Famous Singer Anjan Wikipedia: बाप और बेटे की इस जोड़ी ने फिल्मों में दिए सैकड़ों हिट गीत, जानिए कौन हैं ये गीतकार
Famous Singer Anjan Wikipedia in Hindi: खास कर अमिताभ बच्चन की फिल्मों को हिट दिलाने में अनजान Anjaan की बड़ी भूमिका है।
बाप ने लिखा सुपरहिट गाना- ’खइके पान बनारस वाला’ तो वहीं बेटे ने ’जिएं तो जिएं कैसे हाय बिन आपके’ लिखकर हर युवा दिल को गुनगुनाने पर मजबूर किया। यहां हम जिक्र कर रहें हैं मशहूर गीतकार अनजान Anjaan और उनके बेटे समीर अनजान Sameer Anjaan का। बनारस के गांव ओदार से निकलकर मुंबई की फिल्मी दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले अनजान Anjaan के पास शुरुआती दिनों में रहने के लिए एक छत और खर्च के लिए पैसे तक नहीं होते थे। बावजूद इसके मुंबई के एक अपार्टमेंट की सीढ़ियों के नीचे अपना आसरा बनाकर इस गीतकार ने हिंदी सिनेमा को लाजवाब हिट गीतों की सौगात देने का काम किया। रातभर लोकल ट्रेनों का सफर करते करते उन्होंने ना जाने कितने हिट गीतों की इबारत गढ़ी और वह गीत जब फिल्मों में आए तो सिने प्रेमियों के लबों पर छा गए।
खास कर अमिताभ बच्चन की फिल्मों को हिट दिलाने में अनजान Anjaan की बड़ी भूमिका है। अमिताभ बच्चन की फिल्म डॉन के गाने ’खइके पान बनारस वाला’ से लेकर मुकद्दर का सिकंदर के गाने ’दिल तो है दिन’ तक, शराबी फिल्म के गाने ’लोग कहते हैं मैं शराबी हूं’ से लेकर याराना फिल्म के गाने ’छूकर मेरे मन को’ जैसे सदाबहार हिट गीतों के पीछे अनजान का बड़ा योगदान है।
वहीं इनके बेटे समीर अनजान Sameer Anjaan ने बैंक में अधिकारी का पद हासिल करने के बाद कलम उठाई और ’जिंदगी की तलाश में हम, मौत के कितने पास आ गए’ जैसे कई शानदार गीतों की फेहरिस्त तैयार कर दी।
पान बनारस वाला गीत से जुड़ा है एक रोचक किस्सा
डॉन फिल्म का गीत ’खईके पान बनारस वाला’ को अपनी शानदार आवाज से सुपर हिट बनाने वाले गायक किशोर के आगे जब गीतकार अनजान ने गाने के शब्द सुनाने शुरू किए तो किशोर कुमार चकित रह गए। उन्हें उस गाने के कुछ शब्द बहुत ही अजीब और अटपटे लगे। भंग का रंग जमा हो चकाचक बोल सुनते हुए किशोर गीतकार अंजान से बोले अंजान ये किस शहर के शब्द हैं, मैंने पहले कभी चकाचक शब्द ही नहीं सुना। ये कहते हुए पहले उन्होंने गाना गाने से तुरंत इनकार कर दिया। तब अंजान ने किशोर दा से कहा कि शब्दों को समझने के लिए आपको बनारस की गलियों की खाक छाननी पड़ेगी। हालांकि, बहुत समझाने के बाद वो गाने के लिए तैयार हुए। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ एक बार ही गाना गाऊंगा। किशोर ने पूरा गाना एक ही बार में रिकॉर्ड किया।
ये था अनजान Anjaan का वास्तविक नाम
मशहूर गीतकार अनजान Anjaan दोस्तों को गीत सुनाते और यहीं से उन्हें दोस्ती का नाम अनजान Anjaan मिला। स्व. शिवनाथ पांडेय के घर 28 अक्टूबर, 1930 को पैदा हुए अनजान Anjaan के असली नाम से शायद ही कोई वाकिफ होगा।
लेकिन फिल्म जगत में उन्हें उनके उपनाम से पहचान मिली जबकि उनका असली नाम लालजी पांडेय ( LAL Ji Pandey) था। उन्होंने बीएचयू से एमकॉम की डिग्री हासिल की और अपने शौक को आगे बढ़ाते हुए गीत लिखने लगे।
इस तरह तय किया मुंबई तक का सफर
अंजान के बनारस की पतली गलियों से लेकर मुंबई फिल्म लाइन तक का सफर तय करने के पीछे बड़ी कहानी छिपी हुई है। असल में एक बार बनारस के क्लार्क होटल में एक संगीत कार्यक्रम था। जहां अंजान भी आमंत्रित थे। इस कार्यक्रम में उस जमाने के मशहूर गायक मुकेश भी आए थे।
क्लार्क होटल के मालिक अनजान के दोस्त थे और उन्होंने ही मुकेश से अनजान का परिचय करवाया। इस दौरान मुकेश अनजान की कुछ रचनाएं सुन कर इतने ज्यादा प्रभावित हुए कि वह बोले- आप यहां क्या कर रहे हैं, आपको मुंबई में होना चाहिए। यहीं से अनजान ने बनारस से दूर मुंबई जाकर अपनी किस्मत आजमाने की इच्छा जागी।
दो वक्त की रोटी के लिए पढ़ाया ट्यूशन
कहते हैं मुंबई एक ऐसा समुंदर है जहां जाकर जाने कितने लोग इस समुंदर की गहराई में डूब जाते हैं । वहीं कभी अपनी हार को न स्वीकारने वाले लोग उस समुंदर की लहरों पर अपने नाम की इबारत लिखते हैं। इसी तरह गीतकार अनजान को भी यहां पहुंचने के बाद एक लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा।
