नई दिल्ली: अयोध्या की विवादित जमीन पर मालिकाना हक के सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में इसे अगले लोकसभा चुनाव तक टालने के बयान के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कहा, कि 'वो बोर्ड के प्रतिनिधि नहीं थे।' तो दूसरी ओर, बीजेपी ने उन दस्तावेजों को दिखाया जिससे साबित होता है कि सिब्बल वक्फ बोर्ड के वकील की हैसियत से ही कोर्ट में आए थे।'
हालांकि, कपिल सिब्बल इस मामले में 'डिफेंसिव' नजर आए। कहा, 'मैं भी भगवान का भक्त हूं। जहां तक राम मंदिर का सवाल है, मोदीजी, वह तभी बनेगा जब भगवान राम चाहेंगे। हम भगवान में यकीन रखते हैं, आपमें नहीं। मंदिर आप नहीं बनाने वाले हैं। जब भगवान चाहेंगे, तभी मंदिर बनेगा। मंदिर कहां बनेगा, इस बारे में कोर्ट फैसला करेगा।'
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पीएम तथ्य जांचे बिना बयान देते हैं
सिब्बल ने कहा, 'प्रधानमंत्री अक्सर तथ्य जांचे बिना बयान देते हैं। असल में मैंने कभी भी सुप्रीम कोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड को रिप्रेजेंट नहीं किया। इसके बाद भी उन्होंने मेरी दलील नकारने के लिए वक्फ बोर्ड का शुक्रिया अदा किया।' सिब्बल ने आगे कहा, 'मैं चाहूंगा कि प्रधानमंत्री बयान देने से पहले थोड़ा ध्यान रखें। यह प्रधानमंत्री के ओहदे को शोभा नहीं देता।'
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धंधुका रैली में मोदी ने उठाया था अयोध्या मुद्दा
दरअसल, मोदी ने बुधवार को धंधुका की सभा में कहा था, कि कांग्रेस ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए अहम मसलों को लटकाए रखने का काम किया है। इसी के चलते देश की दुर्दशा हुई है। अयोध्या केस को 2019 चुनाव से कैसे जोड़ा जा सकता है?