अब मदरसों को फंड नहीं देगी सरकार! NCPCR की बड़ी सिफ़ारिश

Funds to Madrassas: इसके पहले 2021 में आयोग ने अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों की शिक्षा पर संविधान के अनुच्छेद 21ए के संबंध में अनुच्छेद 15(5) के तहत छूट के प्रभाव पर एक रिपोर्ट जारी की थी।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2024-10-13 09:37 IST

Funds to Madrassas (pic: social media)

Funds to Madrassas: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मदरसों और मदरसा बोर्डों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग बंद करने की सिफारिश की है। यही नहीं, आयोग ने मदरसा बोर्डों को बंद करने का भी सुझाव दिया है। आयोग ने इस संबंध में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है।

क्या क्या कहा आयोग ने

  • आयोग ने सिफारिश की है कि सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकालकर आरटीई अधिनियम, 2009 के तहत बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने के लिए सामान्य स्कूलों में भर्ती कराया जाए।
  • मान्यता प्राप्त या गैर मान्यता वाले मदरसे में पढ़ रहे मुस्लिम समुदाय के बच्चों को औपचारिक स्कूलों में दाखिला दिलाया जाए और आरटीई अधिनियम, 2009 के अनुसार निर्धारित पाठ्यक्रम की शिक्षा दी जाए।
  • बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट इस उद्देश्य से तैयार की गई है कि एक ऐसा व्यापक रोडमैप बनाया जाए ताकि देश भर के सभी बच्चे सुरक्षित, स्वस्थ वातावरण में बड़े हों।
  • आयोग के निदेशक प्रियांक कानूनगो ने मदरसा बोर्ड को भंग करने की भी सिफारिश की है।
  • आयोग ने इस मुद्दे पर 9 साल तक अध्ययन करने के बाद अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रिसर्च के बाद पता चला है कि करीब सवा करोड़ से ज्यादा बच्चे अपने बुनियादी शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं। और उन्हें इस तरह से टॉर्चर किया जा रहा है कि वे कुछ लोगों के गलत इरादों के मुताबिक़ काम करेंगे।

इसके पहले 2021 में आयोग ने अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों की शिक्षा पर संविधान के अनुच्छेद 21ए के संबंध में अनुच्छेद 15(5) के तहत छूट के प्रभाव पर एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें कहा गया था कि किस तरह मदरसा जैसे धार्मिक शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा के उनके मौलिक अधिकार का लाभ नहीं मिल रहा है। अनुच्छेद 21ए के अनुसार मुफ्त और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा सभी बच्चों का मौलिक अधिकार है। देश में लगभग 15 लाख स्कूल हैं।

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