Pratik Gandhi Ki Kahani: प्रतीक गांधी ने संघर्ष के दौरान नजरअंदाज करने वाले डायरेक्टर्स के बारे में बात की, कहा- ये डायरेक्टर्स कर रहे थे...
Pratik Gandhi Sangharsh Ki Kahani: अभिनेता ने आगे कहा, " ये ऐसा था कि मैं किसी दूसरे या तीसरे स्तर के इंसान से मिलता था और उन्हें कहता था कि कहीं ऑडिशन होगा, तो बताना। मुझे इनफॉर्म करना।
Pratik Gandhi Sangharsh Ki Kahani: फिल्म स्कैम 1992: द हंसल मेहता स्टोरी (Film Scam 1992 The Hansal Mehta Story) से प्रचलित हुए अभिनेता प्रतीक गाँधी ने अपने करियर (pratik gandhi career) के शुरुआती दौर के संघर्ष के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि उनके करियर के उत्थान के समय किन डायरेक्टरों ने उन्हें नजरअंदाज किया। अभिनेता प्रतीक गांधी ने हाल ही में फिल्मफेयर को दिए एक इंटरव्यू (pratik gandhi interview) में इस बारे में बात की है कि उनके करियर के शुरुआती दौर में कौन - कौन से डायरेक्टर उन्हें नजरअंदाज करते थें।
लेकिन अब फिल्म इंडस्ट्री में एक मुकाम हासिल करने के बाद अभिनेता को उनको इग्नोर करना पड़ रहा है। दरअसल फिल्मफेयर के शो 'जस्ट बिटवीन अस' (show just between us) के होस्ट जितेश पिल्ले (Host Jitesh Pillai) ने अभिनेता से यह सवाल किया है। जिसका जवाब देते हुए अभिनेता प्रतीक गांधी ने बताया, " दरअसल इस मामले में सीधे तौर पर कुछ नहीं कहना चाहूंगा। लेकिन जब मैं शुरुआती दौर में लोगों को अप्रोच (Pratik Gandhi Sangharsh Ki Kahani) करता था, तो मुझे कोई अंदाजा नहीं था कि मुझे किसे अप्रोच करना चाहिए। कैसे अप्रोच करना चाहिए? मुझे किसके पास जाना चाहिए? किससे मिलना चाहिए?
अभिनेता ने आगे कहा, " ये ऐसा था कि मैं किसी दूसरे या तीसरे स्तर के इंसान से मिलता था और उन्हें (pratik gandhi latest interview) कहता था कि कहीं ऑडिशन होगा , तो बताना। मुझे इनफॉर्म करना। जब मैं मुंबई आया तो उस वक्त टेलीवीजन का दौर था। टेलीवीजन पूरे देश में लोगों तक पहुचने का एक बड़ा माध्यम था। उस वक्त टीवी पर लगभग हर रोज एक नई टीवी सीरिज आती थी। जिसमें आपको हर रोज एक नया चेहरा देखने को मिलता था।" प्रतीक गांधी ने कहा मुझे लगा कि यहीं वो जगह है, जहां से मुझे अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करनी चाहिए। क्योंकी मुझे कोई अंदाजा नहीं था कि फिल्मों के लिए मुझे किससे मिलना चाहिए। मेरे लिए फिल्म एक बहुत बड़ी चीज थी, जहां तक पहुंच पाना मेरे लिए नामुमकीन - सा था। मुझे लगता था कि मैं वहां तक कभी नहीं पहुंच पाऊंगा। अभिनेता ने आगे कहा कि अब मुझे इस इंडस्ट्री में लगभग 16 साल हो गए हैं और अब काफी लोग बदल चुके हैं। यहीं नहीं कितने लोगों ने अपना फील्ड ही बदल लिया है।
अभिनेता प्रतीक गांधी ने आगे बताया कि उन्होंने अपनी फैमिली को फिल्म 'स्कैम 1992 : द हंसल मेहता स्टोरी' (Scam 1992 The Hansal Mehta Story) के ऑफर के बारे में कैसे बताया। उन्होंने कहा, " इसके बारे में मेरी बात वाट्सऐप पर एक कॉमन ग्रुप में हुई थी, जो कि हमारा फैमिली ग्रुप है। मैंने अपनी पत्नी और भाई से इस बारे मे बात किया था। पर्सनली मैंने अपने पिता से को इस फिल्म के बारे में बताया। उस वक्त मैं भुज में एक फिल्म की शूटिंग कर रहा था। वहां से आने के बाद मैंने उन्हें बताया।" अभिनेता ने बताया कि उन्होंने अपने पिता को इस फिल्म के ऑफर के बारे में बेहद हैरान होकर बताया था। उन्होंने अपने पिता को संदेश लिखा, " अंदाजा लगाएं कि अभी क्या हुआ है? हंसल मेहता ने मुझे कॉल किया। " अभिनेता ने हंसते हुए आगे कहा कि उसके बाद मैंने अपने पिता के रिएक्शन का इंतजार किया।
अभिनेता प्रतीक गाँधी ने इस इंटरव्यू में अपने संघर्षपूर्ण जीवन (pratik gandhi struggling life) के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि एक्टिंग करियर के शुरुआत में उन्होंने कई सारे ऑडिशन दिए थें, जिसमें वो रिजेक्ट हो जाते थें। लोगों को उनके अभिनय में वो नहीं मिल पाता था, जिसकी वो खोज कर रहे होते थें। प्रतीक ने बताया कि वो अपनी डायलॉग पूरी भी नहीं करते थें और उन्हें रोक दिया जाता था। क्योंकी उनकी अभिनय कला से सेलेक्शन प्रक्रिया का सदस्य संतुष्ट नहीं हो पाता था। इसके बाद वो अपने भाईयों को नोकिया के एक छोटे -से फोन से मैसेज टाइप करके इसकी जानकारी देते थें।
प्रतीक ने यह भी बताया कि उनके लिए सूरत से मुंबई शिफ्ट करना कितना चुनौतीपूर्ण रहा। उन्होंने अपनी पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा कि एक वक्त ऐसा था, जब सूरत में भयंकर बाढ़ आया हुआ था। उस वक्त सूरत में चारों तरफ तबाही मची हुई थी। घर के सामान इधर - ऊधर हो चुके थें। घर में जो अनाज रखा होता है, वो बाढ़ में सड़कर बदबू करने लगा था। मैं किसी तरह से वहां पहुंचा और मेरे माता - पिता ने जब मुझे देखा, तो वो फूट - फूटकर रोने लगें। क्योंकि उन्होंने अपेक्षा ही नहीं की थी किसी के लिए वहां आ पाना मुमकीन है। अभिनेता ने आगे बताया कि उन्होंने डेढ़ दिन में अपने पूरे घर को साफ किया। और अपने माता - पिता को वहां से लेकर मुंबई चले आएं।