नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को हल करने के लिए 'एकजुट' काम करने की जरूरत पर जोर देते हुए रविवार को कहा कि शांति का मतलब महज 'युद्ध न होना' नहीं है।
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मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 49वें संस्करण में कहा, "गरीबों में सबसे गरीब का विकास शांति का असल सूचक है।" उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी विश्व शांति की बात होगी, भारत का नाम और उसका योगदान सुनहरे अक्षरों में लिखा होगा।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि भले ही भारत का प्रथम विश्व युद्ध के साथ सीधे तौर पर कोई लेना-देना नहीं था लेकिन यह एक महत्वपूर्ण घटना थी क्योंकि भारतीय सैनिकों ने इसे बहादुरी से लड़ा और अपने जीवन का बलिदान कर बहुत बड़ी भूमिका निभाई।
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मोदी ने कहा, "भारतीय सैनिकों ने दुनिया को दिखाया कि अगर युद्ध की बात आती है तो वे किसी से पीछे नहीं हैं। हमारे सैनिकों ने कठिन क्षेत्रों और प्रतिकूल परिस्थितियों में अदम्य साहस दिखाया है। इसके पीछे एक ही उद्देश्य रहा है- शांति बहाल करना। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान दुनिया ने मृत्यु और विनाश का नृत्य देखा।"
उन्होंने कहा, "करीब एक करोड़ सैनिकों और लगभग इतनी ही संख्या में नागरिकों ने अपनी जान गंवा दी। इसने पूरी दुनिया को शांति के महत्व को अहसास कराया व समझाया। लेकिन पिछले सौ वर्षों में शांति की परिभाषा बदल गई है। आज शांति का मतलब सिर्फ 'युद्ध न होना' नहीं है।
प्रकृति और अपने अधिकारों के लिए लड़ते हैं आदिवासी : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जंगलों की रक्षा करने और पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली की परंपरा को जारी रखने के लिए आदिवासी समुदायों की रविवार को सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब उनके (आदिवासी समुदाय) अधिकारों व जमीन की रक्षा की बात आती है, तो वे लड़ते हैं।
मोदी ने कहा कि आदिवासी संस्कृति 'पर्यावरण, पेड़ों व बाघों' की रक्षा में विश्वास रखती है। मोदी ने कहा, "यह सच है कि आदिवासी समुदाय बहुत शांतिपूर्ण और आपस में मेलजोल के साथ रहने में विश्वास रखता है, पर जब कोई उनके प्राकृतिक संसाधनों का नुकसान कर रहा हो तो वे अपने अधिकारों के लिए लड़ने से नहीं डरते हैं।"
उन्होंने कहा कि भारत सहित दूसरे देश पर्यावरण सुरक्षा के समाधान खोज रहे हैं, और यह समाधान हमारे 'गौरवपूर्ण अतीत' में है, जिसके लिए आदिवासी समुदाय की जीवनशैली को समझने की जरूरत है। आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा और अंग्रेजों के खिलाफ उनके संघर्ष को याद करते हुए मोदी ने कहा कि आश्चर्य की बात नहीं है कि हमारे प्रमुख स्वतंत्र सेनानियों में आदिवासी समुदाय के लोग थे।
उन्होंने कहा, "जंगली भूभाग की रक्षा के लिए देश आदिवासी समुदाय का ऋणी है।" मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, महाराष्ट्र व दूसरे जगहों के समुदायों का नाम लेते हुए मोदी ने कहा कि आदिवासी जानते हैं कि सामंजस्य और समन्वय बनाकर प्रकृति के साथ कैसे जीवन जीया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि मध्य भारत की भील जनजाति में विशेषकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में लोग पीपल और अर्जुन जैसे पेड़ों की श्रद्धापूर्वक पूजा करते हैं। राजस्थान जैसी मरुभूमि में बिश्नोई समाज ने पर्यावरण संरक्षण का रास्ता हमें दिखाया है।
