Meena Kumari Birthday: गमों से मीना कुमारी का रहा गहरा नाता, इसलिए कहलाईं ट्रेजडी क्वीन

Meena Kumari Birthday: 1 अगस्त 1933 को जन्मी मीना कुमारी एक बेहतरीन अदाकारा होने के साथ ही साथ उम्दा शायरा और पार्श्वगायिका भी थीं।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Shreya
Update:2021-07-31 19:57 IST

 मीना कुमारी (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Meena Kumari Birthday: गुजरे जमाने की एक बेहतरीन अदाकारा हुई हैं मीना कुमारी। अगर पाकीजा, दिल एक मंदिर, आरती, शारदा, काजल, साहब बीबी और गुलाम, परिणीता और बैजू बावरा का नाम लेंगे तो मीना कुमारी की अदाकारी की तस्वीर सामने आ जाएगी। हिन्दी सिनेमा के ट्रेजडी किंग अगर दिलीप कुमार (Tragedy King Dilip Kumar) थे तो ट्रेजड़ी क्वीन मीना कुमारी (Tragedy Queen Meena Kumari) थीं। 1 अगस्त 1933 को जन्मी (Meena Kumari Date Of Birth) मीना कुमारी एक बेहतरीन अदाकारा होने के साथ ही साथ उम्दा शायरा और पार्श्वगायिका भी थीं।

मीना कुमारी का असली नाम (Meena Kumari Real Name) महजबीं बानो था। और मुंबई में जन्म हुआ था। उनके पिता (Meena Kumari Father) अली बख्श रंगमंच के कलाकार थे। उनकी मां प्रभावती देवी (Meena Kumari Mother) जिन्हें इकबाल बानो के नाम से भी जाना जाता था अपने जमाने की मशहूर नृत्यांगना थीं। कहते हैं दर्द और घाव का मीना कुमारी के साथ जन्म से नाता था। तन के घाव तो वक्त भर देता है लेकिन उनके मन के घाव कभी नहीं भर पाए। शायद इसी लिए उन्हें ट्रेजडी क्वीन कहा गया। दर्द उनके अभिनय में भी झलका।

कहा जाता है कि दरिद्रता से ग्रस्त उनके पिता अली बक़्श उन्हें पैदा होते ही अनाथाश्रम में छोड़ आए थे लेकिन अपनी नवजात बच्ची से दूर जाते-जाते पिता का दिल भर आया वह पलटकर अनाथाश्रम चल पड़े। वहां पहुंचे तो देखा कि नन्ही मीना के पूरे शरीर को चीटियाँ काट रहीं थीं। अनाथाश्रम का दरवाज़ा बंद था, शायद सब सो गए थे। यह सब देख उन्होंने झट से अपनी नन्हीं-सी जान को साफ़ किया और अपने दिल से लगा लिया। अली बक़्श अपनी चंद दिनों की बेटी को घर ले आए। 

मीना कुमारी (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

मीना कुमारी की पहली फिल्म (Meena Kumari Ki Pehli Film)

महजबीं पहली बार 1939 में निर्देशक विजय भट्ट की फिल्म "लैदरफेस" में बेबी महज़बीं के रूप में मात्र छह वर्ष की उम्र में नज़र आईं। लेकिन एक साल बाद 1940 में बनी फिल्म "एक ही भूल" में विजय भट्ट ने इनका नाम बेबी महजबीं से बदल कर बेबी मीना (Baby Meena) कर दिया और 1946 में आई फिल्म 'बच्चों का खेल' से बेबी मीना 13 वर्ष की आयु में मीना कुमारी (Meena Kumari) बन गई। मीना कुमारी का सफर अभी शुरू ही हुआ था कि मार्च 1947 में लम्बे समय तक बीमार रहने के बाद उनकी मां की मृत्यु हो गई। 

1952 में आई फिल्म बैजू बावरा (Film Baiju Bawra) ने मीना कुमारी को एक नई उड़ान दी। इसके लिए उन्हें पहला फिल्म फेयर (Meena Kumari First Filmfare Award) सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का मिला। 1953 में आई फिल्म परिणीता के लिए मीना कुमारी को लगातार दूसरे साल सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अवार्ड मिला। इस बीच उनकी दायरा और दो बीघा जमीन फिल्म आ चुकी थी। 

मीना कुमारी (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

1955 में फ़िल्म आज़ाद में दिलीप कुमार के साथ मीना कुमारी नजर आईं। इस हास्य फ़िल्म ने दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। मीना कुमारी के उम्दा अभिनय ने उन्हें फिर फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार दिलाया। फ़िल्म आज़ाद के गाने "अपलम चपलम" और "ना बोले ना बोले" आज भी सुने जाते हैं।

लेकिन बॉलीवुड के शो मैन राजकपूर के साथ उनकी जो पहली फिल्म शारदा आई उसने उसे ट्रेजड़ी क्वीन के रूप में स्थापित कर दिया। फिल्म शारदा की भूमिका काफी चुनौतीपूर्ण थी कहते हैं उस दौर की सभी प्रमुख अभिनेत्रियों ने इस किरदार के लिए न कर दिया था जिसे मीना कुमारी ने स्वीकार किया। 

कमाल अमरोही संग मीना कुमारी (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

प्यार करने की मिली सजा

सिल्वर स्क्रीन पर 70 के दशक तो चोटी पर बनी रही इस अभिनेत्री की निजी जिंदगी में घाव ही घाव रहे। कहते हैं इस अभिनेत्री ने प्यार करने की सजा पाई। 1954 में मीना कुमारी कमाल अमरोही को दिल दे बैठी थीं। वह कमाल अमरोही (Meena Kumari Husband) की तीसरी पत्नी थीं। लेकिन दोनों के बीच निजी जिंदगी सामान्य नहीं हो पाई। जिसकी मुख्य वजह थी हलाला। कहते हैं कमाल अमरोही ने एक बार उन्हें तलाक दे दिया था। और फिर दोबारा निकाह के लिए जीनत अमान के पिता अमान उल्लाह खान से निकाह और तलाक कराकर वह दोबारा कमाल अमरोही की पत्नी बन पाई थीं।

लेकिन इसके बावजूद उनकी जिंदगी में सबकुछ सामान्य नहीं चला। जैसा कि 1972 में  उनकी मृत्यु (Meena Kumari Death Date) के बाद, अभिनेत्री नरगिस ने उनके बारे में लिखा, मैं चुप रहूंगी के एक आउटडोर शूट पर, जब वे दोनों बगल के कमरे साझा कर रहीं थीं, उन्होंने स्वयं भी बगल के कमरे से शोर सुना। अगले दिन, वह सूजी हुई आंखें लिए मीना कुमारी से मिली, जो शायद पूरी रात रोई थी।

बाद में दोनों अलग हो गए। जिसमें न तो अमरोही ने मीना को वापस लाने की कोशिश की और न ही मीना कुमारी वापस लौटीं। मीना कुमारी की मृत्यु के बाद एक कार्यक्रम में जब तबस्सुम ने कमाल अमरोही से मीना कुमारी के बारे में पूछा तब अमरोही ने मीना को "एक अच्छी पत्नी नहीं बल्कि एक अच्छी अभिनेत्री के रूप में याद किया, जो खुद को घर पर भी एक अभिनेत्री मानती थीं। 

लेकिन यहां यह बात गौर करने की है कि मीना कुमारी के निधन के बाद उनके पति कमाल अमरोही की इच्छानुसार उन्हें मुम्बई के मज़गांव स्थित रहमताबाद कब्रिस्तान में दफनाया गया। और बाद में उनके पति कमाल अमरोही की 11 फरवरी 1993 को मृत्यु होने पर उन्हें भी उनकी इच्छनुसार मीना कुमारी के बगल में दफनाया गया।

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