जानें कैसे होती है वोटों की गिनती और ईवीएम का बंटवारा?
मतगणना से पहले मतगणना अधिकारी और प्रत्याशी या उनके मतगणना एजेंट ईवीएम की जांच और निरीक्षण करते हैं। वे ईवीएम की सील देखते हैं और किसी तरह की छेड़छाड़ की संभावना को भांपते हैं।
नई दिल्ली: ईवीएम को मतगणना हॉल में लगी गणना टेबलों पर क्रमानुसार बांटा जाता है। किस टेबल पर कौन सी ईवीएम रखी गई, इसका लेखाजोखा रखा जाता है। गणना के लिए केवल कंट्रोल यूनिट की जरूरत होती है, ईवीएम के बाकी हिस्से जरूरी होने पर निरीक्षण के लिए लाए जाते हैं।
सील-क्रमांक की जांच
मतगणना से पहले मतगणना अधिकारी और प्रत्याशी या उनके मतगणना एजेंट ईवीएम की जांच और निरीक्षण करते हैं। वे ईवीएम की सील देखते हैं और किसी तरह की छेड़छाड़ की संभावना को भांपते हैं। साथ ही देखते हैं कि क्या यह वही कंट्रोल यूनिट है जो पोलिंग स्टेशन को दी गई थी।
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और गणना कंट्रोल यूनिट को ऑन किया जाता है। इसमें मौजूद रिजल्ट आई बटन दबाया जाता है, जिससे हर प्रत्याशी को मिले वोट प्रदर्शित होते हैं। इन्हें फॉर्म 17सी के दूसरे भाग में दर्ज किया जाता है। सील करने से पहले इन्हें कई बार देखा जा सकता है। इसके बाद यूनिट को स्विच ऑफ कर सील कर दिया जाता है। सील पर मतगणना निरीक्षक और प्रत्याशी या उसके एजेंट के साइन लिए जाते हैं।
पर्यवेक्षकों द्वारा ईवीएम पर औचक गणना
दूसरी ओर मतगणना में आए पर्यवेक्षक किसी भी दो पोलिंग स्टेशनों के ईवीएम पर समानांतर गणना करवा सकते हैं। इसके लिए उन्हें अलग से गणना स्टाफ दिया जाता है। इसके परिणामों को संबंधित स्टेशनों के फॉर्म 17सी से मिलाकर ही पर्यवेक्षक संतुष्ट होते हैं।
और परिणाम घोषणा से पहले दो मिनट का ब्रेक
सभी ईवीएम के परिणामों को फॉर्म 20 पर तैयार किया जाता है। इसमें पोलिंग बूथ, पोस्टल व टेंडर वोट आदि को दर्ज किया जाता है। वोटों की संख्या सटीक दर्ज होनी चाहिए, अगर ऐसा नहीं हुआ तो परिणाम जारी करते समय गड़बड़ होने पर संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई हो सकती है।
निगरानी और नियम
मतगणना हॉल पर मतगणना पीठासीन अधिकार के निर्देश और निगरानी पर होती है। प्रत्याशी, उसके एजेंट को ही हॉल में उपस्थित रहने का अधिकार होता है। किसी अन्य के प्रवेश करने या अधिकृत व्यक्ति के दुर्व्यवहार करने पर उसे मतगणना हॉल से निकाला जा सकता है।
ईवीएम खराब होने पर तत्काल सूचना
गणना के समय कोई ईवीएम या मतपत्र खराब होने, टूटने या खोने पर पीठासीन अधिकारी को तुरंत इसकी सूचना चुनाव आयोग को देनी होगी, जो तत्काल मतगणना रोकने के आदेश देगा। आयोग चुनाव रद्द कर सकता है, संबंधित मतदान स्थल पर पुनर्मतदान करा सकता है।
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गोपनीयता तोड़ने या छेड़छाड़ पर सजा
वोटों की गोपनीयता बनाये रखना ड्यूटी पर लगे हर अधिकारी, क्लर्क, एजेंट और व्यक्ति की है। इसकी शपथ ली जाती है। गोपनीयता तोड़ने, किसी के समर्थन में मतदान को प्रभावित करने, ईवीएम या मतपत्रों से छेड़छाड़ पर जेल या जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
एक प्रत्याशी के अधिकतम 16 एजेंट : एक प्रत्याशी अधिकतम 16 पोलिंग एजेंट बना सकता है। ये सभी मतगणना के समय मौजूद रहते हैं। मतगणना से एक घंटे पहले तक इसकी सूचना पीठासीन अधिकारी को देनी होती है।
एक हॉल में 14 गणना टेबल : एक मतगणना हॉल में अधिकतम 14 मतगणना टेबल लगाई जा सकती हैं। हालांकि 2009 में आयोग की अनुमति से 25 टेबलें तक एक हॉल में लगाई गई थीं। पीठासीन अधिकारी के लिए अलग टेबल लगती है और इसी के पास प्रत्याशी या उसके एजेंट बैठ सकते हैं। उसी के पास एक कंप्यूटर टेबल लगाई जाती है जिस पर हर राउंड की गणना दर्ज की जाती है।
एग्जिट पोल में भाजपा व एनडीए की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने की उम्मीद जताई गई है। इसके बावजूद सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता सरकार गठन के लिए संभावित विकल्पों को परवान चढ़ाने की कोशिशों में जुटे हैं। भाजपा के साथ कांग्रेस ही नहीं, क्षेत्रीय दल भी सक्रिय हैं।
एनडीए यदि पूर्ण बहुमत से चूका तो चुनाव परिणामों के बाद विकल्पों की संभावनाएं आंकी जा रही हैं। लगभग सभी एग्जिट पोल में भाजपा व गठबंधन की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के अनुमान सच साबित हुए तो नई सरकार को लेकर राजनीतिक विकल्पों की उम्मीदें धूमिल हो जाएंगी।
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