फर्जी स्टिंग: टीवी टुडे के जर्नलिस्ट 26 को UP विधानसभा में होंगे पेश

Update:2016-02-23 17:33 IST

लखनऊ: यूपी विधानसभा में मंगलवार को हुई चर्चा के बाद फर्जी स्टिंग करने के आरोप में टीवी टुडे के दो चैनलों (आज तक और हेडलाइंस टुडे) के सभी पदाधिकारियों को 26 फरवरी को सदन में उपस्थित होने का आदेश दिया गया है। इससे पहले 16 फरवरी को यूपी विधानसभा की सात मेंबर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी थी। इस रिपोर्ट में न्यूज चैनल आज तक और हेडलाइंस टुडे को अवमानना और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का दोषी पाया था। चैनल ने कैबिनेट मंत्री आजम खान के खिलाफ मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर फर्जी स्टिंग ऑपरेशन चलाया था। एडिटर सहित कई लोगों के खिलाफ आईपीसी की अलग-अलग धाराओं में कार्रवाई की सिफारिश की गई थी।

क्या कहा सीएम ने ?

विधानसभा में स्टिंग ऑपरेशन पर चर्चा के दौरान सीएम ने कहा,'' मीडिया हाउस अब नहीं बचे हैं। थोड़ा छानबीन करें तो पता चलता है कि अब वो बिजनेस हाउस है। चैनल के लोगों को कोई हक नहीं है कि वो किसी के भी जीवन से खिलवाड़ करें। किसी नेता की छवि कोई एक दिन में नहीं बनती है। मुझे समझ नहीं आ रहा है बीजेपी ने इस पर चर्चा करने से वॉक आउट क्यों किया।"

स्टिंग से खराब हुआ माहौल

-रिपोर्ट में कहा गया था कि जिस तरह से इस खबर को चलाया गया उससे सांप्रदायिक माहौल खराब हुआ।

-कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, चैनल ने मांगे गए रॉ फुटेज नहीं दिए।

-जांच में ये भी पाया गया कि मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर आजम खान के खिलाफ किया गया स्टिंग ऑपरेशन पूरी तरह से फर्जी था।

इनको बुलाया गया सदन में

26 फरवरी को सदन में चैनल के मैनेजिंग एडिटर सुप्रिया प्रसाद, आउअपुट हेड मनीष कुमार,एसआईटी हेड दीपक शर्मा, हेडलाइंस टुडे के मैनेजिंग एडिटर राहुल कंवर, एडिटर और एंकर पुण्य प्रसून बाजपेई, रिपोर्टर हरीश शर्मा, एंकर गौरव सावंत और पदम्बा जोशी को बुलाया गया है।

मीडिया बन गया टीआरपी का खेल

समिति के सभापति सतीश कुमार निगम ने स्टिंग ऑपरेशन संबंधि जांच सदन के पटल पर रखते हुए कहा था कि मीडिया टीआरपी का खेल और व्यापार का साधन बन गया है। अपने व्यापार के अति उत्साह और पैसे की खेल में मीडिया के लोग क्या-क्या कर जाते हैं और उसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। इसका इनको अहसास नहीं है।

रिपोर्ट में ये लगी हैं धाराएं, इनका है ये मतलब

IPC 295ए- ऐसे काम जिससे किसी वर्ग या धर्म का अपमान हुआ हो या उनकी भावनाएं आहत हुई हों।

IPC 463- फर्ज़ी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉड्‌र्स का इस्तेमाल

IPC 464- फर्जी दस्तावेज तैयार करना

IPC 465- फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले को 2 साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों

IPC 469- किसी की छवि को क्षति पहुंचाने की दुर्भावना से इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तैयार कर उसका इस्तेमाल करना। इसमें दोषी होने पर तीन साल की सजा का प्रावधान है।

IPC 471- फर्जी इलेक्ट्रॉनिक फुटेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना।

CrPc 200, CrPc 202- अभियोजन के लिए परिवादी की उपस्थिति आवश्यक है।

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