डिजिटल धोखाधड़ी में बैंक की भूमिका पर उठे सवाल, ठगी के लिये एक-तिहाई ग्राहकों ने माना बैंक को जिम्मेदार, 66% ने की मुआवजे की मांग

डिजिटल युग में पेमेंट्स ने जीवन को आसान बना दिया है, लेकिन इसके साथ ही साइबर धोखाधड़ी भी बढ़ गई है। FICO सर्वे में खुलासा हुआ है कि भारत में अधिकांश बैंक ग्राहक डिजिटल स्कैम का शिकार हो रहे हैं, जिससे भारी नुकसान हो रहा है। कई ग्राहक अपना पैसा वापस और बेहतर सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं।;

Update:2025-03-12 15:51 IST

डिजिटल पेमेंट आने के बाद बढ़ गए बैंक फ्रॉड (फोटो- सोशल मीडिया)

आज के डिजिटल युग में पेमेंट्स और ट्रांजैक्शंस की आसानी ने हमारे जीवन को सुविधाजनक बना दिया है। शॉपिंग से लेकर बिल भुगतान तक सब कुछ अब डिजिटल तरीके से संभव है। लेकिन इस सरलता के साथ-साथ साइबर अपराधी और स्कैमर्स ने भी अपने धोखाधड़ी के तरीकों को और अधिक sophisticated बना लिया है। एक हालिया सर्वे के मुताबिक, आज भारत में अधिकांश बैंक ग्राहक डिजिटल स्कैम और फ्रॉड का शिकार हो रहे हैं, जिससे लाखों और करोड़ों रुपये की हानि हो रही है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या धोखाधड़ी का शिकार हुए ग्राहकों को उनका पैसा वापस मिलेगा?

FICO के सर्वे में डिजिटल फ्रॉड पर जताई चिंता

अमेरिका की एक प्रमुख एनालिटिक्स सॉफ़्टवेयर कंपनी FICO ने इस संदर्भ में एक विस्तृत सर्वे किया है, जिसमें भारत समेत 14 देशों के 11,000 से ज्यादा बैंक ग्राहकों ने हिस्सा लिया। इस सर्वे में ग्राहकों ने अपने बैंकिंग फ्रॉड के अनुभव, इससे जुड़ी समस्याओं, और सरकार तथा बैंकों से उनकी अपेक्षाओं के बारे में जानकारी दी है। सर्वे के अनुसार, अधिकांश ग्राहक इस बात से असहमत हैं कि बैंकों को धोखाधड़ी के शिकार लोगों का पैसा वापस करना चाहिए।

ग्राहकों की मांग, पैसा वापस मिले

सर्वे में यह सामने आया कि भारत में हर तीन में से दो बैंक ग्राहक (66 प्रतिशत) मानते हैं कि बैंकों को धोखाधड़ी का शिकार हुए ग्राहकों का पैसा वापस करना चाहिए। इसके अलावा, अधिकांश ग्राहक यह चाहते हैं कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों को ग्राहकों की सुरक्षा के लिए बेहतर सिस्टम और सुरक्षा उपायों की व्यवस्था करनी चाहिए। जागरूकता से लेकर उच्चतम स्तर की सुरक्षा तक, ग्राहकों की प्राथमिकता उच्चतम स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

बैंक की जिम्मेदारी पर उठे सवाल

FICO के सर्वे के मुताबिक, एक-तिहाई से ज्यादा (करीब 37 प्रतिशत) ग्राहक मानते हैं कि बैंकों को ही धोखाधड़ी और स्कैम के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। उनके अनुसार, बैंकों को इस प्रकार के धोखाधड़ी के मामलों को पहचानने और ग्राहकों को इससे बचाने के लिए अधिक प्रभावी चेतावनियाँ और सुरक्षा उपाय लागू करने चाहिए। कई ग्राहकों ने सुझाव दिया कि बैंकों को धोखाधड़ी का पता चलते ही तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और पीड़ितों को शीघ्र मुआवजा देना चाहिए।

सुरक्षा में सुधार की जरूरत

सर्वे में यह भी पाया गया कि आधे से ज्यादा ग्राहक (50 प्रतिशत से अधिक) चाहते हैं कि बैंकों को धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए बेहतर तकनीकी समाधान और सुरक्षात्मक उपायों की योजना बनानी चाहिए। ग्राहक चाहते हैं कि बैंकों द्वारा न सिर्फ धोखाधड़ी के मामलों की निगरानी की जाए, बल्कि इन्हें रोकने के लिए सही कदम उठाए जाएं।

सर्वे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि डिजिटल पेमेंट्स के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ बैंकिंग सुरक्षा के मामले में भी सुधार की जरूरत है। धोखाधड़ी के शिकार हुए ग्राहकों के लिए यह जरूरी है कि बैंकों को उनका पैसा वापस करने के साथ-साथ इस प्रकार के मामलों से बचने के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता है। डिजिटल ट्रांजैक्शंस की बढ़ती लोकप्रियता के साथ, अब यह बैंकों और वित्तीय संस्थानों की जिम्मेदारी बनती है कि वे ग्राहकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें और धोखाधड़ी के मामलों में उनका नुकसान कम करने के उपाय करें।

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