RIP: विनोद खन्ना की रियल लाइफ रही पूरी फिल्मी, नहीं हो पाई उनकी HAPPY ENDING

Update:2017-04-27 12:52 IST

लखनऊ: जीवन में फिल्म, सन्यास और सियासत की कहानी में मन के मीत से शुरुआत कर एक थी रानी तका सफर तय करने वाले विनोद खन्ना आज हमारे बीच नहीं है।पर उनकी यादें हमेशा रहेगी। उन्होंने अपने जीवन में 141 फिल्मों का सफर तय किया। हैंडसम, बिंदास और हसीनों का दीवाना अपने समय के मशहूर एक्टर विनोद खन्ना, जो देते रहे एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन को भी फिल्मों में टक्कर। उन्होंने 70 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। कुछ दिनों पहले उनकी फोटो वायरल हुई थी, जिसमे उनका स्वास्थ्य बहुत खराब दिख रहा था वो बहुत कमजोर लग रहे थे । वैसे तो किसी ने भी उनकी बीमारी पर खुलकर नही बोला पर ऐसा कहा जा रहा था कि शायद उन्हे कैंसर था।

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विनोद खन्ना हमारे बीच भले ना हो पर उनकी यादें और उनकी फिल्में यादों में हमेशा रहेगी। 6 अक्टूबर, 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में जन्में विनोद की जिंदगी की कहानी फिल्मों से कम नहीं है। साधारण परिवार से होने के बाद भी बॉलीवुड एक्टर बनने का उनका सफर रोचक रहा है और फिर ओशो से प्रभावित होकर अपने जीवन में उथल-पुथल को भी उन्होंने देखा।

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आजादी के बाद विनोद खन्ना का परिवार मुंबई आ गया था। उनके पिता टेक्सटाइल बिजनेसमैन थे। मुंबई और दिल्ली में स्कूली पढ़ाई की। इसके बाद उनकी तमन्ना थी इंजीनियर बनने की। वो साइंस के स्टूडेंट थे। पिता की चाहत कॉमर्स की पढ़ाई कराने की थी ताकी वो बिजनेस से जुड़ें। पिता ने उनका एडमिशन एक कॉमर्स कॉलेज में भी करा दिया था, लेकिन विनोद का पढ़ाई में मन नहीं लगा। लेकिन यही उनको अपने हमसफर से मुलाकात हुई। उनकी पहली पत्नी गीतांजलि से हुई। गीतांजलि विनोद की पहली पत्नी थीं। कॉलेज से ही उनकी लव-स्टोरी शुरू हुई थी।

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विनोद खन्ना को फिल्मों में लाने का श्रेय सुनील दत्त का जाता है। एक पार्टी में उनकी मुलाकात सुनील दत्त से हुई थी। सुनील एक फिल्म में भाई के रोल के लिए नए एक्टर की तलाश में थे। उन्होंने विनोद खन्ना को वो रोल ऑफर किया। लेकिन पिता ने इसकी इजाजत नहीं दी थी उनका कहना था कि यदि वे फिल्मों में गए तो वो उन्हें गोली मार देंगे। बाद में विनोद की मां ने उनके पिता को इसके लिए राजी कर लिया और दो साल का वक्त दिया। पिता ने कहा कि दो साल तक कुछ ना कर पाए तो फैमिली बिजनेस ज्वाइन कर लेना।

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विनोद की पहली फिल्म 'मन का मीत' को मिला-जुला रिस्पॉन्स मिला। इसके बाद एक हफ्ते में ही विनोद ने करीब 15 फिल्में साइन कीं। फिल्मों में कुछ सफलता के बाद विनोद खन्ना ने गीतांजलि से शादी कर ली। उनके दो बेटे अक्षय और राहुल खन्ना हैं।

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एक समय था जब फैमिली को वक्त देने के लिए विनोद संडे काम नहीं करते थे। फिल्मों में मिली सफलता उन्हें स्टार बना दिया। कहा जाता था कि वो फिल्मों में बिग बी को भी टक्कर देते थे। लेकिन ओशो से प्रभावित होकर उन्होंने अपना पारिवारिक और फिल्मी जीवन कुछ समय के लिए तबाह कर लिया था। विनोद अक्सर पुणे में ओशो के आश्रम जाते थे। यहां तक कि उन्होंने अपने कई शूटिंग शेड्यूल भी पुणे में ही रखवाते थे। दिसंबर, 1975 में विनोद ने जब फिल्मों से संन्यास का फैसला लिया तो सभी चौंक गए थे। बाद में विनोद अमेरिका चले गए और ओशो के साथ करीब 5 साल गुजारे। वो वहां उनके माली थे।

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4-5 साल तक परिवार से दूर रहने वाले विनोद का परिवार पूरी तरह टूट गया था। जब वो इंडिया लौटे तो पत्नी ने उन्हें तलाक दे दिया। इस अलगाव के बाद 1987 में विनोद ने फिल्म 'इंसाफ' से फिर से बॉलीवुड में एंट्री की। दोबारा फिल्मी करियर शुरू करने के बाद उन्होंने 1990 में कविता से शादी की। इस शादी से एक बेटा साक्षी और एक बेटी श्रद्धा खन्ना है।

1997 में बीजेपी के मेंबर बनने के बाद विनोद नेता भी बन गए। राजनीति में एक्टिव विनोद खन्ना अब कई फिल्मों में भी नजर आ रहे हैं। सलमान खान स्टारर 'दबंग' सीरीज की फिल्मों में नजर आए।फिर शाहरुख की 'दिलवाले' में भी । एक थी रानी में भी विनोेद खन्ना ने आखिरी बार काम किया था।

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