उन्होंने कहा, "अरुणाचल प्रदेश की मिशमी जनजातियां बाघों के साथ खुद का रिश्ता होने का दावा करती हैं। नागालैंड में भी बाघों को वनों के रक्षक के रूप में देखा जाता है। महाराष्ट्र के वार्ली समुदाय के लोग बाघ को अतिथि मानते हैं। उनके लिए बाघों की मौजूदगी समृद्धि लाने वाली होती है। मध्य भारत के कोल समुदाय के बीच एक मान्यता है कि उनका खुद का भाग्य बाघों से जुड़ा है। अगर बाघों को निवाला नहीं मिला तो गांव वालों को भी भूखा रहना पड़ेगा।"
खेलों में नए रिकॉर्ड स्थापित कर रहा भारत : मोदी
पैरा-एशियाई खेलों तथा युवा ओलम्पिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि हमारे खिलाड़ी नए रिकॉर्ड स्थापित कर रहे है। मोदी ने कहा कि भारत केवल खेलों में ही नहीं, बल्कि नए क्षेत्रों में भी रिकॉर्ड कायम कर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भावना, ताकत, कौशल और क्षमता खेल जगत में भारत के मूल आधार के प्रमुख तत्व हैं। उन्होंने कहा, "देश के युवा अगर इन गुणों को धारण कर लें, तो हमारा देश न केवल आर्थिक, विज्ञान और प्रोद्यौगिक के क्षेत्रों में ही विकास नहीं करेगा, बल्कि हमारे युवा खेल के क्षेत्रों में भी उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं।"
पैरा-एशियाई खेलों-2018 और युवा ओलम्पिक खेलों में हिस्सा लेने वाले एथलीटों को बधाई देते हुए मोदी ने कहा, "पैरा एथलीटों ने 72 पदक हासिल कर नया रिकॉर्ड बनाया और देश को गौरवांन्वित किया।" युवा ओलम्पिक खेलों के बारे में मोदी ने कहा कि युवा खिलाड़ियों का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ था।
उन्होंने कहा, "हाल ही के एशियाई खेलों में भारत का प्रदर्शन शानदार था। यह भारतीय खेलों का असली कहानी है, जो हर बीते दिन के साथ और भी बेहतर होती जा रही है। भारत केवल खेल के क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि अनछुए क्षेत्रों में भी रिकॉर्ड कायम कर रहा है।"
स्वर्ण पदक जीतने वाले पैरा-एथलीट नारायण ठाकुर के बारे में मोदी मने कहा कि उन्होंने बचपन में अपने पिता को खो दिया था और उसके बाद आठ साल अनाथालय में बिताए। अपना गुजारा करने के लिए उन्होंने डीटीसी की बसें साफ की और सड़क किनारे की दुकानों में भी काम किया।
मोदी ने कहा कि इसी नारायण ने भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं। भारतीय खेल जगत के तेजी से बढ़ते स्तर को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने कभी भी जूडो में पदक नहीं जीता था, लेकिन तब्बाई देवी ने युवा ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रचा है।
मणिपुर की निवासी 16 वर्षीय तब्बाई के पिता मजदूर हैं और माता मछली विक्रेता हैं। मोदी ने कहा कि इस प्रकार की कहानियां कई हैं। उन्होंने कहा, "हर जीवन और हर इंसान प्रेरणा का स्रोत है। हर युवा खिलाड़ी का जुनून और समर्पण नए भारत की नींव है।"
पिछले साल आयोजित फीफा अंडर-17 विश्व कप को याद करते हुए मोदी ने कहा, "हमने सफल रूप से इस टूर्नामेंट का आयोजन किया था और इसे प्रशंसा भी मिली थी, क्योंकि दर्शकों के मामले में इस टूर्नामेंट ने रिकॉर्ड कायम किया था।" मोदी ने कहा, "इस साल भी हम ओडिशा हॉकी विश्व कप की मेजबानी मिलने के लिए भाग्यशाली हैं।"
भुवनेश्वर में होने वाले इस टूर्नामेंट की शुरुआत 28 नवम्बर से होगी, जो 16 दिसम्बर तक जारी रहेगा। मेजर ध्यान चंद, बलबीर सिंह सीनियर, लेसली क्लॉडियस, मोहम्मद शाहिद, उधम सिंह और धनराज पिल्ले जैसे हॉकी दिग्गजों को याद करते हुए मोदी ने नागरिकों से भुवनेश्वर जाकर भारतीय टीम का समर्थन करने का आग्रह किया है।
--आईएएनएस