1953 में वह पहली बार मुंबई गए और फिल्म संगीत जगत में काम मिलने के इंतजार में वहां खर्च निकालने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगे लेकिन हार स्वीकार नहीं की।
इस गीत से शुरू हुई उनकी पहली कमाई
करीब 7 से 8 सालों तक कड़े संघर्ष के बाद 1962 में उनकी मुलाकात प्रेमनाथ से हुई, जो उस समय एक फिल्म गोलकुंडा का कैदी बना रहे थे। इस फिल्म के लिए अनजान ने एक गीत लिखा- “प्यार की राह दिखा दुनिया को रोके जो नफ़रत आंधी ,तुममे ही कोई गौतम होगा तुममे ही कोई गांधी“। इस फिल्म से उनकी पहली कमाई 500 रुपए की रकम के साथ हुई।
इन संगीतकारों के साथ था खास कनेक्शन
अनजान का यूं तो सभी के साथ मधुर व्यवहार रहता था लेकिन कुछ नामचीन संगीतकार ऐसे हैं जिनके साथ उनकी ट्यूनिंग बड़ी ही फिट बैठती थी जिनमें कल्याणजी-आनंदजी( Kalyanji–Anandji ) आर. डी. बर्मन ( R D Buraman) और बप्पी लाहिड़ी ( Bappi Lahiri ) का नाम शामिल है।
300 से अधिक फिल्मों के लिए लिखे गीत
अनजान Anjaan ने गोलकुंडा का कैदी फिल्म से शुरुआत के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने ताबड़तोड़ कलम चलाना जारी रखा। अनजान Anjaan ने 300 से अधिक फिल्मों के लिए 1,500 से अधिक गीत लिखने का रिकॉर्ड बनाया। जिसमें कई सुपर हिट फिल्मों में मुकद्दर का सिकंदर, हेराफेरी, खून-पसीना, लावारिस के लिए उन्होंने कई शानदार गीत लिखे।
कुल दीपक साबित हुए अनजान के बेटे समीर अनजान Sameer Anjaan
समीर अनजान, एक ऐसा नाम जिन्होंने अपने पिता का नाम और काम दोनों को ही बुलंदियों पर ले जाने का काम किया है ।
एक तरह से कुल का दीपक साबित हुए हैं।युवा इनके लिखे गानों को सुनकर और गुनगुनाकर मोहब्बत का इजहार करते हैं। बेशक इन्हें कला वरिसत में मिली । लेकिन इन्होंने अपने हुनर से इस कला को और भी ज्यादा तराशने का काम किया। हिंदी सनिमा में सर्वाधिक गीत लिखने का रिकॉर्ड इनके नाम दर्ज है।
समीर अनजान Sameer Anjaan को इन फिल्मों से मिली पहचान
उन्हें सबसे पहले 1983 की फिल्म बेखबर में गीत लिखने का अवसर मिला था। इसके बाद उन्होंने कई बड़ी फिल्मों में गीत लिखें जिसमें इंसाफ कौन करेगा (1984), जवाब हम देंगे (1987), दो कैदी (1989), रखवाला (1989), महासंग्राम (1990) और बाप नम्बरी बेटा दस नम्बरी (1990) शामिल हैं ।
लेकिन उनको प्रसिद्धि और पहचान 1990 की दो फ़िल्मों दिल और आशिकी से मिली। उन्होंने इन फिल्मों के संगीतकार आनंद-मिलिंद और नदीम-श्रवण के साथ कई प्रशंसित और लोकप्रिय गीतों की रचना की।
650 फिल्मों में क़रीब 4000 गाने लिखने का बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
समीर अनजान ने हिंदी सिनेमा में 30 सालों के योगदान के दौरान क़रीब 650 फिल्मों में 4000 गाने लिखे हैं। किसी भी गीतकार ने अब तक इतने गाने नहीं लिखे। उनका नाम गिनीज बुक में दर्ज है।
आशिकी फिल्म के हिट के पीछे था इनका योगदान
हिन्दी पर्दे पर जबरदस्त हिट साबित होने वाली फिल्म आशिकी के गाने ’बस एक सनम चाहिए’, ’नजर के सामने’, ’दिल का आलम’, ’धीरे धीरे से मेरी जिंदगी में आना ’ जैसे दिल और रूह को भीतर तक छू लेने वाले गीत समीर ने ही लिखे और इस फ़िल्म को जबरदस्त हिट कराने में योगदान दिया।
इसके अलावा 1991 में आई फिल्म ‘साथी’ के गाने ’जिंदगी की तलाश में हम, मौत के कितने पास आ गए’ से लेकर ‘साजन’ फिल्म के गाने ’मेरा दिल भी कितना पागल है’ और ’बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम’ तक, उसी की कलम से निकले। संजय दत्त, सलमान खान और माधुरी दीक्षित अभिनीत इस फिल्म के सारे गाने समीर की कलम से ही रचे गए। गाना ’देखा है पहली बार, साजन की आंखों में प्यार’, ’जीएं तो जीएं कैसे, बिन आपके’ समीर के ही गीत हैं।
ये है समीर अनजान का असली नाम
समीर ने अपने पिता अनजान के नाम को अपनी जादुई लेखनी के बलपर और रौशन किया। समीर का असली नाम शिताला पांडेय है। वह एक बैंक में नौकरी करते थे। उनके पिता नहीं चाहते कि वो फिल्मी उद्योग में आए । क्योंकि उन्होंने खूब संघर्ष किया था। लेकिन समीर 1980 में मुंबई आकर यहीं रम गए और अपने हुनर से पैसा और शोहरत दोनों हासिल की।