जानें जौनपुर जिले के इस बाहुबली नेता को किसी पार्टी ने क्यों नहीं दी जगह?

Update:2019-03-29 09:53 IST

कपिल देव मौर्य

जौनपुर: जिले की सियासत में धमाल मचाने वाले बाहुबली नेता एवं पूर्व सांसद धनंजय सिंह की स्थिति आज यह हो गयी है कि देश का कोई भी राष्ट्रीय दल उन्हे स्वीकार करने को तैयार नहीं है।

इसीलिए पूर्व सांसद अब क्षेत्रिय दल के सहारे देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा का सदस्य बनने के लिए हर चन्द कोशिसे कर रहे है। लोकसभा चुनाव की घोषण के पहले से लेकर बाद तक देश लगभग सभी राष्ट्रीय राजनैतिक दलो के दरवाजे को खटखटाया लेकिन निराशा ही हाथ लगी है।

इसके एक दो नहीं कई कारण बताये जा रहे है। साथ ही इनकी विश्वस्नीयता पर किसी दल को विश्वास नहीं है। राजनीति में कदम रखने के बाद एक ऐसा भी समय आया था कि खुद ही नहीं जिसे चाहा जन प्रतिनिधि बनवा दिया लेकिन आज परिस्थिति ने ऐसी करवट ली है कि खुद के लिए लाले पड़ गये है।

निर्दल ही शुरू किया था अपना राजनैतिक सफर

बता दे कि बाहुबली से राजनीति का सफर शुरू करते समय भी किसी राष्ट्रीय राजनैतिक दल से राजनीति में प्रवेश नहीं कर सके। वर्ष 2002 में राम विलास पासवान की लोक जन शक्ति पार्टी के समर्थन से निर्दल प्रत्याशी के रूप में रारी विधानसभा क्षेत्र वर्तमान में मल्हनी विधानसभा क्षेत्र से पहला चुनाव लड़े जीवन दान के नाम पर विजय हासिल करते हुए विधायक बन गये।

इसके बाद 2004 में सांसद बनने का सपाना संजोये हुए कांगेस लोक जन शक्ति पार्टी के गठबंधन से जौनपुर संसदीय सीट से किस्मत आजमाया लेकिन असफल रहे।

इसके बाद लोक जन शक्ति पार्टी से नाता तोड़ लिया और 2007 में जनता दल युनाइटेड का दामन पकड़ते हुए रारी विधानसभा से चुनाव लड़ कर पुनः विधायक बन गये। इसके बाद 2008 में जदयू को अलविदा कहते हुए बसपा का दामन पकड़ लिया और 2009 में बसपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंच गये। और 2009 में ही अपने पिता राजदेव सिंह को बसपा से टिकट दिलवा कर रारी से विधायक बनवा दिया।

मोदी लहर में हार ही मिली

वर्ष 2012 में परसीमन के बाद इस विधानसभा का नाम बदल कर मल्हनी हो गया इसी दौरान बाहुबली नेता धनंजय सिंह ने बसपा नेता मायावती से विवाद कर लिया और अपराधिक मामले में जेल की सीखचों में कैद कर लिए गये थे।

जेल से ही अपनी तत्कालीन पत्नी डा. जगृति सिंह को निर्दल चुनाव मैदान में उतार दिया लेकिन पराजय का सामना करना पड़ा इसके बाद 2014 के चुनाव में किसी दल से टिकट न मिलने के कारण एक बार फिर निर्दल प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे लेकिन मोदी लहर में हार ही मिली।

इस चुनाव के समय दिल्ली के एक अपराधिक मामले में जेल के अन्दर थे चुनाव में प्रचार के लिए कुछ समय के लिए बाहर आये थे और हेलीकाप्टर से अपना प्रचार किये थे। फिर 2017 में विधानसभा के चुनाव में किसी दल ने टिकट नहीं दिया तो एक बार फिर निर्दल प्रत्याशी के रूप में मल्हनी विधानसभा से चुनाव की जंग में कूदे लेकिन सपा के पारस नाथ यादव के सामने टिक नहीं सके इस बार भी पराजय ही मिली।

क्षेत्रीय दल के टिकट पर लड़ सकते लोकसभा चुनाव

अब 2019 में एक बार फिर लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने साथ ही बाहुबली नेता धनंजय सिंह ने भाजपा से लगायत बसपा कांग्रेस आदि लगभग सभी राष्ट्रीय दलो के दरवाजे पर दस्तक दिये लेकिन हर जगह से निराशा ही हाथ लगी किसी भी दल ने इन्हे स्वीकार नहीं किया।

सांसद बनने की मंशा पाले बाहुबली नेता पूर्व सांसद उपरोक्त ने इसके बाद क्षेत्रिय दलो के यहां हााि पांव मारना शुरू किया जिसमे अपना दल, सुभासपा, निषाद पार्टी में जुगाड़ लगाया कि भाजपा से गठबंधन करके चुनाव लड़ा जा सके।

निर्दल ही भाग्य आजमाना पड़ सकता है

हलांकि अपना दल एवं निषाद पार्टी से बात नहीं बनी ऐसी चर्चा है कि प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा से चुनाव लड़ना चाह रहे थे लेकिन सुभासपा एवं भाजपा के बीच जौनपुर संसदीय सीट को लेकर बात नहीं बन सकी है। ऐसे में एक बार फिर बाहुबली नेता धनंजय सिंह का निर्दल ही भाग्य आजमाना पड़ सकता है।

सूत्र की माने तो दिल्ली कांड की चर्चा एवं अब तक किसी भी दल के प्रति इनकी वफादारी का न होना बसपा नेता के साथ किये गये विवाद आदि मामले लगभग सभी राष्ट्रीय दलो में चर्चा में है इसीलिए कोई इन पर भरोसा नहीं कर रहा है अपने दल से टिकट देने से परहेज कर रहा है।

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