Vishwakarma Puja Ka Mahtava: क्यों मनाते हैं विश्वकर्मा पूजा, क्या है महत्व,जानिए कौन दुनिया के पहले इंजीनियर और उनकी कहानी
Vishwakarma Puja Ka Mahtava:भगवान विश्वकर्मा को देव बढ़ई कहा गया है। भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है,जानते हैं इस पूजा का महत्व....
Vishwakarma Puja Ka Mahtava विश्वकर्मा पूजा का महत्व : सनातन धर्म में सम्पूर्ण विश्व के रचयिता भगवान विश्वकर्मा को सृजन का देवता माना जाता है।आज 17 सितंबर को पूरे देश में विश्वकर्मा जयंती मनाया जाता है।इस तिथि को हर साल विश्वकर्मा जयंती धूमधाम से विभिन्न राज्यों में, खासकर औद्योगिक क्षेत्रों, फैक्ट्रियों, लोहे की दुकान, वाहन शोरूम, सर्विस सेंटर में होती है। इस मौके पर मशीनों, औजारों की सफाई एवं रंगरोगन किया जाता है। इस दिन ज्यादातर कल-कारखाने बंद रहते हैं और लोग हर्षोल्लास के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। ऋग्वेद के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ही देव शिल्पी के नाम से जानते हैं। कहा जाता है कि सभी पौराणिक संरचनाएं भगवान विश्वकर्मा के द्वारा ही की गई थी।पौराणिक युग के सभी अस्त्र-शस्त्र भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाए थे। वज्र का निर्माण भी उन्होंने ही किया था।इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यापार में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की होती है।
भगवान विश्वकर्मा दुनिया के सबसे पहले इंजीनियर थे
विष्णु पुराण में तो भगवान विश्वकर्मा को देव बढ़ई कहा गया है। भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है, उन्हें दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर भी कहा जाता है। विद्वानों केे अनुसार इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें पुत्र के रुप में जन्म लिया था।
भगवान विश्वकर्मा ने किया था सोने की लंका का निर्माण
मान्यता है कि सोने की लंका का निर्माण उन्होंने ही किया था। विश्वकर्मा हस्तशिल्पी कलाकार थे। हर साल विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। इसलिए इसे विश्वकर्मा जयंती भी कहते हैं। इस साल विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर 2023 को रविवार के दिन आज मनाई जा रही है। भगवान विश्वकर्मा ने ही देवताओं के लिए अस्त्रों, शस्त्रों, भवनों और मंदिरों का निर्माण किया था। उन्होंने सृष्टि की रचना में भगवान ब्रह्मा की सहायता इसके बाद उन्हें दुनिया का पहला शिल्पकार माना जाता है। शिल्पकार खासकर इंजीनियरिंग काम में लगे लोग उन्हें अपना आराध्य मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
माना जाता है कि विश्वकर्मा ने ही लंका का निर्माण किया था। एक बार भगवान शिव ने माता पार्वती के लिए एक महल का निर्माण करने को भगवान विश्वकर्मा को कहा तभी विश्वकर्मा जी ने इस महल को बना दिया। इस महल के गृह प्रवेश के दौरान भगवान शिव ने रावण को बुलाया। रावण महल देखकर मंत्रमुग्ध हो गया।
फिर जब शिव ने रावण को दक्षिणा में कुछ लेने कहा, तब उसने महल ही मांग लिया। जिसके बाद भगवान शिव ने महल दे दिया और वापस पर्वत पर चले गए। महाभारत में पांडव जहां रहते थे उस जगह को इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था, इसे भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था। कौरव के हस्तिनापुर और भगवान कृष्ण की द्वारका का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था।
जानिए भगवान विश्वकर्मा से जुड़ी कथा
विश्वकर्मा भगवान को शास्त्रों में कई कथाएं है. कहा जाता है कि सृष्टि को संवारने की जिम्मेदारी ब्रह्मा जी ने भगवान विश्वकर्मा को दी थी. ब्रह्मा जी को अपने वंशज और भगवान विश्वकर्मा की कला पर पूर्ण विश्वास था. जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया तो वह एक विशालकाय अंडे का आकार की थी. कहा जाता है कि उस अंडे से ही सृष्टि की उत्पत्ति हुई. कहते है कि बाद में ब्रह्माजी ने इसे शेषनाग की जीभ पर रख दिया. शेषनाग के हिलने से सृष्टि को नुकसान होता था. इस बात से परेशान होकर ब्रह्माजी ने भगवान विश्वकर्मा से इसका उपाय पूछा. भगवान विश्वकर्मा ने मेरू पर्वत को जल में रखवा कर सृष्टि को स्थिर कर दिया. भगवान विश्वकर्मा का निर्माण क्षमता और शिल्पकला से ब्रह्माजी बेहद प्रभावित हुए. तभी से भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर और वास्तुकार मनाते है.
विश्वकर्मा पूजा की विधि
विश्वकर्मा पूजा के दिन स्नानादि करने के बाद अच्छे कपड़े पहनकर भगवान विश्कर्मा की मूर्ति या तस्वीर सामने बैठ जाएं। भगवान विश्वकर्मा की पूजा आरती करने के बाद पूजा सामग्री जैसे- अक्षत, हल्दी, फूल, पान, लौंग, सुपारी, मिठाई, फल, धूप दीप और रक्षासूत्र आदि से विधिवत पूजा करें। भगवान विश्वकर्मा की पूजा के बाद सभी हथियारों को हल्दी चावल लगाएं। इसके बाद कलश को हल्दी चावल व रक्षासूत्र चढ़ाएं। इसके बाद पूजा मंत्रों का उच्चारण करें। पूजा संपन्न होने के बाद कार्यालय के सभी कर्मचारियों या पड़ोस के लोगों को प्रसाद वितरण करें। मान्यता है कि हर साल मशीनों और औजारों की पूजा करने से वे जल्दी खराब नहीं होते। मशीने अच्छा चलती हैं क्योंकि भगवान विश्वकर्मा की कृपा उन पर बनी रहती है।
विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त
इस दिन विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर 2023 दिन रविवार को की जाएगी। वैसे तो शिल्पकार विश्वकर्मा की पूजा दिनभर की जाती है लेकिन इनकी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा में भूलकर भी न करें गलती
इस दिन जीवन में जिन औजारों का इस्तमाल करते है, उन्हें विश्वकर्मा पूजा के दिन साफ करना आवश्यक होता है। इन औजारों को उस दिन कभी भी इधर उधर ना फेंके। यदि आप औजारों को इधर उधर फेकते है तो विश्वकर्मा भगवान क्रोधित हो सकते है। इसके साथ ही इस दिन औजारों का इस्तेमाल न तो खुद करें और ना ही दूसरे को करने दे।