तिरुवनंतपुरम: केरल का एक प्रमुख त्योहार है ओणम। फसलों का त्योहार कहा जाने वाला ओणम में प्रत्येक घर के आंगन में फूलों की पंखुड़ियों से सुन्दर-सुन्दर रंगोलिया (पूकलम) डाली जाती हैं। ऐसे में शनिवार (25 अगस्त) को ओणम है लेकिन इस बार त्योहार धूमधाम से नहीं मनाया जाएगा।
यह भी पढ़ें: केरल बाढ़ : अब तक 417 मरे, राहत शिविरों से घरों को लौट रहे लोग
दरअसल, पूरा केरल बाढ़ की चपेट में हैं। संपत्ति के साथ जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। इसलिए राज्य में ओणम त्योहार मनाने के आसार कम ही हैं। वहीं, सरकार ने आधिकारिक उत्सव को रद्द कर दिया है और 39 करोड़ रुपये की राशि राहत कार्य के लिए दे दी है। केरल में बारिश व बाढ़ की विभीषिका में अब तक 417 लोग जान गंवा चुके हैं। मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सैकड़ों लोग राहत शिविरों से घरों को लौट रहे हैं, फिर भी अभी 8।69 लाख लोग 2,787 राहत शिविरों में हैं। विजयन ने मीडिया से कहा कि 29 मई से मानसून की बारिश शुरू होने से मौतें होनी शुरू हो गईं थीं लेकिन आठ अगस्त से 265 लोगों के मौत होने की सूचना है, जब मूसलाधार बारिश की वजह से राज्य में भयावह बाढ़ आ गई। केरल में यह सदी की सबसे भयावह बाढ़ है।
यह भी पढ़ें: केरल में बाढ़ के चलते रद्द रेलवे की परीक्षा अब 4 सितंबर को
विजयन ने कहा कि 36 लोग लापता हैं। मुख्यमंत्री ने बाढ़ से प्रभावित लोगों से केरल सरकार की वेबसाइट पर अपने नुकसान की जानकारी देने का आग्रह किया है। बाढ़ की वजह से 7,000 घर पूरी तरह से नष्ट हुए हैं और करीब 50,000 घरों को आंशिक रूप से नुकसान हुआ है।
विजयन की यह टिप्पणी अधिक संख्या में लोगों के राहत शिविरों से वापस जाने व अपना जीवन फिर शुरू करने पर आई है। राज्य में एक समय में कुल 3,000 से ज्यादा राहत शिविर थे। राज्य में शुक्रवार को धूप निकली रही और ज्यादातर इलाकों में पानी तेजी से घटा।
राहत शिविरों में ज्यादा संख्या में लोग अलप्पुझा, चेंगान्नूर, पारावूर, चांगनाचेरी, चालाकुडी व पथनमथिट्टा जिले के बताए जा रहे हैं। कोयट्टम में कई शिविरों को बंद कर दिया गया। मगर सीएमएस कॉलेज के एक केंद्र पर लोगों ने ओणम सदया परोसा गया। यह केरल के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार ओणम पर परोसा जाने वाला पारंपरिक भोज है।