इस माह मिलेगा इबादतों का दोगुना सवाब ,इस दिन से शुरू हो रहा है माह-ए-रमजान
रमजान के पाक महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। इस माह में किए गए अच्छे कर्मों का फल कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है।खुदा अपने बंदों के अच्छे कामों पर नजर रखता है, उनसे खुश होता है।
जयपुर: रमजान का पाक महीना मुस्लिम लोगों के लिए खास होता है। माना जाता है कि इस माह में जन्नत के दरवाजे खुल जाते है। इस माह में की गई इबादतों का सवाब अन्य माह से दोगुना मिलता है। मुस्लिम समुदाय के लोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक बिना खाए-पिए रोजा रखते हैं और खुदा की इबादत करते हैं। रमजान के दिनों में जकात यानी दान देना, कुरान पढ़ना, नमाज पढ़ना आदि कामों से अल्लाह खुश होते हैं और अपने बंदे के तमाम गुनाह माफ कर देते हैं।
लगभग एक महीना रोजे रखना का उद्देश्य पैगंबर हज़रत मुहम्मद को याद करना है। रमजान का पाक महीना मुस्लिम लोगों के लिए बेहद खास होता है। माना जाता है कि इन माह में जन्नत के दरवाज खुल जाते है। इस माह में की गई इबादतों का सबाब अन्य माह से दोगुना मिलता है। इस माह का इंतजार बहुत ही शिद्दत के साथ लोगों को होता है।रमजान के महीने में 29 या 30 दिनों तक रोजे यानी उपावास रखे जाते हैं। हर साल इसका समय और दिन बदलता हैं। इसका कारण यह है कि रमजान की तारीख चंद्र कैलेंडर पर निर्भर करती है,
इस साल यानी 2019 में रमजान की तारीख 5 मई, रविवार है और रमजान समाप्त होने की तारीख 4 जून, मंगलवार है। इस तरह ईद का त्योहार 6 जून को मनाया जा सकता है। हालांकि यह तब मान्य होगा, जब 4 मई को रमजान का चांद दिखेगा। क्योंकि रमजान और ईद के सही तारीख इस्लामिक कैलेंडर के 9वें महीने (हिजरी 1440) के अनुसार तय होती है। यह महीना 29 या 30 दिन का होता है और इस महीने की लंबाई शव्वाल चंद्रमा के देखे जाने के आधार बदल सकती है। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के सभी स्वस्थ लोग रोजे रखकर अल्लाह की इबादत में लग जाएंगे। सुबह सूरज निकलने से पहले सहरी यानी सुबह खाना खाकर पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर नमाज और कुरआन पढ़ेंगे और शाम का सूरज ढलने के बाद इफ्तारी से रोजा खोलेंगे। यह सिलसिला एक महीने तक चलेगा और रमजान के बाद 4 जून को मुसलमानों का सबसे बड़ा पर्व ईद मनाया जाएगा।
महत्व कुरान के अनुसार, अल्लाह ने अपने दूत के रूप में पैगम्बर साहब को चुना तथा रमजान के दौरान ही उनको कुरान के बारे में पता चला था। रमजान के आखिरी 10 दिनों का सबसे ज्यादा महत्व होता हैं क्योंकि इन्हीं दिनों में कुरान पूरी हुई थी। रमजान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला हिस्सा 1 से 10 रोजे तक होता है, जिसमें बताया गया है कि यह रहमतों (कृपा) का दौर होता है। वहीं दूसरे दस दिन मगफिरत (माफी) का और आखिरी हिस्सा जहन्नुम (नर्क) की आग से बचाने का करार दिया गया है।
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माना जाता है कि रमजान के पाक महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। इस माह में किए गए अच्छे कर्मों का फल कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है।खुदा अपने बंदों के अच्छे कामों पर नजर रखता है, उनसे खुश होता है।
माहे रमजान में नफिल नमाजों का फर्ज का सवाब 70 गुणा बढ़ जाता है। रोजेदार को झूठ बोलना, चुगली करना, गाली-गलौज करना, औरत को बुरी नजर से देखना, खाने को लालच भरी नजरों से देखना मना होता है। रमजान के पाक महीने में अल्लाह से अपने सभी बुरे कर्मों के लिए माफी भी मांगी जाती है। महीने भर तौबा के साथ इबादतें की जाती हैं। ऐसा करने से इंसान के सारे गुनाह माफ हो जाते हैं।
रमजान के मुबारक महीने को लेकर शहर की मस्जिदों में तैयारियां तेज हो गई हैं। बाजारों में भी तैयारियां दिखने लगी हैं। मुबारक रमजान का चांद इस्लामी महीने शाबान की 29 तारीख यानी 5 मई को देखा जाएगा। रविवार को रमजान का चांद नजर आने के साथ ही शहर की मस्जिदों में तरावीह की नमाज शुरू हो जाएगी, जो पूरे रमजान चलेगी। अगर रविवार को रमजान का चांद नजर नहीं आता तो सोमवार से तरावीह की नमाज शुरू होगी।