...जब अनु मलिक ने अपने पिता की जेब से चुराए थे रुपए

Update: 2018-07-13 06:16 GMT

मुंबई: मायानगरी मुंबई मौकों और सपनों का शहर है। रोज यहां पर लाखों लोग अपने सपनों की तलाश में आते हैं, फिर चाहे वह बड़े हो छोटे, कुछ न कुछ करने की तलाश में उन्हें यहा पर ले आती है। 'इंडियन आइिल' का सीजन 10 भी बहुत जोर शोर से सोनी एंटरटेनमेंट टेलीवीजन पर शुरू हुआ है।

यह भी पढ़ें: कैमरे में कैद हुई सुहाना खान की एक और तस्वीर, नया मेकओवर फैंस को आ रहा पसंद

इसमें संगीत जगत की जानी मानी हस्तियां कंटेस्टेंट की प्रतिभाओं से हैरान रह गईं, ​जिन्होनें इस ख्याब को पाने के लिए ऑडिशन दिया, फिर चाहे वह अनु मलिक हों, विशाल ददलानी हो या फिर नेहा कक्कड़। इनमें से कुछ की कहानियों ने ज्यूरी पैनल की तीनों से​लिब्रिटीज को भी भावुक कर दिया।

संगीत गुरु अनु मलिक भी भावुक हो गए क्योंकि उन्हें मुम्बई में अपने शुरुआती दिन याद आ गए। अनु मलिक, जिन्होंने इंडस्ट्री में खुद का एक मुकाम बनाया है, उन्होंने अपने शुरुआती दिनों की कहानी साझा की। जिस व्यक्ति ने हिंदी सिनेमा को इतने बेहतरीन गाने दिए, उन्होंने बताया कि किस तरह उन्होंने अपने शुरुआती दिन काटे थे।

यह भी पढ़ें: दुनिया की परवाह किए बगैर ‘मुस्कान’ के लिए बोल्ड हुई ये एक्ट्रेस

इन्हीं प्रतिभाशाली गायकों की तरह वे भी काम की तलाश में मुंबई आए थे, संगीत में कुछ करने के लिए अपना नाम कमाने की चाह लिए। उन्होंने अपने पहले म्युजिक वीडियो बारिश का मौसम की शूटिंग की यादें ताजा की। उन्होंने कहा कि उनके संघर्ष के दिन ऐसे थे कि उनके पास अपना दिन काटने और आपने सपनों को पूरा करने के लिए थोड़ा बहुत मामूली पैसा भी नहीं होता था।

मगर उन्हें अपनी काबिलियत पर यकीन था ​कि एक न एक दिन जरूर ही उनकी यह मेहनत रंग लाएगी। दुर्भाग्य से अनु मलिक ने अपने ​पिता की जेब से पांच रुपए चुराए थे ​जिससे वे वीडियो की शूटिंग देखने जा सकें। सेट से एक स्रोत ने बताया कि अनु जी, आज जहां पर हैं वहां पर आने के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया है।

संगीतकार और गायक अनु मलिक के लिए यह सब इतना आसान नहीं था, मगर उन्होंने अपने जूनून और ​​जिद्द के आगे हार नहीं मानी और यह उनका जूनून ही था ​जिसने उन्हें संगीत में यह मुकाम दिलाया। जिस तरीके से उन्होंने अपने संगीतकार बनने के शुरुआती दिनों के संघर्ष की यादें बताई, वह रुला देने वाली थीं।

वे कभी पैसे नहीं चुराना चाहते थे, मगर वह एक मासूम कदम था, जिसने उन्हें आज यहां तक पहुंचा दिया। उन्होंने अपने पिता की जेब से पांच रुपए चुराए थे और शूट देखने के लिए टैक्सी की थी। वे अपने उन अनुभवों के लिए शुक्रगुजार हैं, जिसने हर कदम पर उन्हें सीखाया। यह जानना बहुत ही प्रेरक है कि अनु जी ने कैसे इतनी संगीतमय सफलता हासिल की।'

Tags:    

Similar News