पैर छूकर भाभी ने दिखाया कमाल, क्या यही है राजनीति का हाल?
आखिर राजनीति में क्या-क्या करना पड़ता है? ये सवाल आज जहन में इसलिए आया क्योंकि कल तक जो ओग एक दूसरे के विरोधी थे वो आज एक मंच पर बैठे हुए नज़र आते हैं, कल तक जो लोग एक दूसरे को देखना पसंद नहीं करते थे वे आज गले लगते नज़र आते हैं।
लखनऊ: आखिर राजनीति में क्या-क्या करना पड़ता है? ये सवाल आज जहन में इसलिए आया क्योंकि कल तक जो ओग एक दूसरे के विरोधी थे वो आज एक मंच पर बैठे हुए नज़र आते हैं, कल तक जो लोग एक दूसरे को देखना पसंद नहीं करते थे वे आज गले लगते नज़र आते हैं। ये सब देखकर मुख से सिर्फ एक ही सवाल निकलता है, क्या यही है राजनीति का हाल?
ऐसा ही कुछ नज़ारा देखने को मिला कन्नौज में। जहाँ हुआ यूं कि मौका तो था कन्नौज में डिम्पल यादव की चुनावी रैली का, जिसमें शरीक होने पहुँच गयी उनकी नयी नवेली “बुआ मायावती”। फिर क्या होना था बुआ को आदर देते हुए डिम्पल ने पैर छू लिया। अब बात यहाँ तक भी ठीक थी लेकिन इनके इस काम से मायावती इतना खुश हुई कि बसपा प्रमुख ने उन्हें 'परिवार का हिस्सा' बताते हुए आशीर्वाद दिया तो मकसद कहीं दूर तक संदेश भेजना भी था। उन्होंने डिंपल को न केवल 'परिवार का हिस्सा' बताया, बल्कि उनके लिए वोट भी मांगा और उन्हें रिकॉर्ड मतों से जिताने की अपील की।
कन्नौज से फिलहाल डिंपल ही सांसद हैं। उनसे पहले यहां से उनके पति खुद अखिलेश सांसद हुआ करते थे। अखिलेश ने इस बार आजमगढ़ का रुख किया है, जहां से बीजेपी ने भोजपुरी गायक दिनेशलाल यादव को मैदान में उतारा है। बहरहाल, कन्नौज में डिंपल का बसपा प्रमुख का पैर छूना और 'बुआ' का उन्हें आशीर्वाद देना यह भी दर्शाता है कि दोनों दल बहुचर्चित 'गेस्ट हाउस कांड' को भूलकर राजनीतिक गठजोड़ ही नहीं, निजी रिश्तों को भी मजबूत बनाने में जुट गए हैं।
शायद यही वजह है कि रैली में डिंपल ने जब मायावती के पैर छुए तो 'बुआ' ने यह कहते हुए आशीर्वाद दिया, 'सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव मुझे परिवार के एक बड़े सदस्य के तौर पर सम्मान देते हैं और इस गठबंधन के बाद मैंने डिंपल को अपने परिवार का हिस्सा मान लिया है।' मायावती ने लोगों ये यह भी कहा कि वे डिंपल के लिए वोट कर उन्हें रिकॉर्ड मतों से जिताएं।