जानिए आखिर क्यों की जाती है सरस्वती और गणपति जी प्रथम पूजा
श्री रामचरितमानस से पहले जितने भी ग्रंथों की रचना हुई सबसे पहले वंदना गणपति की हुई। किंतु गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने वाणी की उपयोगिता को समझते हुए श्रीरामचरितमानस में सबसे पहली वंदना वाणी की की। पहला श्लोक श्री रामचरितमानस का...
श्री रामचरितमानस से पहले जितने भी ग्रंथों की रचना हुई सबसे पहले वंदना गणपति की हुई। किंतु गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने वाणी की उपयोगिता को समझते हुए श्रीरामचरितमानस में सबसे पहली वंदना वाणी की की। पहला श्लोक श्री रामचरितमानस का...
वर्णानाम अर्थ संघानाम रसानाम छंद सामपि.
मंगलानां च कर्तारौ वन्दे वाणी विनायकौ.
श्री रामचरितमानस में वाणी और विनायक दोनों को एक ही रुप जैसे वर्ण और अर्थ तथापि पहले वंदना वाणी की। गोस्वामी तुलसीदास जी का मत है सभी तपस्याओं में से वाणी की तपस्या सर्व श्रेष्ठ है।
भारतीय वांग्मय में 2 महायुद्ध हुए एक राम रावण युद्ध । दूसरा कौरव पांडव युद्ध । जो महाभारत के नाम से प्रसिद्ध है । किंतु दोनों के मूल में जाकर यदि समझा जाए तो दोनों का मूल कारण दो बड़े घर की नारियों ने वाणी का गलत प्रयोग किया और महायुद्ध हो गया।
श्री रामचरितमानस में जब श्रीराम माया मृग के पीछे जाते हैं तो जानकी के रक्षण के लिए लक्ष्मण को छोड़ जाते हैं । श्रीराम का अटूट विश्वास कि लक्ष्मण के होते हुए जानकी का अनिष्ट नहीं हो सकता किंतु राम की अनुपस्थिति में “मरम बचन जब सीता बोला हरी प्रेरित लक्ष्मण मन डोला” सीता के वाणी दुरुपयोग करने से लक्ष्मण सीता को छोड़कर चले गए और रावण की चाल चल गयी । राम रावण युद्ध हो गया।
ऐसे ही मैं दानव के बनाए हुए सभा भवन में दुर्योधन को लेकर भीम जब आए तो जल के स्थान पर थल और थल के स्थान पर जल का भ्रम होने पर दुर्योधन जल में गिर पड़े । बात आयन बैठी द्रौपदी के मुख से निकल गया भीम हंसो ना अंधे के तो अंधे होते हैं बस महाभारत युद्ध हो गया।
अब जब जब श्री कृष्ण समझौते का प्रयत्न करते हैं । गौरव पांडवों को मिलाने की कोशिश करते हैं यहां तक कि 5 गांव देने मात्र का प्रस्ताव भी नकार दिया दुर्योधन ने अब तो युद्ध ही होगा।
वाणी के सदुपयोग से हाथी इनाम में मिलता है और वाणी के दुरुपयोग से हाथी के पैरों तले कुचल दिया जाता है.।