहा गया है। भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है, उन्हें दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर भी कहा जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार विश्वकर्मा ने कन्या संक्रांति के दिन जन्म लिया था। इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें पुत्र के रुप में जन्म लिया था। शिल्पकार जो इंजीनियरिंग के काम में जुड़े है । उन्हें अपना आराध्य मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं।


विश्वकर्मा पूजा से जुड़ी धार्मिक कथा

मान्यता है कि सोने की लंका का निर्माण उन्होंने ही किया था। विश्वकर्मा हस्तशिल्पी कलाकार थे। हर साल विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। इसलिए इसे विश्वकर्मा जयंती भी कहते हैं। इस साल विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर 2021 को शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। भगवान विश्वकर्मा ने ही देवताओं के लिए अस्त्रों, शस्त्रों, भवनों और मंदिरों का निर्माण किया था। उन्होंने सृष्टि की रचना में भगवान ब्रह्मा की सहायता की, इसके बाद उन्हें दुनिया का पहला शिल्पकार माना जाता है।

माना जाता है कि विश्वकर्मा ने ही लंका का निर्माण किया था। एक बार भगवान शिव ने माता पार्वती के लिए एक महल का निर्माण करने को भगवान विश्वकर्मा को कहा उसके बाद विश्वकर्मा जी ने सोने का महल शिव भगवान को बना दिया। इस महल के गृह प्रवेश के दौरान भगवान शिव ने रावण को पंडित के रुप में बुलाया। रावण शिव जी के सोने के महल देखकर मंत्रमुग्ध हो गया।

फिर जब शिव ने रावण को दक्षिणा में कुछ लेने कहा, तब उसने महल ही मांग लिया। जिसके बाद भगवान शिव ने महल दे दिया और वापस पर्वत पर चले गए। महाभारत में पांडव जहां रहते थे उस जगह को इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था, इसे भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था। कौरव के हस्तिनापुर और भगवान कृष्ण की द्वारका का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था।

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