वाराणसीः नाइजीरियाई डाकुओं के चंगुल से 45 दिन बाद रिहा हुए संतोष भारद्वाज बुधवार को अपने घर पहुंच गए। बेटे को देखते ही परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। हालाकि संतोष ने मदर्स डे के मौके पर ही घर फोन करके सूचना दे दी थी कि उसे डाकुओं ने छोड़ दिया है और वह वापस आ रहा है।
डीरेका के रिटायर्ड मुख्य लेखाधिकारी वीरेंद्र प्रसाद के बेटे संतोष ने बताया कि इस दौरान उसे बहुत मुश्किलें झेलनी पड़ी। उसे खाने में कुत्ते और बंदर का मांस दिया जाता था एक महीने तक वो सिर्फ नूडल्स खाकर जिंदा रहा।
संतोष के रिहा होने पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने खुशी जाहिर करते हुए ट्वीट किया।
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— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) May 11, 2016
Thank you Zankhana Ruprelia and Capt Rohan Ruparelia for helping Kanchan Bhardwaj. @SisteronDuty — Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) May 11, 2016
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) May 11, 2016
क्या था पूरा मामला
-पिछले 26 मार्च को संतोष को बीच समंदर से डाकुओं ने अगवा कर लिया था।
-संतोष समेत कुल पांच साथियों को अगवा कर डाकू फिरौती मांग रहे थे।
-संतोष की पत्नी ने पीएम मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी अपने पति की रिहाई की गुहार लगाई थी।
डीरेका के पास रहता है परिवार
-संतोष के पिता वीरेंद्र प्रसाद डीरेका में मुख्य लेखाधिकारी के पद पर थे।
-वह समस्तीपुर बिहार के मंडुवाडीह के राजतिलक नगर कालोनी के मूल निवासी हैं।
-पिछले कई सालों से वह वाराणसी में डीरेका के पास रह रहे थे।
-घर में मां निर्मला ठाकुर पत्नी कंचन और एक बच्ची चारू है।
बेटा संतोष नाइजीरिया में है इंजीनियर
- संतोष सिंगापुर की कंपनी 'ट्रांसओशन सिंगापुर प्रा.लि शिपिंग' में थर्ड इंजीनियर(मैकेनिकल) पद पर नाइजीरिया में है।
-वह 26 मार्च को सुमंद्री मालवाहक शिप में नाइजीरिया के बंदरगाह से समुद्र में कुछ दूर निकले थे।
-इस दौरान समुद्री लुटेरों ने शिप को रास्ते में रोक लिया और अंदर घुसकर तोड़फोड़ की।
खाने में देते थे कुत्ते और बंदर का मांस
-शिप पर सवार भारत समेत कई देशों के कुल पांच लोगों का अपहरण कर लिया।
-बेटे संतोष ने बताया कि लुटेरे बीच समंदर में किसी टापू पर बंधक बनाकर रखे हुए थे।
-वह उन्हें खाने के लिए बंदर और कुत्ते का मांस देते थे
कंपनी ने डाकुओं को एक मिलियन देकर बचाई जान
-डाकुओं के चंगुल से छूटकर वापस आए संतोष ने बताया कि कंपनी ने उन्हें छुड़वाने के लिए एक मिलियन से ज्यादा की फिरौती दी है।
-इसके बाद ही डाकुओं ने उन्हें जाने दिया।
सदमें था पूरा परिवार
-पत्नी कंचन और संतोष की मां पिछले 45 दिनों से सदमें में थी।
-मां ने बताया कि उनके बेटे का मदर डे पर ही फोन आया था कि मां मै रिहा हो गया हूं और मैं बिल्कुल सुरक्षित हूं।
-पूरा परिवार पिछले 45 दिनों से भगवान की शरण में था सभी दिन रात पूजा पाठ में लगे हुए थे।
-सभी ने मंदिर गुरुद्वारे और मजार पर जाकर भगवान से संतोष की रिहाई की प्रार्थना की थी।