'LOW PROFILE' छवि रखने वाले 'बिप्लब देब' बनें त्रिपुरा के CM, जीतने को अपनाई थी ये TRICK
लखनऊ। त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में भाजपा भारी बहुमत से जीतकर सरकार बनाने जा रही है। भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन यहां पर कुल 60 विधानसभा सीटों में से 42 सीटें अपने नाम कर लगभग दो तिहाई बहुमत पा चुका है। ऐसे में अब यहां सीएम और डिप्टी सीएम के नामों पर चल रहीं अटकलें भी खुलासे के बाद समाप्त हो चुकीं हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे विपल्व कुमार देब ने जहां त्रिपुरा के सीएम के तौर पर कमान संभाल ली है, तो वहीँ जिष्णु देब को डिप्टी सीएम बनाया गया है।
नवनिर्वाचित सीएम विप्लव कभी किसी सुर्ख़ियों या फिर चर्चाओं का हिस्सा नहीं रहे ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं वो कुछ वजहें, जिन्होनें विप्लव देव को त्रिपुरा की सीएम गद्दी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
विप्लव कुमार देब का जन्म त्रिपुरा के उदयपुर जिले के ककराबन नामक जगह पर हुआ। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने त्रिपुरा यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और फिर आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए। दिल्ली में रहने के दौरान ही ये राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़ गए और उसके प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगे। इन्होंने काफी समय तक प्रोफेशनल जिम इंस्ट्रक्टर के रूप में भी कार्य किया।
विधानसभा चुनाव में प्रभारी सुनील देवधर के साथ बिप्लब पूरे चुनावों का नेतृत्व करते रहे। उन्होंने बीजेपी के ‘चलो पलटाई’ अभियान के जरिए प्रदेश में बीजेपी आक्रामक प्रचार अभियान को गति देने में अहम भूमिका निभाई। हाल ही में उन्होंने अगरतला से चुनाव लड़ रहे प्रदेश के दिग्गज नेता सुदीप रॉय बर्मन और कांग्रेस विधायकों को पार्टी में शामिल करने में अहम भूमिका निभाई थी।
विपल्व कुमार देब की पत्नी नीति देब दिल्ली में भारतीय स्टेट बैंक में शाखा उपप्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। दोनों के एक बेटा और एक बेटी है।
दिल्ली में रहने के दौरान विपल्व कुमार देब ने आरएसएस के लिए काम किया। यहीं उनकी मुलाकात सुनील देवधर से हुई, जो भाजपा की ओर से त्रिपुरा के प्रभारी थे। उल्लेखनीय है कि सुनील देवधर ने ही 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के लिए वाराणसी में चुनाव अभियान की कमान संभाली थी।
देब के बारे में में सुनील देवधर ने एक जगह बताया कि— मैं ऐसे नए और युवा चेहरे की तलाश में था जो भाजपा को त्रिपुरा में लीड कर सके और यहां के लोगों की भावनाओं को पार्टी से जोड़ सके। जब विप्लव मुझे दिल्ली में मिले तो उन्होंने त्रिपुरा के लोगों के बारे में अपनी चिंताएं व्यक्त की। मुझे लगा, कि यह वही व्यक्ति है, जिसकी मुझे तलाश थी। मैंने उन्हें त्रिपुरा आकर यहां के लोगों के लिए काम करने के लिए आमंत्रित किया।