Bihar Caste Census: जातीय जनगणना को लेकर नीतीश पर जल्द फैसले का दबाव, BJP के तेवर से चुनौतियां बढ़ीं

Bihar Caste Census: जातीय जनगणना की मांग का शुरुआत से ही समर्थन करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए चुनौतिया लगातार बढ़ती जा रही हैं।;

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Deepak Kumar
Update:2022-05-15 20:15 IST

नीतीश कुमार (तस्वीर साभार : सोशल मीडिया)

Bihar Caste Census: जातीय जनगणना के मुद्दे पर बिहार की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। राजद नेता तेजस्वी यादव की इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद सियासी दलों के बीच इस मुद्दे को लेकर खींचतान तेज हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पटना दौरे के बाद शांत बैठे भाजपा के नेता भी एक बार फिर मुखर हो गए हैं। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की ओर से भाजपा को कटघरे में खड़ा करने के बाद भाजपा नेताओं ने भी तीखी प्रतिक्रिया जताई है। 

जातीय जनगणना की मांग का शुरुआत से ही समर्थन करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए चुनौतिया लगातार बढ़ती जा रही हैं। एक और राजद ने नीतीश पर इस मांग को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए दबाव बढ़ा दिया है तो दूसरी और भाजपा और जदयू के बीच शुरू हुई खींचतान से नीतीश की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार सियासत के माहिर खिलाड़ी हैं मगर इस मुद्दे पर वे भी असहज नजर आ रहे हैं।

नीतीश पर जल्द फैसला लेने का दबाव 

राजद नेता तेजस्वी यादव जातीय जनगणना के मुद्दे पर लगातार बोल रहे हैं और पिछले दिनों बिहार में जातीय जनगणना की मांग को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात भी की थी। उनका कहना था कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर भले ही तैयार न हो मगर नीतीश को बिहार में जातीय जनगणना कराने के अपने वादे को पूरा करना चाहिए। 

राजद के इस रुख के कारण नीतीश कुमार पर जल्द ही इस बाबत कोई फैसला लेने का दबाव बढ़ गया है। नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर जल्द ही सर्वदलीय बैठक बुलाने की बात तो कही है मगर उससे पहले ही भाजपा और जदयू के बीच इस मुद्दे पर तनातनी का माहौल दिख रहा है।

भाजपा और जदयू में आरोप-प्रत्यारोप 

राज्य में सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन में शामिल दो प्रमुख सियासी दलों के बीच तनातनी बढ़ाने में जदयू नेता उपेंद्र कुमार कुशवाहा के बयान को बड़ा कारण माना जा रहा है। कुशवाहा का कहना है कि नीतीश कुमार जातीय जनगणना के मुद्दे पर काफी गंभीर हैं मगर भाजपा के विरोधी रुख के कारण इस काम में लगातार देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार पहले ही इस मुद्दे को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाने की बात कर चुके हैं। सर्वदलीय बैठक में ही इस मुद्दे को लेकर सर्वसम्मत फैसला लिया जा सकता है मगर भाजपा की वजह से बैठक नहीं हो पा रही है।

जदयू नेता के इस बयान पर भाजपा की ओर से तीखी प्रतिक्रिया जताई गई है। भाजपा नेताओं का कहना है कि जदयू को सरकार में साथी अपने दल को इस तरीके से कटघरे में नहीं खड़ा करना चाहिए। भाजपा के प्रवक्ता रामसागर सिंह ने कहा कि आरोप लगाने से पहले उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कुमार के बयान का मतलब समझना चाहिए। नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर प्रयास शुरू होने की बात कही है और ऐसे में भाजपा को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए। 

नीतीश की चुनौतियां बढ़ीं

दरअसल तेजस्वी यादव की नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद ही भाजपा और जदयू के बीच खींचतान का दौर शुरू हो गया था। तेजस्वी के दबाव बढ़ाने पर राज्य के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह का कहना था कि तेजस्वी के इशारे पर बिहार की सरकार नहीं चलने वाली। अब उपेंद्र कुशवाहा के बयान ने आग में घी डालने का काम किया है। भाजपा और जदयू के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू होने से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुनौतियां भी बढ़ गई हैं।

नीतीश कुमार को पता है कि उनकी कुर्सी भाजपा के समर्थन पर ही टिकी हुई है। दूसरी ओर राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि बिहार में जातीय जनगणना के मुद्दे को अब टाला नहीं जा सकता। नीतीश कुमार को इस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए और भाजपा के दबाव की तनिक भी फिक्र नहीं करनी चाहिए। इस बयान का भी सियासी मतलब निकाला जा रहा है।

चुप्पी साधकर मामला सुलझाने की कोशिश 

जातीय जनगणना का मुद्दा अब नीतीश कुमार के गले की फांस बन गया है। अपने जातीय समीकरण को साधने के लिए नीतीश कुमार इसके पक्ष में तो जरूर हैं मगर भाजपा के रुख ने उनकी मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं। वे इस मुद्दे पर बिहार के सभी सियासी दलों के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर चुके हैं। 

अब उनके लिए इस मुद्दे पर वापस कदम खींचना मुश्किल साबित हो रहा है।  दूसरी ओर राजद का बढ़ता दबाव के कारण वे इस मुद्दे को ज्यादा समय तक टालने की स्थिति में भी नहीं दिख रहे हैं। भाजपा नेताओं के मुखर होने के बावजूद नीतीश कुमार चुप्पी साधे हुए हैं और उन्होंने भाजपा नेताओं के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई है। 

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