Mahakumbh Bhagdad: प्रयागराज में मौनी अमावस्या (29 जनवरी) की रात संगम नोज़ पर भगदड़ मचने से 30 लोगों की मौत हो गई, जबकि करीब 60 लोग घायल हुए हैं, जिनका अस्पतालों में इलाज जारी है। घटना के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं से संगम नोज़ न जाने की अपील की। उन्होंने कहा कि सभी श्रद्धालु जिस घाट पर हैं, वहीं स्नान करें और संगम नोज़ की ओर न बढ़ें।
क्या है संगम नोज?
संगम नोज वह स्थान है जहां गंगा और यमुना नदी का संगम होता है। यही वजह है कि यहां श्रद्धालुओं की सबसे अधिक भीड़ होती है। यमुना का पानी हल्का नीला और गंगा का पानी हल्का मटमैला दिखता है। यहां यमुना गंगा में मिलकर बनारस की ओर प्रवाहित हो जाती है। दरअसल, गंगा-यमुना के मिलन से एक त्रिकोण बनता है, जो नाक जैसी आकृति में दिखता है, इसलिए इसे 'संगम नोज़' कहा जाता है। मान्यता है कि संगम में न केवल मनुष्य, बल्कि देवता और दानव भी स्नान के लिए आते हैं। संगम पर स्नान से मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है। यही स्थान अखाड़ों के संतों के धार्मिक अनुष्ठान और अमृत स्नान के लिए भी आरक्षित होता है।
प्रयागराज संगम तट का मानचित्र (Photo: Google Maps)
महाकुंभ 2025 से पहले संगम नोज का विस्तार
महाकुंभ 2025 के शुरू होने से पहले, उत्तर प्रदेश सरकार ने संगम नोज की पूर्वी परिधि का विस्तार किया और शास्त्री ब्रिज (गंगा नदी पर) और संगम नोज के बीच लगभग 26 हेक्टेयर भूमि को जोड़ा उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने शाही स्नान के दिनों को ध्यान में रखते हुए 1,650 मीटर के हिस्से पर रेत की बोरियाँ रखीं, जिससे अस्थायी घाटों के निर्माण में मदद मिली और एक साथ अधिक श्रद्धालु स्नान कर सकें, जैसा कि जनवरी में समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया।
संगम नोज का यह विस्तार, जिसका उद्देश्य हर घंटे 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को स्नान करने की सुविधा देना था, महाकुंभ 2019 की तुलना में चार गुना वृद्धि थी, जब क्षमता 50,000 प्रति घंटे थी महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए संगम नोज सबसे पसंदीदा स्थान है, खासकर गुरुवार को मौनी अमावस्या के दौरान। हालांकि, श्रद्धालुओं को प्रयागराज में संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाते समय जमीनी हकीकत को भी ध्यान में रखना होगा।
देर रात 2 बजे संगम नोज पर हुआ हादसा
देर रात करीब 2 बजे संगम की ओर दौड़ती एंबुलेंस और पुलिस की गाड़ियों के तेज सायरन की आवाजें कुंभ मेला क्षेत्र में लाउडस्पीकरों से गूंजते मंत्रों और श्लोकों के बीच सुनाई दे रही थीं। इस हादसे के बाद अखाड़ों ने अमृत स्नान स्थगित कर दिया था, लेकिन दोपहर तक हालात सामान्य होने पर सभी अखाड़ों ने अमृत स्नान किया। एजेंसी के मुताबिक, शाम 5 बजे तक करीब 6 करोड़ श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई।