Air India : फिर टाटा की हो सकती है एयर इंडिया
Air India : एयर इंडिया एयरलाइन को टाटा कंपनी एक बार फिर खरीद सकती है।
Air India : करीब 70 साल बाद एयर इंडिया (Air India) फिर टाटा (Tata) के पास जा सकती है। सार्वजानिक क्षेत्र की इस एयरलाइन (Airline) के लिए बोली लगाने की आज आखिरी तारीख थी। बोली लगाने वाली कंपनियों में टाटा संस भी शामिल है। स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह (SpiceJet Promoter Ajay Singh) ने भी एयर इंडिया के लिए बोली लगाई है। सफल बोली लगाने वाली कंपनी को एयर इंडिया की सस्ती विमानन सेवा एयर इंडिया एक्सप्रेस का भी शत प्रतिशत नियंत्रण मिलेगा। अब जो भी कंपनी इसका स्वामित्व हासिल करेगी उसे 4400 घरेलू उड़ानें, देश में 1800 अंतर्राष्ट्रीय लैंडिंग और पार्किंग की जगह मिलेगी।
1932 में हुई थी एयरलाइन की शुरुआत
प्रख्यात उद्योगपति जेआरडी टाटा ने 1932 में टाटा एयर सर्विसेज शुरू की थी, जो बाद में टाटा एयरलाइंस हुई और 29 जुलाई , 1946 को यह पब्लिक लिमिटेड कंपनी हो गई थी। 1953 में सरकार ने टाटा एयरलाइंस का अधिग्रहण कर लिया। यह सरकारी कंपनी बन गई। अब करीब 70 साल बाद एक बार फिर एयर इंडिया के टाटा ग्रुप के पास जाने की उम्मीद है। दरअसल, इस एयरलाइन में केंद्र सरकार अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती है। 2007 में जबसे एयर इंडिया का इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय हुआ तबसे ये एयरलाइन घाटे में है। 2017 से ही सरकार एयर इंडिया को बेचने का प्रयास कर रही है लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। एयर इंडिया को बेचने की प्रक्रिया जनवरी , 2020 में ही शुरू कर दी गई थी । लेकिन कोरोना के कारण इसमें लगातार देरी हुई। अप्रैल , 2021 में सरकार ने एक बार फिर कंपनियों से बोली लगाने को कहा। पहले तो कंपनियों ने एयर इंडिया में रुचि ही नहीं दिखाई थी। जब सरकार ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओएल) के नियमों में ढील दी उसके बाद ही कर्ज में डूबे एयर इंडिया को खरीदने में कुछ कंपनियों ने रुचि दिखाई। वर्तमान में एयर इंडिया पर 60,074 करोड़ का कर्ज है। लेकिन अधिग्रहण के बाद खरीदार को 23,286.5 करोड़ रुपये ही चुकाने होंगे। शेष कर्ज को विशेष उद्देश्य के लिए बनाए गए एयर इंडिया एसेट होल्डिंग्स लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इसका मतलब है कि बाकी का कर्ज खुद सरकार उठाएगी।
एयर इंडिया का इतिहास
अप्रैल, 1932 में एयर इंडिया का जन्म हुआ था। जेआरडी टाटा ने इसकी स्थापना की थी । तब इसका नाम टाटा एयरलाइंस हुआ करता था। जेआरडी टाटा ने पहली व्यावसायिक उड़ान 15 अक्टूबर को भरी जब वो सिंगल इंजन वाले हैवीलैंड पस मोथ हवाई जहाज़ को अहमदाबाद से होते हुए कराची से मुंबई ले गए थे। इस उड़ान में सवारियां नहीं बल्कि 25 किलो चिट्ठियां थीं । जो लंदन से इम्पीरियल एयरवेज द्वारा कराची लाई गईं थीं। फिर नियमित रूप से डाक लाने ले-जाने का सिलसिला शुरू हुआ। मगर तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने टाटा एयरलाइंस को कोई आर्थिक मदद नहीं दी थी। शुरूआती दौर में टाटा एयरलाइंस मुंबई के जुहू के पास एक मिट्टी के मकान से संचालित होती रही। वहीं मौजूद एक मैदान रनवे के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा। उस वक़्त टाटा एयरलाइंस'के पास दो छोटे सिंगल इंजन वाले हवाई जहाज़, दो पायलट और तीन मैकेनिक हुआ करते थे।
टाटा एयरलाइंस के लिए साल 1933 पहला व्यावसायिक वर्ष रहा जब टाटा संस की दो लाख की लागत से स्थापित कंपनी ने 155 पैसेंजरों और लगभग 11 टन डाक भी ढोई। रॉयल एयर फोर्स के पायलट होमी भरूचा टाटा एयरलाइंस के पहले पायलट थे जबकि जेआरडी टाटा और और विंसेंट दूसरे और तीसरे पायलट थे। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब विमान सेवाओं को बहाल किया गया तब 29 जुलाई , 1946 को टाटा एयरलाइंस पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गयी। उसका नाम बदलकर एयर इंडिया लिमिटेड रखा गया। आज़ादी के बाद 1947 में भारत सरकार ने एयर इंडिया में 49 प्रतिशत की भागेदारी ले ली थी। एयर इंडिया की 30वीं बरसी यानी 15 अक्टूबर , 1962 को जेआरडी टाटा ने एक बार फिर से कराची से मुंबई की उड़ान भरी थी। फिर 50वीं बरसी यानी 15 अक्टूबर, कभी 1982 को जेआरडी टाटा ने कराची से मुंबई की उड़ान भी भरी थी।