Khesari Lal Yadav: अपने संघर्ष की कहानी बयां करते हुए इमोशनल हुए खेसारी, बोले मेरे मुँह पर कैसेट फेंककर मां को गाली दी थी
Khesari Lal Yadav Struggle : खेसारी लाल यादव ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान अपनी ज़िन्दगी से जुड़े कई राज़ खोले साथ ही उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी भी सबके सामने बयां की।
Khesari Lal Yadav Struggle : खेसारी लाल यादव ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान अपनी ज़िन्दगी से जुड़े कई राज़ खोले साथ ही उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी भी सबके सामने बयां की। एक्टर ने कई ऐसी बातों का ज़िक्र भी किया जिनके बारे में शायद कोई नहीं जनता होगा। आइये जानतें हैं क्या कुछ कहा खेसारी लाल ने।
खेसारी लाल यादव की संघर्ष की कहानी
भोजपुरी एक्टर खेसारी लाल यादव की गिनती आज एक सफल अभिनेताओं में होती है लेकिन वो यहाँ तक कैसे पहुंचे इसके बारे में शायद कुछ ही बातें लोगों को पता है लेकिन कई ऐसे राज़ भी रहे हैं जिसने शायद ही आप रूबरू होंगे। ऐसी ही कुछ बातें खुद खेसारी लाल ने शेयर की। उन्होंने ये मुकाम हासिल करने के लिए कई उतार चढ़ाव देखें हैं। वहीँ आज उन्हें भोजपुरी सुपरस्टार्स की लिस्ट में शामिल भी किया जाता है। लेकिन आज हम खेसारी लाल से जुडी उस कहानी को बयां करने जा रहे हैं जिसमे उन्होंने काफी संघर्षों का सामना किया था। यहाँ हम उनकी ज़िन्दगी के उस पहलु पर रौशनी डालेंगे जब खेसारी एक सुपरस्टार नहीं बल्कि एक आम आदमी थे और उन्हें कोई नहीं पहचानता था। खेसारी लाल के इस इंटरव्यू में उन्होंने अपने उन दिनों की बात की जब वो स्ट्रगल कर रहे थे।
खेसारी लाल ने बताया कि कैसे उन्होंने इंडस्ट्री में आने के लिए लोगों की गालियां खाई। इंटरव्यू में खेसारी ने बिना किसी का नाम लिए बताया कि,"मैं उनका नाम तो नहीं बताऊंगा लेकिन एक शख्स था जिसने मेरे मुँह पर मेरी कैसेट फेंककर मारी और मेरी माँ को गाली भी दी थी। उस दिन मैं बहुत रोया था, इस तरह के कई किस्से मेरे साथ कई बार हुए। में तीन दिन तक लगातार गमछा ओढ़े एक कैसेट की दुकान के बाहर ही सोया जिससे वो मेरी कैसेट रख ले।
इसके बाद खेसारी लाल ने कहा कि,"मेरी हालत को देखकर उस आदमी ने मेरा कैसेट रख लिया था। 12 साल हो गए हैं लेकिन मैं आज भी उस आदमी को नहीं भुला हूँ। मैं बिहार के हर एक डीलर का नाम जनता हूँ वो भी इसलिए क्योकि मैं हर जगह गया हूँ। मैंने अपनी कैसेट खुद ही बेचीं भी है। मैं कड़ी धुप में भी महज़ 5 रूपए बचने के लिए मोतीहारी से मोहम्मदपुर जाता था। और वहां से पैदल ही आया,वो भी सिर्फ 5 रूपए बचने के लिए।"