500 साल पुराने काशी के रहस्यमय मंदिर पर गिरी बिजली, टूटा शिखर

काशी तो शिव की नगरी है। कहते हैं कि भगवान शंकर के त्रिसुल पर ये शहर विराजमान है। यहां के कण-कण में भोलेनाथ बसते हैं। लोक कथा की माने तो एक बार शिव जी किसी बात पर पार्वती जी से रूठ कर उनसे मुंह फेर कर गंगा की तरफ करवट करके लेट गए। रत्नेश्वर महादेव मंदिर उसी स्थान पर है, इसलिए वहां का मंदिर एक तरफ गंगा की ओर झुका है।

Update: 2016-03-13 04:45 GMT

वाराणसी: मंदिरों और घाटों के शहर काशी में सिंधिया घाट पर स्थित 500 साल पुराने रहस्यमय मंदिर पर शनिवार की रात को अचानक आकाशीय बिजली गिरी। बिजली गिरने से मंदिर का शिखर क्षतिग्रस्त हो गया। इस दौरान वहां हड़कंप मच गया। जब ये घटना हुई तो कुछ लोग मंदिर के नीचे खड़े थे लेकिन गनीमत इस बात की रही कि कोई घायल नहीं हुआ। इस मंदिर को रत्नेश्वर महादेव का मंदिर कहते है। इसे काशी करवट मंदिर भी कहा जाता है।

क्या है मंदिर का रहस्य

-मंदिर के इतिहास को लेकर कई कहानियां है।

-जानकार बताते है कि 15वीं और 16वीं शताब्दी के मध्य कई राजा, रानियां काशी रहने के लिए आए थे।

-काशी प्रवास के दौरान उन्होंने कई हवेलियां ,कोठियां और मंदिर बनारस में बनवाएं। उनकी मां भी यहीं रहा करती थीं।

-उस समय राजा के सेवक भी अपनी मां को काशी लेकर आये थे।

-सिंधिया घाट पर राजा के सेवक ने राजस्थान समेत देश के कई शिल्पकारों को बुलाकर मां के नाम से महादेव का मंदिर बनवाना शुरू किया।

-मंदिर बनने के बाद वो मां को लेकर वहां गया और बोला कि तेरे दूध का कर्ज उतार दिया है।

-मां ने मंदिर के अंदर विराजमान महादेव को बाहर से प्रणाम किया और जाने लगी।

-बेटे ने कहा कि मंदिर के अंदर चलकर दर्शन कर लो।

-तब मां ने जवाब दिया कि बेटा पीछे मुडक़र मंदिर को देखो, वो जमीन में एक तरफ धंस गया है।

-कहा जाता है तब से लेकर आज तक ये मंदिर ऐसे ही एक तरफ झुका हुआ है।

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भगवान शंकर के रुठने से टेड़ा हुआ था मंदिर

-काशी तो शिव की नगरी है।

-कहते हैं कि भगवान शंकर के त्रिशूल पर यह शहर विराजमान है।

-यहां के कण-कण में भोलेनाथ बसते हैं।

-लोक कथा की माने तो एक बार शिव जी किसी बात पर पार्वती जी से रूठ कर उनसे मुंह फेर कर गंगा की तरफ करवट करके लेट गए।

-रत्नेश्वर महादेव मंदिर उसी स्थान पर है, इसलिए वहां का मंदिर एक तरफ गंगा की ओर झुका है।

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पीसा की मीनार से होती है तुलना

-काशी दुनिया का सबसे प्राचीन नगर है।

-रत्नेश्वर इसी नगरी के सिंधिया घाट पर एक ऐसा मंदिर है, जो लगभग 500 साल से एक तरफ झुका हुआ है।

-लोग इसकी तुलना पीसा की मीनार से भी करते हैं।

-इसकी खासियत के चलते कुछ लोग भ्रमवश इसे काशी करवट मंदिर के नाम से भी पुकारते है।

-बताया जाता है कि सेवक की मां का नाम रत्ना था, इसलिए मंदिर का नाम रत्नेश्वर महादेव पड़ गया।

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छह महीने डूबा रहता है मंदिर

-इस मंदिर के बारे में एक ओर दिलचस्प बात है कि यह मंदिर छह महीने तक पानी में डूबा रहता है।

-बाढ़ के दिनों में 40 फीट से ऊंचे इस मंदिर के शिखर तक पानी पहुंच जाता है।

-विधि-विधान से मंदिर में पूजा भी नहीं हो पाती है।

-बाढ़ के बाद मंदिर के अंदर सिल्ट जमा हो जाता है।

-मंदिर टेढ़ा होने के बावजूद यह आज भी कैसे खड़ा है, इसका रहस्य कोई नहीं जानता है।

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