वाशिंगटन : अमेरिका ने ऐलान किया है कि वह संयुक्त राष्ट्र की उस एजेंसी को दी जाने वाली वित्तीय सहायता में से आधी से ज्यादा राशि को रोक रहा है जो एजेंसी फिलिस्तीन की मदद के लिए नियुक्त है। अमेरिका ने यह कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एजेंसी को दी जाने वाली सहायता को रोक देने की धमकी दिए जाने के दो सप्ताह बाद उठाया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका संयुक्त राष्ट्र राहत कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) को दी जाने वाली वित्तीय सहायता राशि 12.5 करोड़ डॉलर में से 6.5 करोड़ डॉलर की रकम को रोक देगा, जो (एजेंसी) लेबनान, सीरिया, जॉर्डन, गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में फिलिस्तीन के शरणार्थियों को मानवीय सहायता, शिक्षा, सामाजिक सेवाएं, चिकित्सकीय देखभाल प्रदान करती है।
ट्रंप ने कहा था कि इजरायल के साथ शांति प्रयासों को अगर फिलीस्तीन नकार देता है, तो अमेरिका उसे दी जाने वाली सहायता में कटौती कर सकता है।
ये भी देखें :ट्रंप की मध्यपूर्व शांति योजना ‘मुंह पर तमाचे’ जैसी : महमूद अब्बास
फिलिस्तीन ने इस फैसले की निंदा की है। इजरायल ने इसकी सराहना की है। संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों ने फैसले को लेकर चिंता जाहिर की है। अधिकारी शरणार्थी समूहों की मानवीय सहायता पर पड़ने वाले प्रभाव, खासकर सीरिया में पहले ही संघर्ष से जूझ रहे क्षेत्रों के अस्थिरता की चपेट में आने की संभावना को लेकर चिंतित हैं।
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता हीदर नॉर्ट ने मंगलवार को कहा कि यह फैसला फिलिस्तीन द्वारा इजरायल से बातचीत करने से इनकार कर देने पर उसे दंडित करने के मकसद से नहीं लिया गया है।
उन्होंने कहा, "इसका मकसद किसी को दंडित करना नहीं है।"
नॉर्ट ने कहा कि वित्तीय मदद इसलिए रोकी गई है क्योंकि अमेरिका यूएनआरडब्ल्यूए में सुधार देखना चाहता है और चाहता है कि अन्य देश राहत एजेंसी में ज्यादा योगदान दें, जिसकी स्थापना अरब-इजरायल युद्ध के बाद विशेष रूप से फिलिस्तीनी शरणार्थियों की आमद से निपटने के लिए 1949 में की गई थी।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि वह क्षेत्र में इससे पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंतित हैं।
फिलीस्तन लिबरेशन आर्गनाइजेशन (पीएलओ) की कार्यकारी समिति की सदस्य हनान अशरावी ने वित्तीय मदद रोकने के फैसले की निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह फिलीस्तीन के सबसे कमजोर वर्ग को निशाना बनाता है और इससे क्षेत्र में अस्थिरता पैदा होगी।
संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के राजदूत डैनी डैनन ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि यूएनआरड्ब्लयूए ने खुद को एक ऐसी एजेंसी के तौर पर साबित किया है जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की मानवीय सहायता का दुरुपयोग करती है, इजरायल विरोधी प्रचार का समर्थन करती है और नफरत को बढ़ावा देती है।