Lok sabha election 2019: आखिर क्या है इन लोकसभा सीटों का राज ?

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटे है जहां की जनता ने कभी जनता पार्टी को 85 में 85 सीटे जिताकर दी तो कभी कांग्रेस को 85 में 83 सीटे कांग्रेस को दे दी ।

Update:2019-05-08 17:17 IST

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटे है जहां की जनता ने कभी जनता पार्टी को 85 में 85 सीटे जिताकर दी तो कभी कांग्रेस को 85 में 83 सीटे कांग्रेस को दे दी । इन सीटों पर कांग्रेस के अलावा भाजपा भी कभी न कभी जीतती रही। पर पिछले दो दशकों से प्रदेश की 11 ऐसी सीटे हैं जहां न बसपा जीत पाई न कभी सपा जीत सकी।

इन सीटों पर दो दशकों से सपा बसपा एडी चोटी का जोर लगाए हुए पर उन्हें सफलता नही मिल।पा रही। इस लोकसभा चुनाव में हुए गठबंधन में बसपा ने होशियारी दिखाते हुए इनसे अपना मोह छोड़ दिया और गठबंधन के साथियों सपा और रालोद के खाते में यह सीट डाल दी। जबकि अमेठी और रायबरेली यह कहकर छोड़ दी कि राजनीति में सियासी सद्भावना भी कोई चीज़ होती है कि नही।

इन 11 सीटों में लखनऊ कानपुर हाथरस पीलीभीत वारणशी बरेली कुशीनगर मथुरा बागपत रायबरेली अमेठी सीटे शामिल हैं। लखनऊ कानपुर और वाराणसी तो कांग्रेस और भाजपा के गढ़ रहे हैं।

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आइये देखते हैं इन सीटों का पिछले दो दशकों में हुए चुनावों के परिणाम -

लखनऊ सीट

अटल विहारी वाजपेयी (1999 ),अटल विहारी (2004) लाल जी टंडन ( 2009) तथा राजनाथ सिंह (2014)

कानपुर

श्रीप्रकाश जायसवाल कांग्रेस (1999) श्री प्रकाश जायसवाल कांग्रेस (2004) श्री प्रकाश जायसवाल कांग्रेस (2009) तथा डॉ मुरली मनोहर जोशी भाजपा (2014)

वाराणसी

शंकर प्रसाद जायसवाल कांग्रेस (1999),राजेश कुमार मिश्र (2004),डॉ मुरली मनोहर जोशी (2009) नरेंद्र मोदी भाजपा (2014)

रायबरेली

कैप्टन सतीश शर्मा कांग्रेस (1999), सोनिया गांधी (2004) सोनिया गांधी (2009) तथा सोनिया गांधी कांग्रेस (2014)

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कुशीनगर

रामनगीना मिश्र भाजपा (1999), बालेश्वर यादव एसएलपी (2004), कुंवर आरपीएन सिंह कांग्रेस( 2009) तथा राजेश पांडेय भाजपा( 2014)

बागपत

अजित सिंह रालोद (1999), अजित सिंह रालोद (2004) अजित सिंह रालोद (2009)डॉ सत्यपाल सिंह भाजपा (2014)

अमेठी

सोनिया गांधी कांग्रेस (1999), सोनिया गांधी कांग्रेस (2004), राहुल गांधी कांग्रेस (2004) तथा राहुल गांधी कांग्रेस (2014)

हाथरस

किशन लाल दिलेर भाजपा (1999) किशन लाल दिलेर 2004, सारिका सिंह रालोद (2009), तथा राजेश कुमार दिवाकर भाजपा (2014)

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मथुरा

चैधरी तेजवीर सिंह भाजपा (1999) मानवेन्द्र सिंह कांग्रेस (2004) ,जयंत चैधरी रालोद (2009) तथा हेमामालिनी भाजपा (2014)

पीलीभीत

मेनका गांधी भाजपा (1999) मेनका गांधी भाजपा (2004), वरुण गांधी भाजपा( 2009) तथा मेनका गांधी भाजपा (2014)

बरेली

संतोष गंगवार भाजपा (1999), संतोष गंगवार भाजपा( 2004) प्रवीण सिंह एरेन कांग्रेस ( 2009) तथा संतोष गंगवार भाजपा (2014)

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