बालासोर: पीएम मोदी उड़ीसा के बालासोर में एक जनसभा को संबोधित कर रहे हैं। वहां उन्होंने कहा कि शाह लोग दिल्ली में एयरकंडीशनर कमरों में बैठ करके देश की 24 घंटे चिंता और चर्चा करते हैं, उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं होगा कि ऐसी चमचमाती धूप में बालासोर का नजारा। न कोई चुनाव है, न कोई जन आंदोलन है, न कोई मांग है, लेकिन उसके बावजूद भी यह जन सागर सिर्फ प्रेम बरसाने आया है।
जब ईश्वर का रूप जनता जनार्दन स्वंय उसके प्रधान सेवक को पुचारकने के लिए इतना कष्ट उठाती हो तो फिर प्रधान सेवक की दौड़ने की ताकत भी बढ़ जाती है। मैं भगवान जगन्नाथ की धरती पर आया हूं। यह भगवान गरीबों का देवता है। यह खिचड़ी भी खाता है और कड़ा भी पीता है। ऐसी भगवान की धरती को मैं शत-शत प्रणाम करता हूं। बालासोर एक तरह से मिसाइल सिटी भी है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जी की यह कर्मभूमि रहा है और इसलिए आधुनिक भारत के सपने इसकी गोद में पल रहे हैं।
-कोई भी सेलिब्रिटी या सरकार कितनी भी लोकप्रियता क्यों न हासिल कर लें, लेकिन 6 या 9 महीने बाद जनता की उदासीनता शुरू हो जाती है।
-यह हमने लगातार देखा है, लेकिन मैं पहली बार देख रहा हूं कि दो साल के बाद भी किसी सरकार को इतना जनता प्यार मिला हो। इतना आर्शीवाद मिला हो।
-इससे हमारी काम करने की ताकत बढ़ती है। काम करने का विश्वास बढ़ता है और उसकी वजह से हमें देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सबका समर्थन हासिल हो रहा है।
-पहले सरकारें यह मानती थी कि देश हम चला रहे हैं। देश का भला हम कर रहे हैं। हम ही देश का भाग्य बदलेंगे। हमने इसका नतीजा भी देखा है।
- यह पहली सरकार है, जिसका मंत्र रहा है 'सबका साथ, सबका विकास' और इसलिए हमने लगातार यह कोशिश की है कि सरकार की हर योजना में जनभागीदारी हो।
सरकार और जनता को दोनों को मिलकर करें काम
-सिर्फ सरकार ही नहीं, सिर्फ जनता ही नहीं, बल्कि दोनों साथ मिलकर समाज का समस्याओं का समाधान करने के लिए आगे आएं।
-मैं जनता का आभारी हूं कि उन्होंने सरकार को, सरकार की हर बात हो अपना बना लिए।
-अगर सरकार एकदम चलती है तो मैं देख रहा हूं कि मेरा देश दो कदम आगे निकल रहा है।
-जनता को विश्वास की सरकार की नीयत में कोई खोट नहीं है। नीतियां हिंदुस्तान के लोगों का भला करने के लिए बनती हैं।
सरकार अमीरों की नहीं, सिर्फ गरीबों के लिए होती है- मोदी
-सरकार अमीरों के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ गरीबों के लिए ही होती है।
-अगर अमीर बीमार हो जाए तो सैकड़ों डॉक्टर लाइन लगाकर घर के बाहर खड़े हो जाते हैं।
-अगर गरीब बीमार हो तो उसे अस्पताल के बाहर कतार में खड़ा होना पड़ता है।
-जब सरकारी अस्पताल अच्छा होगा, तभी गरीब का सही उपचार होगा।
-अमीर के बेटे को पढ़ाने के लिए अच्छे से अच्छा टीचर घर पहुंच जाता है।
-गरीब के बच्चे को पढ़ाना है तो उसे सरकारी स्कूल और वहीं के टीचर पर भरोसा करना होगा
-सरकार की हर योजना के केंद्र बिंदु में गरीब होना चाहिए। उसका भला होना चाहिए।
-हम 50 साल के गरीबी हटाओ के नारे सुनते आए हैं, लेकिन हटाने का रास्ता गलत निकला।
-गरीबी और बेरोजगारी हटने के बजाए बढ़ती चली गई।