ये तो अभिव्यक्ति की आजादी है, फिर क्यों कांग्रेस 'इंदु सरकार' के पीछे लट्ठ ले खड़ी ?
पुणे : स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मिली धमकी के बाद फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर को अपनी फिल्म 'इंदु सरकार' का यहां होने वाला प्रचार कार्यक्रम रद्द करना पड़ा।
भंडारकर ने फोन पर कहा, "हम अपने होटल के कमरे में बंधक जैसे बनकर रह गए हैं। हमें कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा है। होटल प्रबंधन ने हमसे कमरे से कदम बाहर नहीं निकालने को कहा है, क्योंकि कार्यकर्ता यहां अपरान्ह एक बजे से ही जमा हैं। हमारी पूरी टीम एक कमरे में बंद है।"
भंडारकर ने कांग्रेस के कुछ सदस्यों की तस्वीरें भी ट्वीट कीं। उन्होंने इनके साथ लिखा, "कांग्रेस कार्यकर्ता होटल लॉबी में घुस आए हैं और हंगामा मचा रहे हैं। मैं और मेरी टीम होटल के कमरे में बंधकों जैसी हालत में हैं।" फिल्म की टीम को इसके प्रचार के लिए शनिवार को सूर्यदत्त इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड मास कम्युनिकेशन जाना था।
फिल्म के प्रवक्ता ने कहा, "हमें सूर्या से संजय चोर्दिया ने फोन किया। उन्होंने ही संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया था। उन्होंने हमसे इसे रद्द करने का आग्रह किया क्योंकि उन्हें स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं से धमकियां मिल रही हैं। जैसे ही हमें यह बात पता चली, हमने कार्यक्रम रद्द कर दिया।" यह पूछने पर कि क्या भंडारकर फिल्म को पुणे में रिलीज करेंगे, उन्होंने कहा, "मैं पूरे देश में फिल्म को रिलीज करूंगा। मुझे लगता है कि जो लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करते हैं, उन्हें इसके लिए आवाज उठानी होगी। इसका यही समय है।" 'इंदु सरकार' 1975-77 के दौरान देश में लगाए गए आपातकाल की पृष्ठभूमि पर है। इसके चरित्र तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके पुत्र संजय गांधी से प्रेरित हैं। इससे पहले मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरुपम ने सेंसर बोर्ड अध्यक्ष पहलाज निहलानी को भेजे पत्र में कहा था कि फिल्म को सेंसर में भेजे जाने से पहले इसे कांग्रेस पार्टी को दिखाया जाए।
सेंसर बोर्ड ने फिल्म में 12 कट और दो डिस्कलेमर सुझाए हैं और 'आरएसएस' तथा 'अकाली' जैसे शब्दों को हटाने को कहा है। फिल्म 28 जुलाई को रिलीज होने वाली है।