कानपुर: कानपुर शहर से करीब साठ किलोमीटर दूर घाटमपुर में मां कुष्मांडा देवी का अद्भुत मंदिर है । जहां माता रानी मंदिर में एक पिंड के रूप में लेटी हुई मुद्रा में है। देवी के चौथे अवतार मां कुष्मांडा के पिंड से पानी रिसता रहता है। यहां जल रिसनेे का क्या रहस्य इसका अब तक कुछ पता नहीं चला है। कहते है इस नीर का सेवन करने से कई प्रकार की बीमारियां से लोगो को राहत मिलती है।
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एक मान्यता के अनुसार राजा दक्ष ने एक यज्ञ के यज्ञ में भगवान शंकर का अंश ना देखकर सती ने अपने मायके में पति के अपमान से लज्जित होकर यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। इससे सती के अलग-अलग जगहों पर 9 अंश गिरे थे । जिसमे से चौथा अंश घाटमपुर में गिरा था जो मां कुष्मांडा के नाम से नवरात्री चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।
मां कुष्मांडा की कहानी
मंदिर के पं. परशुराम दूबे के अनुसार मां कुष्मांडा की पिंडी की कहानी कुछ इस तरह है उन्होंने बताया कि कई साल पहले घाटमपुर के जंगल में एक कुढाहा नाम का ग्वाला गाय चराने आता था। उसकी गाय चरते चरते मां की पिंडी के पास आ जाती थी और पूरा दूध माता की पिंडी के पास निकाल देती थी । जब कुढाहा शाम को घर जाता था तो उसकी गाय दूध नहीं देती थी ये क्रम कई महीनो तक चलता रहा।
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तभी कुढाहा के मन ये बात आई की आज देखेंगे की यह कहा जाती है जो शाम को दूध नहीं देती है। कुढाहा झाड़ियों के पीछे छिप कर अपनी गाय का पीछा करता रहा कुढाहा ने देखा की उसकी गाय एक पिंडी के ऊपर है और अपने आप दूध निकल रहा है। यह देख वह बड़ा आचर्य चकित हो गया उसने गांव वालों को ये बात बताई। उसके बाद लोग यहां पूजा पाठ करने लगे और पिंडी से निकलने वाले जल को माता का प्रसाद मानकर लोग चखने लगे। इससे तमाम बीमारियों में लोगों राहत मिलने लगी।
लोगों की अटूट आस्था
कुष्मांडा के मंदिर में दर्शन करने के बाद जिन भक्तों की मुरादे पूरी हो जाती है। वह मंदिर में आकर कथा सुनते है। इसी प्रकार लोग यहां पर बच्चो के मुंडन संस्कार कराते है। भंडारा भी करवाते है। पतरा के रहने वाले प्रताप अग्रवाल का मानना है कि मां के दरबार में आने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। उन्होंने बताया कि मां ने उनकी मनोकामना पूरी की है इसलिए मंदिर में भंडारा करवा रहे है। मंदिर समिति के सचिव विजय मिश्र के मुताबिक इस मंदिर में विदेशी पर्यटक भी आते है । नवरात्रि के पर्व में यहां पर मेला लगाने का प्रबंध नगर पालिका करती है और कमेटी मेले में देख रेख का काम करती है ।