लखनऊ. अरबों रुपए घोटाले के आरोपी इंजीनियर यादव सिंह को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने छह दिन की रिमांड पर भेज दिया है। सीबीआई उससे पूछताछ कर कई राज उगलवाने की कोशिश करेगी। गुरुवार को जब सीबीआई उसे कोर्ट लेकर पुहंची तो उसने गाड़ी में चेहरा छिपा रखा था।
बढ़ेगी सपा के कुछ नेताओं की मुश्किल
यादव सिंह की गिरफ्तारी सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के कुछ बड़े नेताओं के लिए गले की फांस बन सकती है। इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने यादव सिंह मामले में सीबीआई जांच का विरोध किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जांच शुरू हुई थी। यादव सिंह पर आरोप है कि उसने नोएडा अथॉरिटी में चीफ इंजीनियर रहते हुए हजारों करोड़ रुपए घूस लेकर टेंडर अपने चहेते ठेकेदारों को राजनीतिक आकाओं के कहने पर टेंडर बांटे थे।
ये होगी सीबीआई के सामने चुनौती
- यादव सिंह के राजनीतिक गठजो़ड़ की सही तरीके से जांच करना।
- यादव सिंह का साथ देने वाले बड़े राजनेताओं और अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कागजात का न होना।
- अब तक 70 घंटे से ज्यादा की पूछताछ कर चुकी है सीबीआई।
- यादव सिंह ने अब तक पूछताछ में किसी नेता या अफसर के खिलाफ कुछ नहीं बोला है।
इन धाराओं में केस दर्ज
-सीबीआई ने उन पर 409, 420, 466, 467, 469, 481 और एंटी करप्शन लॉ के तहत केस दर्ज किया है।
गिरफ्तारी से पहले भी कई बार सीबीआई यादव सिंह को पूछताछ के लिए सीबीआई हेडक्वार्टर बुला चुकी थी।
यादव सिंह पर ये हैं आरोप
- यादव सिंह अपनी पत्नी के नाम रजिस्टर्ड फर्म को सरकारी दर पर बड़े-बड़े व्यावसायिक प्लॉट अलॉट कराए थे।
- बिल्डरों को यही प्लॉट बाद में ऊंचे दामों में बेचे गए।
- पत्नी और तीन पार्टनर्स के जरिए 40 कंपनियां बनाकर हेराफेरी की।
- तीनों पार्टनर्स के नाम राजेंद्र मनोचा, नम्रता मनोचा और अनिल पेशावरी हैं।
- बड़े पैमाने पर इनकम टैक्स की चोरी की।
अरबों की संपत्ति हुई थी बरामद
-यादव सिंह को उत्तर प्रदेश में पैसा बनाने वाली सबसे बड़ी सरकारी मशीन कहा जाता है।
-इनकम टैक्स ने उसके ठिकानों पर छापेमारी में अरबों रुपये के बंगले, गाड़ियां, शेयर, गहने सहित करीब 800 करोड़ की संपत्ति बरामद की थी।
-नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस अथॉरिटी के इंजीनियर रहते हुए यादव सिंह की सभी तरह के टेंडर और पैसों के आवंटन बड़ी भूमिका होती थी।
यादव सिंह का प्रोफेशनल ग्राफ
- 1980 में जूनियर इंजीनियर के तौर पर नोएडा अथॉरिटी ज्वॉइन की।
- 1985 में प्रमोट होकर अस्सिटेंट प्रोजेक्ट इंजीनियर बन गए।
- 20 अस्सिटेंट प्रोजेक्ट इंजीनियर्स को सुपरसीड किया।
- इंजीनियर की डिग्री न होने पर भी 1995 में प्रोजेक्ट इंजीनियर बना दिए गए।
- साल 2002 में चीफ प्रोजेक्ट इंजीनियर के तौर पर अप्वॉइंट हुए।
- ये पोस्ट चीफ इंजीनियर लेवर-2 के बराबर थी।
- 2007 में नोएडा के इंजीनियर-इन-चीफ के तौर पर अप्वॉइंट हुए।