Yogini Ekadashi 2022: आज की एकादशी में बाल गोपाल की भी पूजा का विशेष है महत्त्व, जानिये पूजन विधि

Yogini Ekadashi 2022: ज्योतिषाचार्यों के अनुसार महाभारत काल में विष्णु जी के अवतार श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सभी एकादशियों का महत्व बतलाया था।

Written By :  Preeti Mishra
Update:2022-06-24 13:27 IST

योगिनी एकादशी 2022 (photo: social media ) 

Yogini Ekadashi 2022: आज यानि शुक्रवार 24 जून को पुरे देश में आषाढ़ कृष्ण एकादशी या योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2022) मनाई जा रही हैं। इस दिन को सर्वार्थ सिद्धि योग भी माना जाता है।बता दें कि मान्यताओं के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए पूजा-पाठ (worship) और शुभ कर्म जल्दी सिद्ध होने वाले माने जाते हैं। गौरतलब है कि एकादशी के दिन भक्त गण खासतौर पर भगवान विष्णु (Lord Vishnu)  के लिए व्रत-उपवास करते है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़ इस तिथि पर बाल गोपाल का भी विशेष महत्त्व बताया गया है।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार महाभारत काल में विष्णु जी के अवतार श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सभी एकादशियों का महत्व बतलाया था। जबकि स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य नाम के अध्याय में भी एकादशियों के बारे में विस्तार से बताया गया है। उल्लेखनीय है कि एकदशी पर बाल गोपाल (worshiping Bal Gopal) यानी श्रीकृष्ण जी के बाल्य रूप की भी विशेष पूजा-पाठ करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।

किस प्रकार करें बाल गोपाल की पूजा 

जो भी स्त्री -पुरुष एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें इस दिन सुबह जल्दी उठकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। उसके बाद घर के मंदिर में सबसे पहले गणेश जी पूजन करना चाहिए। इसके लिए सर्वप्रथम गणेश जी को स्नान कराने के बाद उनका श्रृंगार करने के साथ हार-फूल और दूर्वा की 21 गांठ चढ़ाते हुए श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप करें। ध्यान रहे गणेश पूजन के बाद ही बाल गोपाल की पूजा करनी चाहिए।

बाल गोपाल का पहले शुद्ध जल से, फिर पंचामृत से, केसर मिश्रित दूध से और फिर शुद्ध जल से अभिषेक करना चाहिए । इसके लिए दक्षिणावर्ती शंख या चांदी के लोटे का उपयोग करना अत्यंत शुभ होता है। अभिषेक के बाद बाल गोपाल को पीले चमकीले वस्त्र, हार-फूल और आभूषण पहनाकर उनका सुंदर श्रृंगार करते हुए जनेऊ अर्पित करें। फिर नारियल और पंचामृत चढ़ाएं। उसके बाद तुलसी के पत्तों के साथ मिठाई का या माखन-मिश्री का भोग लगाकर दक्षिणा चढ़ाएं। फिर धूप-दीप जलाकर नियमपूर्वक आरती करें।

गौरतलब है कि पूजा करते समय भगवान श्रीकृष्ण के नामों का या मंत्र कृं कृष्णाय नम: का जप करते रहना बेहद जरुरी है। और फिर अंततः पूजा के अंत में जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा मांगें। फिर सब के बीच पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।

एकादशी पर सूर्यास्त के बाद भी करनी चाहिए तुलसी की पूजा

बता दें धार्मिक गुरुओं के अनुसार योगिनी एकादशी के दिन तुलसी पूजा का भी विशेष है महत्व। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार तुलसी में स्वयं भगवान् विष्णु का वास माना जाता है। चूँकि एकादशी का पर्व भगवान् विष्णु को ही समर्पित माना जाता है। इस दिन सुबह तुलसी पर जल चढ़ाने के बाद सूर्यास्त में भी द तुलसी की पूजा भी अवश्य करनी चाहिए। शाम में तुलसी के पास दीपक जलाकर परिक्रमा करना चाहिए। ध्यान रखें इस दौरान तुलसी को स्पर्श बिलकुल ना करें।

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