Budget 2023: सरकार बढ़ा सकती आयकर छूट सीमा, क्यों मिलनी चाहिए छूट, जानें विशेषज्ञ की राय
Budget 2023: बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि वेतनभोगी मध्यम वर्ग के करदाताओं को जरूरी राहत देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट में मूल आयकर छूट की सीमा को बढ़ा सकती हैं।
Budget 2023: देश में अधिकांश वेतनभोगी की आय प्रति महीना 50 हजार रुपये के अंदर होती है। ऐसे में इस तबके की निगाहें हमेशा आम बजट पर टिकी होती हैं,क्योंकि इस तबके को बजट से राहत की कुछ उम्मीद होती है। देश का आम बजट केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2023 को पेश कर रहे हैं। एक बार से वेतनभोगियों की निगाहें आने वाले बजट पर आ टिकी हैं। इस बार उनको आश है कि केंद्र सरकार इस बजट से उनको कुछ राहत देगी। वेतनभोगियों को यह आश आयकर छूट सीमा को लेकर है। उन्हें उम्मीद है कि वित्त मंत्री बजट 2023 में आयकर छूट सीमा को बढ़ाएंगी। हालांकि इससे पहले साल 2022 में पेश किए गए बजट से वेतनभोगी की आयकर छूट सीमा में कोई राहत नहीं मिली थी। इतना ही नहीं, बाजार विशेषज्ञ भी सरकार से इस बजट में आयकर छूट सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
5 लाख रुपये हो सकती आयकर छूट सीमा
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि, वेतनभोगी मध्यम वर्ग के करदाताओं को जरूरी राहत देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट 2023 में मूल आयकर छूट की सीमा को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर सकती हैं। वर्तमान में आयकर व्यवस्थाओं के तहत व्यक्तिगत करदाताओं के लिए मूल आयकर छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये है। इसके अलावा, आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 87ए के तहत, 5 लाख रुपये तक की वार्षिक कर योग्य आय वाला व्यक्ति 12,500 रुपये की आयकर छूट के लिए पात्र है।
आयकर सीमा बढ़ाने पर विशेषज्ञों की राय
विशेषज अब केंद्र सरकार से बजट 2023 में बुनियादी छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की मांग कर रहे हैं, ताकि खपत को बढ़ावा दिया जा सके और आर्थिक सुधार में और तेजी लाई जा सके। एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल दीपक सूद ने ईटी वेल्थ से बात करते हुए कहा कि 'पर्सनल इनकम टैक्स में छूट की सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की मांग इस आधार पर की जा रही है कि इससे मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं के हाथ में ज्यादा पैसा बचेगा। इससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
बढ़ी अर्थव्यवस्था के बीच अछूते हैं टैक्स स्लैब
चार्टर्ड एकाउंटेंसी फर्म में वेद जैन एंड एसोसिएट्स के पार्टनर अंकित जैन ने भी आयकर छूट सीमा बढ़ाने की मांग की वकालत की है। उन्होंने बताया कि 2014 के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था में जबरदस्त वृद्धि हुई है। सेंसेक्स और निफ्टी में कई गुना वृद्धि हुई है। साथ ही कर संग्रह में वृद्धि हुई है। इस दौरान खपत भी बढ़ी है। सरकार ने 2014 के बाद से कभी तक सबसे कम स्लैब दर और उच्चतम स्लैब दर में कोई बदलाव नहीं किया। सबसे कम स्लैब दर 2.5 लाख रुपये से शुरू होती है और उच्चत स्लैब 10 लाख रुपये से शुरू होती है। ये दोनों स्लैब आज तक अछूते हैं। केंद्र सरकार का फोसक भारतीय अर्थव्यवस्था के कर आधार को बढ़ाना है, इसलिए सरकार ने अब तक सबसे कम स्लैब दर में वृद्धि नहीं की है।
उनका कहना है कि वर्तमान में मध्यम वर्ग के करदाता को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। देश में बढ़ी मंहगाई से मध्यम वर्ग की बचत खो रही है। मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा बैक-टू-बैक रेपो दर में बढ़ोतरी ने होम लोन और अन्य ऋणों के लिए मासिक ईएमआई में बढ़ गई हैं। ईंधन की ऊंची कीमतों ने लोगों ने घरेलू बजट को प्रभावित किया है।
करदाताओं के सामने आने वाली इन कठिनाइयों को देखते हुए अब समय आ गया है कि कुछ राहत प्रदान करने के लिए आयकर स्लैब दरों में बदलाव किया जाए। जैन का कहना है कि सरकार आगामी बजट में मूल आयकर स्लैब को न्यूनतम स्लैब बढ़ाकर 5 लाख रुपये और उच्चतम स्लैब को 20 लाख रुपये करना चाहिए, ताकि लोगों को हाथ में पैसा आए और अपनी बचत को बढ़ा सकें।
1 फरवरी को पेश हो सकता है बजट
आपको बता दें कि भारत सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के 1 फरवरी, 2023 को 2023-24 के लिए केंद्रीय बजट पेश करने की उम्मीद है। यह मोदी सरकार 2.0 का आखिरी पूर्ण कालिक बजट होगा।