लोकतंत्र की बलिहारी, पाकिस्तान से सटे इलाके में नेता मतलब 'झूठा, फरेबी'
गांववालों का कहना है कि नेता हर चुनाव से पहले उनके पास आते हैं और लंबे-चौड़े वादे करते हैं लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्हें भूल जाते हैं।
जैसलमेर : राजस्थान के जैसलमेर में सीमावर्ती गांवों के निवासियों को पूरा भरोसा है कि कुछ भी नहीं बदलेगा। गांववालों का कहना है कि नेता हर चुनाव से पहले उनके पास आते हैं और लंबे-चौड़े वादे करते हैं लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्हें भूल जाते हैं। हमारे लिए तो वो सिर्फ झूठे और फरेबी ही है जो फुसलाकर हमारा वोट ले लेते हैं।
उन्होंने बताया कि पानी, स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा जैसी उनकी मूल मांगों को वर्षों से नजरअंदाज किया जाता रहा है और वे देश के नागरिक होने के नाते अपना कर्तव्य निभाने भर के लिए ही वोट डालते हैं।
प्रसिद्ध लोंगेवाला पोस्ट से 11 किलोमीटर दूर स्थित खालीभर गांव के निवासी केर खान ने कहा, ‘‘हर चुनावी मौसम में नेता हमारे पास आते हैं और स्कूलों, अस्पतालों और परिवहन की सुविधाओं का वादा करते हैं लेकिन हर बार ये वादे सिर्फ वादे ही रह जाते हैं। इसलिए अगली बार हम दूसरी पार्टी को वोट देंगे लेकिन कहानी वही रहेगी।’’
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खरिया गांव में 10-15 परिवार हैं जो भेड़ पालन और कृषि के काम में लगे हैं। उन्हें अपने बच्चों की पढ़ाई की चिंता है लेकिन ये परिवार अपने बच्चों को दूरदराज के इलाकों के स्कूलों में भेजने का खर्च वहन नहीं कर सकते।
खरिया निवासी संग्राम सिंह ने कहा, ‘‘तनोट में हमारे गांव से आठ किलोमीटर दूर नजदीकी स्कूल है और वह भी प्राथमिक स्कूल जहां केवल एक शिक्षक है।’’
सूखे से जूझ रहे इस जिले में पानी की उपलब्धता भी एक अन्य समस्या है।
खरिया के लिए पानी का नजदीकी स्रोत रामगढ़ गांव में करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित इंदिरा गांधी नहर है।
रामगढ़ में ही खरिया के निवासियों को चिकित्सा की उचित सुविधाएं मिल सकती हैं।
तनोट से सात किलोमीटर दूर स्थित गांव नाथूवाला के गोवर्धन सिंह ने पशु चिकित्सा अस्पताल की जरुरत पर भी जोर दिया ताकि लोग अपने पशुओं की देखभाल कर सकें।
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उन्होंने कहा, ‘‘हमारा समुदाय पूरी तरह पशुपालन पर निर्भर है लेकिन हम अपनी भेड़ों और बकरियों को अपने सामने मरते देखने के अलावा कुछ नहीं कर सकते।’’
अपने दुर्गम क्षेत्र और भयंकर गर्मी के लिए पहचाने जाने वाले राजस्थान के इस सुदूर पश्चिमी जिले में गांववालों की समस्या यातायात की पर्याप्त सुविधाएं ना होना भी है।
गांववालों ने बताया कि उन्हें लंबी दूरी तक पैदल चलना पड़ता है या बीएसएफ के वहां से गुजर रहे वाहनों या पर्यटक कैबों का इंतजार करना पड़ता है जो उन्हें रामगढ़ तक पहुंचा दें।
बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जैसलमेर में 29 अप्रैल को चुनाव होने वाले हैं।