पहले मौत आएगी या राशन ? अनाज का नहीं एक भी दाना, भुखमरी के करीब 7 लोग

Update:2016-06-20 15:45 IST

गोरखपुर: सरकारी तंत्र की उदासीनता और पैसों की तंगी झेल रहा एक परिवार ऐसा भी है, जो भुखमरी की कगार पर है। अच्छे दिन के वादे और बदल रहा है आज, संवर रहा है कल के नारे की असलियत इस परिवार के सभी 7 सदस्यों का हाल देखकर बखूबी बयां होती है।

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कौन-कौन है परिवार में ?

-मामला गोरखपुर के खजनी तहसील, बांसगांव ब्लाक के कूड़ाभरथ गांव का है।

-जहां एक परिवार की मुखिया 75 साल की परमी देवी हैं।

-परमी देवी के पति बहादुर की कई साल पहले ही मौत हो चुकी है।

-परिवार में एक बेटा हरि बेलदार (52 ), हरि बेलदार की पत्नी परवंता (48), दो बेटे मोहन (17) और पिंटू (13) जिनकी दिमागी हालत खस्ता है।

-9 साल की बेटी राधिका और हरि का भाई लालचंद्र (45) भी परिवार के सदस्य हैं।

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राशन कार्ड तो है, लेकिन राशन खरीदने के लिए पैसे नहीं

-हरि बताते हैं कि पूरे परिवार की माली हालत खस्ता है।

-हमारा गरीबी रेखा से नीचे वाला राशन कार्ड है, पर हमारे पास राशन खरीदने के लिए एक भी रुपया नहीं है।

-गांव वाले कभी कभार हमें खाना दे देते हैं।

-बाकी दिन पानी पी के ही गुजारना पड़ता है।

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मजदूरी करके मां ने पाला पेट

-हरि बताते हैं कि बचपन में सिर से पिता का साया उठ गया था।

-मां मजदूरी करके हमारा पेट पाल रही थी।

-जब दोनों भाई ने होश संभाला तो वह मेहनत मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करने लगे।

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बीमारी से जूझ रहा पूरा परिवार

-हरी ने कहा कि पिछले कुछ सालों से हमारी तबियत खराब हो गई।

-मां और मेरी पत्नी परवंता भी काफी बीमार रहती है।

-भाई भी कई महीनों से बीमार है। बच्चे भी बीमारी से जूझ रहे हैं।

-हमारा दर्द सुनने वाला कोई नहीं है।

-न कोई अधिकारी और न ही कोई जन प्रतिनिधि हमारी सुध लेता है।

-जीने के लिए हमारे पास न दवा है, न भोजन है।

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क्या कहते हैं ग्रामीण

गांव में रहने वाले जय प्रकाश त्रिपाठी, विजय प्रताप त्रिपाठी, प्रेमशंकर, धर्मेंद्र और संतराज भी इस परिवार की लाचारी की दास्तान कहने में गुरेज नहीं करते हैं। वह कहते हैं कि सरकार अच्छे दिन के वादे तो कर रही है लेकिन गरीब भूख के कारण मरने को मजबूर हैं। कोई भी अधिकारी इस गरीब परिवार की सुध लेने वाला नहीं है।

परिवार की इस हालत का जिम्मेदार कौन ?

इस संबंध में खजनी के एसडीएम अमरेंद्र वर्मा और बांसगांव के बी डी ओ सहित बांसगांव स्वास्थ विभाग के अधीक्षक भी कन्नी काट एक दूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं। ऐसे में यह तय करना मुश्किल है, कि आखिर इस परिवार की इस हालत का जिम्मेदार कौन है।

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